Indian News : अमेरिका ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें चेतावनी भरे लहजे में कहा गया है कि चीन, भारत और पाकिस्तान के नेता परमाणु देशों के बीच युद्ध के जोखिमों और इसके खामियाजे से बखूबी वाकिफ हैं.
रिपोर्ट में कहा गया कि दक्षिण एशिया में बढ़ रहा राष्ट्रवाद युद्ध की चिंगारी भड़का सकता है. यह रिपोर्ट यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस (यूएसआईपी) ने तैयार की है. इस रिपोर्ट में मार्च 2022 में पाकिस्तानी क्षेत्र में भारतीय मिसाइल के गलती से गिरने की घटना का भी जिक्र किया गया है.
रिपोर्ट में कहा गया, मार्च 2022 में भारतीय हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल के गलती से पाकिस्तानी क्षेत्र में गिरने जैसी दुर्घटनाएं माहौल अस्थिर कर सकती है.
इस रिपोर्ट में दक्षिण एशिया में बदल रही रणनीतिक परिस्थितियों से पैदा हुई चुनौतियों की समीक्षा की गई है. इसके साथ ही अमेरिका से यह आग्रह किया गया है
वह भारत, पाकिस्तान परमाणु हॉटलाइन की स्थापना कर परमाणु खतरे को कम करने पर ध्यान दें.
रिपोर्ट में अमेरिकी पॉलिसी मेकर्स से यह गुजारिश भी की गई है कि वे भारत और चीन से रणनीतिक वार्ता में शामिल होने को कहे. इसके साथ ही एक ऐसे नए क्षेत्रीय फोरम को शुरू करने का आइडिया रखें, जिसमें परमाणु-7 देश चीन, फ्रांस, भारत, पाकिस्तान, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हो. इस फोरम को परमाणु नियमों को मजबूत और स्थिर करने पर चर्चा करनी चाहिए .
रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका को भारत के साथ रक्षा सहयोकग बढ़ाने की जरूरत है.
यूएसआईपी की इस रिपोर्ट में बाइडेन प्रशासन से आग्रह किया गया है कि वह तालिबान के साथ जारी बातचीत का इस्तेमाल अफगानिस्तान और पाकिस्तान में क्षेत्रीय स्थिरता के लिए समक्ष खतरे को कम करने के लिए करे.
रिपोर्ट में भारत
विरोधी आतंकियों को अमेरिका की चिंताओं की सूची में प्राथमिकता दी गई है.
रिपोर्ट में कहा गया कि पड़ोसी देशों की ओर से धौंस जताए जाने के डर से देशों के बीच विवाद गहरा सकते हैं और छोटे-मोटे विवाद बड़े गतिरोधों में तब्दील हो सकते हैं. ठीक इसी तरह 2020 में भारत और चीन के सीमा गश्ती दलों के बीच झड़प की वजह से दोनों देशों को शक्तिबल का प्रदर्शन करना पड़ा था.
रिपोर्ट में भारत-पाकिस्तान और भारत-चीन के लिए एक सामान्य नीति तैयार करने का भी सुझाव दिया गया.
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि चीन, भारत और पाकिस्तान ने दुश्मनों से बचने के लिए परमाणु हथियार तैयार किए हैं लेकिन सुरक्षा को लेकर संशय हमेशा बना हुआ है. हथियारों की दौड़ को बढ़ावा मिला है, क्षेत्रीय रणनीतिक स्थिरता बाधित हुई है.