Indian News : सदर मुख्यालय के कोरवाडीह पंचायत के सरकारी विद्यालय राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय में पढ़ने वाले अधिकतर छात्र-छात्राएं मुस्लिम समुदाय से आते हैं. प्रार्थना को लेकर विवाद होने का भी बड़ा कारण यही है. दरअसल; पिछले कुछ वर्षों से इस विद्यालय में प्रार्थना के दौरान बच्चे हाथ जोड़कर प्रार्थना नहीं कर रहे थे बल्कि हाथ को बांध कर (इस्लाम धर्म के अनुसार) प्रार्थना करते थे.

इस बात की जानकारी मीडिया तक पहुंची तो अधिकरियों की टीम सतर्क हुई. इसके बाद मंगलवार को विद्यालय पहुंच कर इस मामले की लगभग पांच घटे तक गहराई से छानबीन की. जांच के क्रम में यह बात सामने आई कि यह पिछले कुछ वर्षों से हाथ बांधकर ही प्रार्थना की जाती है. मगर इसकी इजाजत किसने दी, या किसके दबाव में यह नियम निकाला गया, किसी ने नहीं बताया.

विद्यालय के प्राचार्य ने बताया कि विद्यालय में अधिकतर बच्चे मुस्लिम समुदाय से आते हैं. यहां जब प्रार्थना होती है तो लोग हाथ नहीं जोड़ते हैं और सभी हाथ बांध लेते हैं. मेरे द्वारा पहल की गई, लेकिन लोग नहीं माने तो मैंने भी छोड़ दिया. विद्यालय में अध्ययनरत छात्राएं कहती हैं हाथ बांध कर हमलोग इसलिए प्रार्थना इसलिए करते हैं क्योंकि सर लोग बोलते हैं.




वहीं, कोरवाडीह पंचायत के मुखिया शरीफ अंसारी भी मुस्लिम समुदाय से आते हैं. उन्होंने कहा कि पेपर में पढ़ कर हम हस्तप्रभ हैं. यह गांव गंगा जमुनी की तहजीब की मिसाल है. स्कूल नियम से ही चलेगा किसी कहने से नहीं, यदि इस तरह के लोग बोले हैं तो हम उसे चिन्हित करेंगे प्रार्थना और दुआ से इस गांव की बदनामी नहीं होने देंगे. ऐसा होगा तो हम मुखिया पद से इस्तीफा दे देंगे. विद्यालय से निकले पूर्व छात्रों ने कहाकि हमलोग छोटे थे तो हाथ जोड़कर ही प्रार्थना करते थे. कभी भी हाथ बांधकर नहीं किया.

विद्यालय में इस तरह की घटना होने के बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी दलबल के साथ स्कूल पहुंचे और गहनता से जांच की. पूरे विद्यालय के बच्चे को फिर से बुलाकर मुखिया के द्वरा समझाया गया कि प्राथना हाथ जोड़कर ही करनी है, हाथ बांध कर नहीं. इसके बाद स्कूल में फिर से प्रार्थना हुई तो बच्चों ने हाथ जोड़ कर किया. उसके बाद राष्ट्रगान भी गाया गया. उस समय अधिकारी, मुखिया, ग्रामीणों ने बच्चों के साथ हाथ जोड़कर गया.

जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि खबरें मिली थीं तो डीसी साहब के निर्देश पर हमलोग यंहा आये थे. सभी लोगों के सामने जैसे पहले प्रार्थना होती थी वैसे ही हाथ जोड़कर प्रार्थना हुई. भविष्य में ऐसा न हो इसके लिए सभी को निर्देश दिया गया है.

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