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नई दिल्ली : Human Hands and Feet Will Grow Again : दुनिया में कई ऐसे जीव जंतु है जो अपने शरीर के टूटे या कटे हुए अंग को फिर से उगा लेता है, तो क्या इंसान भी ऐसा कर सकता है। फिलहाल तो ऐसा नहीं हो सकता, लेकिन जल्द ही ऐसा होने लगेगा। इंसान ये काबिलियत हासिल करने से सिर्फ एक कदम दूर है।
दरअसल, हाथ पैर उगाने वाली कोशिका को इंसानों के शरीर में डालने का प्रयास करना है। इस कोशिका का नाम है Blastema Cell। हिरण के शरीर में ये सेल्स पाई जाती है है। हिरण की सींग टूटती है तो वो फिर से उगने लगती है। हर एक इंच की दर से। अब वैज्ञानिक उसी ब्लास्टेमा सेल्स को इंसानों के फायदे के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं।
नॉर्थवेस्टर्न पॉलीटेक्निकल यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिकों ने किया प्रयोग
Human Hands and Feet Will Grow Again : चीन के जियान में स्थित नॉर्थवेस्टर्न पॉलीटेक्निकल यूनिवर्सिटी वैज्ञानिकों ने ऐसा प्रयोग किया है। यह स्टडी Science जर्नल में प्रकाशित हुई है। हैरान करने वाली बात ये है कि हिरण के शरीर में मिलने वाली ब्लास्टेमा प्रोजेनिटर सेल्स को वैज्ञानिकों ने चूहे के सिर में डाला। उसके 45 दिन बाद चूहे के सिर पर सींग जैसी आकृति निकल आई।
हड्डियां और कार्टिलेज हो सकती है दोबारा विकसित
स्टडी के कहा गया है कि हिरण की सींगों का अगर आप साल भर अध्ययन करें तो पता चलता है कि कैसे वो टूटते और फिर उगते हैं। यह एक शानदार मॉडल है, जिससे हम इंसानों के अंगों को फिर से विकसित करने का प्रयास कर सकते हैं। एक चीज की संभावना है कि इंसानों के शरीर में ब्लास्टेमा सेल्स हड्डियों और कार्टिलेज को दोबारा विकसित कर सकती हैं।
हिरणों के शरीर में पाई जाती है ब्लास्टेमा सेल्स
Human Hands and Feet Will Grow Again : स्टडी में पता चला कि हिरणों के शरीर में स्टेम सेल्स के अंदर ब्लास्टेमा सेल्स पाई जाती हैं। ये कभी हिरणों के शरीर का साथ नहीं छोड़तीं। जैसे ही उसके सींग गिरना शुरू होते हैं, ब्लास्टेमा सेल्स एक्टिव हो जाती है। पूरी तरह से सींग के गिरते ही नई सींग को पैदा करने का काम शुरू हो जाता है।
गैर-स्तनधारी जीवों में नहीं पाई जाती कोशिकाएं
कई स्तनधारी जीवों में सेल्फ-रीन्यूवल वाली कोशिकाएं होती हैं, लेकिन सिर्फ हिरण ही इकलौता जीव है, जो इनका इस्तेमाल करता है। क्योंकि हर साल हिरण के सींग एक बार फिर से उगते है। चूहों में भी इसी तरह की कोशिकाएं होती हैं। लेकिन गैर-स्तनधारी जीवों में ये नहीं पाई जाती हैं।