Indian News : कौलेश्वरी पर्वत तीर्थ और पर्यटन के लिए जाना जाता है। ये स्थान देवी कौलेश्वरी के दिव्य दर्शन और भगवान शिवजी की आराधना के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि पर्वत के शिखर पर महाभारत कालीन भोलेनाथ का मंदिर है। अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने इस मंदिर में महादेव की पूजा की थी। लगभग 2 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित कौलेश्वरी पर्वत के शिव मंदिर में जलाभिषेक के लिए प्राकृतिक सरोवर है। यहां भक्त स्नान कर शंकर का अभिषेक करते हैं। हर सोमवार को शिव मंदिर में विशेष भजन-कीर्तन होता है।
माता कौलेश्वरी आस्था का केंद्र हैं
पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत काल में ये राजा विराट की राजधानी थी। राजा विराट ने माता कौलेश्वरी की प्रतिमा को स्थापित किया था। तब से देवी कौलेश्वरी आस्था का केंद्र बनी हुई है। बौद्ध धर्म के लिए के लिए ये पहाड़ भगवान बुद्ध की तपोभूमि के साथ मोक्ष प्राप्त करने का स्थल है। पहाड़ में बौद्ध भिक्षुओं की कई प्रतिमाएं उकेरी हैं।
यहां हुआ था अभिमन्यु-उत्तरा विवाह
कौलेश्वरी शिव मंदिर का इतिहास महाभारत काल से पूर्व का है। मान्यता है कि मंदिर से सटे मंडवा मंडई में अर्जुन पुत्र अभिमन्यु का विवाह राजा विराट की पुत्री उत्तरा से हुआ था।
खाली हाथ पहुंचते हैं भक्त
कौलेश्वरी पर्वत के शिव मंदिर में जलाभिषेक करने के लिए भक्तों को कुछ भी ले जाने की जरूरत नहीं है। मंदिर के आसपास ही पूजन सामग्री उपलब्ध हो जाती है। जातक तालाब में डुबली लगाकर मंदिर प्रांगण से पुष्प, बेलपत्र और जल लेते हैं। वहीं महादेव को अर्पित करते हैं।
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