Indian News : नई दिल्ली | इस साल पितृपक्ष 15 दिनों के बजाय 16 दिन का रहेगा। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के पूर्णिमा तिथि से लेकर अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक पितृपक्ष चलते हैं। पितृपक्ष यानी श्राद्ध का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है।प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी पितृपक्ष 10 सितंबर से शूरू हो चुका है जो आगामी 25 सितंबर तक चलेगा। हिन्दू धर्म के अनुसार पितृपक्ष में पूर्वजों को यह बताया जाता कि वे आज भी परिवार का हिस्सा हैं। पितृपक्ष में प्रेत बाधा और अकाल मृत्यु पाने वाले लोगों को मोक्ष दिलाती है।

प्रतिवर्ष पितृपक्ष केेेेेे दौरान भारी संख्या में लोग काशी पहुचते है। अपने पितरों के लिए पिंडदान की परंमपरा को पूर्व से निभाते आ रहे है। क्या आपने कभी सोचा है कि अकाल मृत्यु के लोगों किस तरह मुक्ति दिलाया जाता है। आज हम इसके बारे में आपको बताने वाले है।

जिस मनुष्य की अकाल मृत्यु हो जाती है उसकी आत्मा को मुक्ति दिलाने के लिए उत्तर प्रदेश की मोक्ष नगरी काशी में एक खास कुंड है। जिसे पिशाच मोचन कुंड कहा जाता है। बताया जाता है कि इस कुंड पर त्रिपिंडी श्राद्व करने से अकाल मृत्यु से मारने वाले लोगों की आत्माओं मुक्ति मिलती है।




हिन्दू धर्म के अनुसार पितृपक्ष के 16 दिनों तक पितरोें के लिए मोक्ष का द्वार खुल जाते है मान्याओं के मुताबिक भगवान शंकर ने स्वयं वरदान दिया था कि जो भी अपने पितरों को श्राद्व कर्म इस कुंड पर करेगा उसे सभी परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है। इस कुंड के पास एक पीपल का पेड़ है बताया जाता है कि इस पीपल के पेड़ पर अतृप्त आत्माओं को बैठाया जाता है। वहीं ब्राम्हण से पूजा करवाने के बाद आत्माओं को मुक्ति मिल जाती हैं।

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