Indian News : प्रशांत किशोर कांग्रेस में एंट्री के ख्वाहिशमंद लंबे समय से थे। लेकिन लगातार दूसरी बार उनकी बात बिगड़ गई। जिस तरह से सोनिया गांधी के साथ उनकी बैक टू बैक मीटिंगें चल रही थीं। उसमें लग रहा था कि आलाकमान उनको लेकर काफी संजीदा है। लेकिन फिर भी बात नहीं बनी। कांग्रेस ने पीके को जो ऑफर दिया वो उन्हें रास नहीं आया तो पीके की कंपनी I-PAC का कामकाज दिग्गज नेताओं को खटक रहा था।
हालांकि, दोनों के बीच सहमति न बन पाने के और भी कारण रहे। पीके चाहते थे कि कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद वो सीधे सोनिया गांधी को रिपोर्ट करें। ये बात दिग्गज व पुराने नेताओं को मंजूर नहीं थी। बताया जाता है कि कांग्रेस ने पीके को एम्पावर्ड ग्रुप में शामिल होकर काम करने का ऑफर दिया था, जिसे प्रशांत ने खारिज कर दिया। प्रशांत चाहते थे कि उन्हें ग्रुप का अध्यक्ष बनाया जाए, जिसे सोनिया ने नामंजूर कर दिया।
कांग्रेस ने शर्त रखी कि पार्टी में शामिल होने के बाद पीके को सभी दलों के साथ दोस्ती खत्म करनी होगी। ये शर्त चुनाव रणनीतिकार को बिलकुल भी पसंद नहीं आई। पीके की I-PAC कंपनी कई दलों के साथ काम कर चुकी है। कांग्रेस को लगता था कि कंपनी की आड़ में पीके अपने राजनीतिक हितों को साध रहे हैं।
बंगाल चुनाव के बाद पीके ने इस कंपनी से नाता तोड़ने का ऐलान किया था। लेकिन कांग्रेस को लगता है कि वो केवल जुमलेबाजी भर थी। पीके परदे के पीछे से अपनी कंपनी को खुद ही चला रहे हैं। इसे दोनों पक्षों के बीच सहमति नहीं बन पाने का एक अहम कारण माना जा रहा है।
पीके कांग्रेस में शामिल होने के बाद संगठन में बदलाव पर काम करना चाहते थे। उन्होंने सुझाव दिया था कि कांग्रेस में अहम पदों के लिए एक समयसीमा तय की जाए। लेकिन उनका ये फॉर्मूला लागू हो जाता तो गांधी परिवार भी इसके लपेटे में आ जाता। उनके करीबियों पर भी गाज गिरनी थी।
उनकी एंट्री न हो पाने की एक खास वजह ये भी है कि कांग्रेस के पुराने नेताओं का अपने एक औरा है। वो इसमें दूसरी किसी शख्स को दाखिल नहीं होने देना चाहते। पीके सोनिया गांधी के करीब पहुंच कर कोई नतीजा दे देते तो इन सभी को घर बैठना पड़ता। लिहाजा इन लोगों ने पीके की एंट्री का विरोध तो नहीं किया पर शर्तें ऐसी रखवा दीं कि पीके को मना करना पड़ा।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रशांत के प्रेजेंटेशन पर एके एंटनी, मुकुल वासनिक, केसी वेणुगोपाल, रणदीप सुरजेवाला, अम्बिका सोनी, दिग्विजय सिंह और प्रियंका गांधी को विचार करने का जिम्मा सौंपा था। सूत्रों के मुताबिक प्रियंका गांधी और अम्बिका सोनी पीके के सभी सुझाव से सहमत थीं। यह पहला मौका नहीं है, जब प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर पेंच फंसा हो। इससे पहले, 2021 के अक्टूबर में पीके के कांग्रेस में शामिल होने की बात कही जा रही थी, लेकिन उस वक्त जी 23 नेताओं ने शामिल करने पर सवाल उठा दिया था।