Indian News : बीजिंग |  रूस के साथ दोस्‍ती और चीन के साथ तनाव पर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के यूरोप और अमेरिका को करारा जवाब देने पर चीनी ड्रैगन खुश हो गया है। चीन के सरकारी भोंपू ग्‍लोबल टाइम्‍स ने कहा कि जयशंकर का बयान जटिल अंतरराष्‍ट्रीय स्थिति में एक समझदारी भरी आवाज को दर्शाता है। साथ ही एक बार फिर से यह साबित हो गया है कि चीन और भारत अपने विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाने में सक्षम हैं, किसी और देश को उंगली उठाने के लिए कोई जगह नहीं है। ग्‍लोबल टाइम्‍स ने कहा कि यह बयान पश्चिमी देशों के मुंह पर जोरदार तमाचा है।

चीनी अखबार ने कहा कि पश्चिमी देश भारत पर दबाव डालकर रूस के खिलाफ कड़ा रुख लेने के लिए दबाव डाल रहे हैं ताकि चीन और भारत के बीच विवाद को भड़काया जा सके। यही वजह है कि वे कह रहे हैं कि भारत भविष्‍य में चीन से यूक्रेन जैसे हमले की स्थिति का सामना कर सकता है। ग्‍लोबल टाइम्‍स ने कहा कि भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने जोर देकर कहा कि भारत-चीन संबंधों का रूस-यूक्रेन विवाद से कोई लेना देना नहीं है। भारत चीन के साथ संबंधों का प्रबंधन करने में सक्षम है।

‘चीन और भारत एक परिपक्‍व पड़ोसी देश हैं’





ग्‍लोबल टाइम्‍स ने यह भी कहा कि ब्रातिस्‍लावा फोरम में विदेश मंत्री जयशंकर ने यूरोप की यह कहकर भी आलोचना की कि यूरोप को मानसिकता से ऊपर उठना होगा कि उसकी समस्‍या दुनिया की समस्‍या है लेकिन दुनिया की समस्‍या यूरोप की समस्‍या नहीं है। ग्‍लोबल टाइम्‍स ने जयशंकर के उस बयान का भी जिक्र किया जिसमें उन्‍होंने अमेरिका बनाम चीन में किसके साथ जुड़ने को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा कि वह नहीं समझते हैं कि भारत को किसी पक्ष में शामिल होना जरूरी है।

ग्‍लोबल टाइम्‍स ने सिंघुवा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर किआन फेंग के हवाले से कहा कि जयशंकर का बयान एक जटिल अंतरराष्‍ट्रीय हालात में एक समझदारी भरी आवाज को दर्शाता है और एक बार फिर से साबित हो गया है कि चीन और भारत एक परिपक्‍व पड़ोसी देश हैं। साथ ही अपने विवादों का समाधान आपसी संपर्क और संवाद के जरिए करने में सक्षम हैं। किसी तीसरे देश को उंगली उठाने के लिए कोई जगह नहीं है।

‘भारत अपने पड़ोस में एक युद्ध या संकट नहीं चाहता है’


ग्‍लोबल टाइम्‍स ने कहा क‍ि जयशंकर ने सत्‍ता संभालने के बाद चीन के प्रति सख्‍त रवैया अपनाया था लेकिन पश्चिमी देशों खासकर यूरोप में भूराजनीतिक विवाद शुरू होने के बाद भारत को यह धीरे-धीरे अहसास हो गया है कि यूरोप और अमेरिका भूराजनीतिक संकट का ठीक तरीके से समाधान करने में फेल साबित हुए हैं जिससे युद्ध भड़का। चीनी अखबार ने कहा कि भारत अपने पड़ोस में एक युद्ध या संकट नहीं चाहता है। चीनी विश्‍लेषकों ने कहा कि जयशंकर का बयान यह दर्शाता है कि भारत की कूटनीति पूरी तरह से स्‍वतंत्र है जो भारत के राष्‍ट्रीय हित को शीर्ष प्राथमिकता देती है। वैश्विक मुद्दों पर पश्चिमी देशों की बजाय भारत और चीन में कई साझा हित हैं।

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