Indian News : इस मास में (पुरषोत्तम मास ) सभी पवित्र , धार्मिक कार्य संपन्न होते है अनन्त गुना फल मिलता है। सावन (श्रावण) मास में अधिक मास रहेगा। यह मास 18 जुलाई से 16 अगस्त तक रहेगा। अधिक मास में शुभ कर्म जैसे सगाई, विवाह , यज्ञोपवीत ,ग्रह प्रवेश, भूमि पूजन , स्वर्ण- रजत आभूषण खरीदना नहीं चाहिए। मांगलिक कार्य वर्जित है। अधिक मास को पुरुषोत्तम मास या मलमास भी कहते हैं। अधिक मास के स्वामी पुरुषोत्तम भगवान है। अधिक मास का जब प्राकट्य हुआ तो सभी लोग तिरस्कृत – अपमान करने लगे असहाय होगया – तो हरी कृष्ण से मिले – उन्होंने दया करके मलमास को अपना नाम प्रदान कर दिया और अपने सारे गुण प्रदान किए – पूजा -पाठ -जप -दान अनुष्ठान इस मास जोभी करेगा साथ ही श्रीमद् भागवत – शिव पुराण की कथा श्रवण करेगा उसकी सारी मानो कामना पूर्ण होगी । पार्थिव पूजन का भी विशेष महत्व है एवं रुद्राभिषेक अवश्य करना चाहिए।

इस मास में कोई भी गलत अनर्गल कार्य नहीं करना चाहिए, जो भी सत्य बोलेगा एवं मौन व्रत धारण करेगा एवं दीप दान करेगा वह निश्चय ही अपने आराध्य की कृपा प्राप्त करेगा । मलमास (पुरषोत्तम मास , अधिक मास) वशिष्ठ सिद्धांत के अनुसार भारतीय सनातन ज्योतिष कैलेंडर सूर्य मास और चंद्र मास की गणना के अनुसार चलता है ।

अधिक मास चंद्र वर्ष का एक अतिरिक्त भाग है जो हर 32 माह 16 दिन 8 घटी के अंतर से आता हैं इसका प्राकट्य सूर्य वर्ष चंद्र वर्ष के बीच अंतर का संतुलन बनाने के लिए होता है । भारतीय ज्योतिष गणना के अनुसार प्रत्येक सूर्य वर्ष 365 दिन चंद्र वर्ष 354 दिन का होता है दोनो में 11 दिन का अंतर है , जो 3 वर्ष में एक माह के बराबर हो जाता है । यही चंद्र मास अस्तित्व में आकर पुरषोत्तम मास कि उपाधि प्राप्त करता है । इसी मास में ही दैत्यराज हिरण्यकश्यप का उद्धार हुआ था ।

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