Indian News : देश की राजधानी नई दिल्ली का अगला मेयर कौन होगा, यह आने वाली 6 जनवरी को स्पष्ट हो जाएगा। एमसीडी मेयर पद चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी (AAP) ने जहां शैली ओबेरॉय (Shelly Oberoi) को उम्मीदवार बनाया है तो वहीं भाजपा ने उनके सामने तीन बार की पार्षद रेखा गुप्ता (Rekha Gupta) को उम्मीदवार बनाया है। एमसीडी चुनाव में सबसे ज्यादा वार्डों में जीतने वाली आम आदमी पार्टी का इस चुनाव में पलड़ा भारी बताया जा रहा है। आइए आपको बताते हैं एमसीडी का मेयर कैसे चुना जाता है।
मसीडी मेयर पद के चुनाव में आम वोटर मतदान नहीं करते हैं। एमसीडी मेयर के चुनाव में दिल्ली के वोटरों द्वारा शहर के विभिन्न इलाकों से विभिन्न चुनावों में चुने गए जन प्रतिनिधि मतदान करते हैं। इन प्रतिनिधियों में सबसे बड़ी संख्या नगर निगम चुनावों में विभिन्न वार्डों से जीतकर आए पार्षदों (MCD Councillors) की होती है।
हर साल दिल्ली नगर निगम में 14 विधायक एमसीडी हाउस के लिए नॉमिनेट किए जाते हैं। ये विधायक हर साल बदलते भी हैं। वर्तमान समय में इन 14 विधायकों (MLA) ज्यादातर आम आदमी पार्टी के हैं। इन 14 विधायकों में से दिल्ली के सातों लोकसभा सांसद (Loksabha MP) और राज्यसभा के तीन सांसद भी एमसीडी के नॉमिनेटेड मेंबर होते हैं। इन सभी को मेयर चुनाव में वोट करने का अधिकार होता है।
किसका पलड़ा भारी?
आंकड़ों के जरिए बात की जाए तो एमसीडी मेयर के चुनाव में आम आदमी पार्टी की शैली ओबेरॉय भाजपा की रेखा गुप्ता पर भारी नजर आ रही हैं। नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी के 134 पार्षद जीते हैं। इसके अलावा नॉमिनेटेड सदस्यों में भी उसकी विधायकों की संख्या भाजपा से काफी ज्यादा है। हालांकि कई बार क्रॉस वोटिंग की स्थिति में नतीजे चौंकाने वाले होते हैं।
क्रॉस वोटिंग की स्थिति में नहीं जाती सदस्यता
संसद और विधानसभा से उलट नगर निगम के चुनावों में क्रॉस वोटिंग की स्थिति में पार्षदों की सदस्यता नहीं जाती है। मेयर के चुनाव में पार्षद किसी को भी वोट डालने के लिए स्वतंत्र होते हैं। यहां दलबदल कानून लागू नहीं होता है। ऐसे में अगर 6 जनवरी को एमसीडी चुनावों में क्रॉस वोटिंग होती है तो नतीजे चौंकाने वाले हो सकते हैं।
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