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Indian News : नईदिल्ली (ए)। भारत में साल की शुरुआत में देश का सबसे बड़ा विमान हादसा होते-होते बच गया। दो विमान हवा में 3,000 फीट की ऊंचाई पर आपस में टकराने वाले ही थे कि रडार कंट्रोलर ने इसे किसी तरह बचा लिया। दोनों विमानों में 426 जिंदगियां सवार थीं।

एएआई (भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण) और इंडिगो एयरलाइन दोनों की डीजीसीए द्वारा जांच की जा रही है। मामला 7 जनवरी का है। कोलकाता और भुवनेश्वर जाने वाले इंडिगो के दो विमान ग्राउंड स्टाफ की मामूली गलती के कारण हवा में लगभग 3,000 फीट की ऊंचाई पर टकरा जाते।

खतरनाक ढंग से एक-दूसरे के करीब आ गए थे दोनों विमान 




इंडिगो की फ्लाइट 6E455 ने बेंगलुरु से कोलकाता और 6E246 ने बेंगलुरु से भुबनेश्वर के लिए एक ही दिशा में एक साथ उड़ान भरी थी, दोनों विमान खतरनाक ढंग से एक-दूसरे के करीब आ गए थे। लेकिन इसी दौरान बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा एयरपोर्ट के ऊपर हवाई क्षेत्र की निगरानी कर रहे राडार कंट्रोलर लोकेंद्र सिंह ने दोनों विमानों को देखा और उन्होंने दोनों विमानों को अपनी दिशा बदलने को कहा।

हवाई अड्डे के उत्तर और दक्षिण रनवे का एक साथ प्रस्थान के लिए उपयोग नहीं किया जाता है क्योंकि समान दूरी से उड़ान भरने वाले विमान एक दूसरे के साथ टकरा सकते हैं। बेंगलुरु एयरपोर्ट से उड़ान भरने वाले दोनों विमान एयरबस A320 मॉडल के थे।

कहां हुई गलती? 

रिपोर्टों में कहा गया है कि सुबह उत्तरी (नॉर्थ) रनवे का इस्तेमाल प्रस्थान यानी डिपार्चर के लिए किया जा रहा था जबकि दक्षिण (साउथ) रनवे को आगमन के लिए तय किया गया था। बाद में दक्षिण रनवे को शिफ्ट प्रभारी द्वारा बंद करने का निर्णय लिया गया लेकिन साउथ टावर के एयर ट्रैफिक कंट्रोलर को इसकी जानकारी नहीं दी गई।

साउथ टावर कंट्रोलर ने बेंगलुरु जा रही फ्लाइट को टेकऑफ की मंजूरी दे दी। इसी वक्त नॉर्थ टावर कंट्रोलर ने भी बेंगलुरु जा रही फ्लाइट को उड़ान की मंजूरी दे दी। DGCA की रिपोर्ट के मुताबिक नॉर्थ और साउथ टावर कंट्रोलर्स ने आपसी बातचीत के बिना फ्लाइट क्लियरेंस दे दिया था। 

दोनों विमानों में सवार थे कुल 426 यात्री

यह घटना हवाई यातायात नियंत्रकों (एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स) के बीच गैप का नतीजा थी। इसके अलावा एएआई और इंडिगो द्वारा डीजीसीए को इसकी रिपोर्ट करने में विफलता भी चिंता पैदा करती है। नियमित निगरानी के दौरान इस घटना का पता चला। कोलकाता जाने वाली उड़ान में 176 यात्री और चालक दल के छह सदस्य थे, जबकि भुवनेश्वर की उड़ान में 238 यात्री और चालक दल के छह सदस्य थे – कुल 426 यात्री।

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