Indian News : रायपुर। सावन का महीना 14 जुलाई को शुरू हो जाएगा। जिसमें कई सारे तीज और त्योहार पड़ने वाले हैं। इस महीने का पूरे साल में काफी खास महत्व होता है ये महीना भगवान शिव का भी माना जाता है, कहा जाता है सावन के महीने में भगवान शिव धरती पर आते हैं और भक्तों के साथ रहते हैं ।

सावन के खास त्योहार


सावन मास में कांवड़ यात्रा से लेकर रक्षबंधन तक कई त्योहार आते हैं जो क्रमवार ऐसे है।
14 जुलाई, गुरुवार सावन कांवड़ यात्रा आरंभ
16 जुलाई, शनिवार- कर्क संक्रांति, जया पार्वती व्रत का समापन




24 जुलाई, रविवार कामिका एकादशी
25 जुलाई, सोमवार सोम प्रदोष व्रत
26 जुलाई, मंगलवार – मासिक शिवरात्रि
28 जुलाई, गुरुवार- हरियाली अमावस्या
31 जुलाई, रविवार हरियाली तीज
2 अगस्त, मंगलवार नाग पंचमी
5 अगस्त, सोमवार- सावन पुत्रदा एकादशी

9 अगस्त, मंगलवार- भौम प्रदोष व्रत, प्रदोष व्रत
11 अगस्त, गुरुवार- रक्षा बंधन, पूर्णिमा, सावन मास समापन
सावन में भक्ति के साथ श्रृंगार भी जरूरी
सावन में जल कांवड़ के साथ कई चीज़ों का महत्व होता है। जैसे झूले का और महिलाओं के लिए तीज और व्रत का। इस महीने में महिलाएं हरी कांच की चूड़ियां पहनती हैं। हाथों में भरी हरी-हरी चूड़ियां, और उसकी खनक भला किसका मन ना मोह लें। सौभाग्य की प्रतीक चूड़ियों का दौर कभी भी कम नहीं होता है। महिलाओं के सोलह श्रृंगार में से एक है हाथों में पहनने वाली चूड़ियां। जानते हैं कि सावन में ही हरी चूड़ियां क्यों पहनी जाती है और इसके पीछे का क्या कारण है।


सावन में हरी चूड़ियों का महत्व


सावन के महीने में हर जगह हरियाली होती है और हरा रंग प्राकृतिक रंग भी होता है जो महिलाओं के लिए खास होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, हरी चूड़ियां किसी भी सुहागन महिला के सुहाग का प्रतीक है। वहीं इस महीने में भगवान शिव को पूजा जाता है इसलिए महिलाएं हरे रंग की चूडियां पहनती हैं जिससे उन्हें भगवान शिव का आशीर्वाद मिले। भगवान शिव प्रकृति के बीच रहते हैं और उन्हें हरे रंग का बिल्व और धतूरा भी चढ़ाया जाता है जिससे

भगवान शिव खुश होते हैं इसलिए सावन में अधिकतर महिलाएं हरे रंग की चूड़ियां पहनती हैं।
सावन ही नहीं, हर धर्म में जरूरी है चूड़ी हिंदू धर्म में शादीशुदा महिलाओं को चूड़ियां पहनना जरुरी होता है और ज्यादतर महिलाएं सोने से बने कंगनों के साथ कांच की चूड़ियां पहनती है। वहीं मुस्लिम महिलाओं के लिए शादी के बाद और पहले दोनों समय चूड़ी पहनना जरूरी होता है। कहा जाता है कि खाली हाथ किसी को पानी देना गलत होता है।


धार्मिक मान्यता के अनुसार महिला के चूड़ी पहनने का संबंध उसके पति और बच्चे से होता है। कहते है कि इससे इनका स्वास्थ्य अच्छा रहता है। कुछ धर्मों में तो चूड़ियों के संबंध में इतनी गहरी आस्था है कि महिलाएं चूड़ी बदलने में भी सावधानी बरतती है। कम से कम एक चूड़ी अवश्य ही हो।

Disclaimer : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि Indian News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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