Indian News : Kargil War… यानी भारतीय जवानों के पराक्रम, पाकिस्तान के चीफ ऑफ द आर्मी स्टाफ जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ के कायरतापूर्ण साजिश की कहानी. जनरल मुशर्रफ़ ने आदेश और प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की सहमति के बाद पाकिस्तानी फौजियों और घुसपैठियों ने 3 मई 1999 को करगिल जिले की ऊंची पहाड़ियों पर घुसपैठ की.

जंग शुरु हुई जो 11 जुलाई तक चली. 14 जुलाई 1999 को तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेयी ने ऑपरेशन विजय की सफलता की घोषणा की. लेकिन इस पूरी साजिश के पीछे जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ का हाथ था. आइए जानते हैं परवेज़ मुशर्रफ़ की घिनौनी साजिश के पीछे की कहानी

पाकिस्तान की पत्रकार नसीन ज़ेहरा ने एक किताब लिखी है- From Kargil To The Coup: Events That Shook Pakistan. इस किताब में करगिल युद्ध की पूरी साजिश का पर्दाफाश किया गया है. आप जो कहानी पढ़ने जा रहे हैं, वो इसी किताब में लिखी गई कहानी का हिस्सा है. पाकिस्तानी अखबार ‘The Dawn’ ने भी इसी किताब से एक आर्टिकल लिखा था, जिसका शीर्षक था- The Making of the Kargil Disaster.




करगिल युद्ध की साजिश की शुरुआत कब होती है, इसका अंदाजा सिर्फ जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ और उनके साथियों को था. करगिल में घुसपैठ किए हुए करीब 14 दिन हो चुके थे. तब तक भारतीय मीडिया के हवाले से पाकिस्तान में यह खबर फैलने लगी थी कि लाइन ऑफ कंट्रोल के उस पार भारत में पाकिस्तानी फौज की मदद से मुजाहिदीनों ने हमला शुरु कर दिया है. बात ज्यादा फैलती इससे पहले नवाज शरीफ को इस बात की जानकारी देनी थी. तो उन्हें 17 मई को 1999 को इस्लामाबाद से कुछ किलोमीटर दूर स्थित ISI के ओझरी कैंप ऑफिस में बुलाया गया.

इस कैंप में नवाज शरीफ के सामने पाकिस्तानी DGMO लेफ्टि. जनरल तौकिर जिया ने ऑपरेशन कोह पायमा (Op KP) का डिटेल प्रेजेंटेशन दिया. इसमें करगिल युद्ध की सारी तैयारियों की जानकारी थी. इस मीटिंग में पाकिस्तानी फौज के प्रमुख जनरल परवेज़ मुशर्रफ़, चीफ ऑफ जनरल स्टाफ लेफ्टि. जनरल अज़ीज खान, 10 कॉर्प्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल महमूद अहमद और फोर्स कमांड नॉर्दन एरियास के कमांडर ब्रिगेडियर जावेद हसन मौजूद थे.

इसके अलावा ISI डीजी लेफ्टि. जनरल जियाउद्दीन बट्ट, डायरेक्टर एनालिसिस विंग मेजर जनरल शाहिद अजीज और अफगानिस्तान-कश्मीर के ISI प्वाइंट मैन मेजर जनरल जमशेद गुलजार, विदेश मंत्री सरताज अजीज, वित्त मंत्री और नॉर्दन एरियास एंड कश्मीर अफेयर्स के मंत्री लेफ्टि. जनरल (रिटा.) माजिद मलिक, फॉरेन सेक्रेटरी शमशाद अहमद और उनके प्रिंसिपल सेक्रेटरी सईद मेहदी मौजूद थे.

प्रधानमंत्री नवाज शरीफ अपने कैबिनेट मंत्रियों के साथ पहली बार करगिल युद्ध के साजिशकर्ताओं से मिल रहे थे. DGMO जिया ने पीएम शरीफ से कहा कि सर, आपकी इच्छा के अनुसार हमने कश्मीर की आजादी के आंदोलन के लिए अपने प्लान को अपग्रेड किया है. ये पांच चरणों का ऑपरेशन होगा. पहला चरण पूरा हो चुका है. फिर वो एक नक्शे पर अलग-अलग पोजिशन दिखाने लगे. इस नक्शे पर कुछ भी लिखा हुआ नहीं था. यह एक मिलिट्री नक्शा था. इसमें सिर्फ चिन्ह थे.

नवाज शरीफ भी कायदे से नक्शे को समझने में मुश्किल महसूस कर रहे थे. नक्शे में तौकीर जिया ने भारत में मौजूद कश्मीर को तीन हिस्से में बांटा गया था. जम्मू सेक्टर, पीर पंजाल रेंज से कश्मीर घाटी तक और लेह-लद्दाख सेक्टर. जम्मू के जरिए घाटी में जाने का रास्ता मनिहाल पास को दिखाया गया था. लेह-लद्दाख के जरिए घुसपैठ की जगह जोजिला पास को दिखाया गया था.

तौकीर जिया ने बताया कि हम आजादी के इस आंदोलन को आगे बढ़ाने वाले लड़ाकों को लेह और लद्दाख की तरफ से कश्मीर में दाखिल करेंगे. तीसरे चरण में इन्ही जगहों से घुसपैठिये जम्मू और कश्मीर से अंदर जाएंगे. एकसाथ इतने बड़े पैमाने पर घुसपैठ से भारतीय सेना घबरा जाएगी. वो लद्दाख और जम्मू में सेना तैनात करेगी.

कश्मीर घाटी से सैनिकों की संख्या कम हो जाएगी. तब ऑपरेशन का चौथा चरण शुरु होगा. फिर पाकिस्तान बहुत ज्यादा संख्या में आजादी के लड़ाकों को मनिहाल और जोजिला पास से घाटी में भेजेगा और उसपर कब्जा कर लेगा. इससे घाटी बाकी हिस्सों से कट जाएगी. पांचवें और आखिरी चरण में भारतीय फौज से पाकिस्तान अपनी शर्तों पर बात करेगा.

करगिल युद्ध की साजिश करने वाले पाकिस्तानी जनरलों ने चार उम्मीदें जताई, जिसके सहारे वो अपने पांच चरणों के ऑपरेशन को सफल बनाने का दावा कर रहे थे. हालांकि, भारतीय फौज ने उनकी सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया…. लेकिन पाकिस्तानी जनरलों के चार दावों को भी जान लेते हैं. पहला – जो पोस्ट कब्जा किया है, उसे भारत जीत नहीं पाएगा. दूसरा- भारत के पास पाकिस्तान से लड़ने की हिम्मत नहीं है. इतनी ऊंचाई पर पोस्ट हासिल करने नहीं आएंगे. तीसरा- अंतरराष्ट्रीय स्तर से किसी तरह का दबाव पाकिस्तान पर नहीं पड़ेगा. चौथा – सेना को देश की आर्थिक स्थिति पता है इसलिए पाकिस्तानी सेना इस ऑपरेशन के लिए देश से या बाहरी किसी फाइनेंशियल सपोर्ट की मांग नहीं करेगी. लेकिन पाकिस्तानी जनरलों की पूरी साजिश नाकाम हो गई.

@indiannewsmpcg

Indian News

You cannot copy content of this page