Indian News : दुनिया में ऐसे तमाम जीव-जंतु हैं, जिनके बारे में हमें पता भी नहीं होता. हम तो सिर्फ उन्हीं को जानते हैं, जो हमारे आसपास रहते हैं लेकिन कई बार हमारी आंख के सामने ऐसे सुंदर जीव भी आ जाते हैं, जिन्हें हम बस निहारते रह जाते हैं. ऐसी सूरत में हम फिर प्रकृति के उस रहस्य में खो जाते हैं, जो हमें एक से बढ़कर एक नज़ारे दिखाती है. ऐसे ही सुंदर नज़ारों में वे जीव-जंतु भी हैं, जो कुदरती रंगत समेटे हैं और हमें चकित करते हैं.
कुदरत की बनाई कुछ सबसे सुंदर कृतियों में से प्यारे से बतख (Mandarian Duck) भी हैं. इनकी भी तमाम प्रजातियां होती हैं, लेकिन एक खास प्रजाति ऐसी है, जिन्हें देखने के बाद लगेगा कि कुदरत ने इन्हें फुरसत से बनाया है और चुन-चुनकर रंग भरे हैं. इन बतखों को मंडेरियन डक कहा जाता है, जो ज्यादातर चीन और जापान में मिलते हैं. अब ये पक्षी काफी दुर्लभ हैं, ऐसे में दुनिया के तमाम हिस्सों में लोग इनके बारे में कम ही जानते हैं.
मंडेरियन डक को दुनिया का सबसे सुंदर बतख माना जाता है क्योंकि इनकी सुंदरता अलग ही है. ये किसी कैनवस की तरह अलग-अलग रंगों के अलग-अलग शेड से सजे हुए हैं. ये मूल रूप से चीन और जापान के ही हैं. मंडेरियन डक्स को छोटे तालाब, झीलों में रहना पसंद है और दिलचस्प बात ये है कि इनके पंख इतने मजबूत होते हैं कि वे पेड़ों पर भी उड़कर जा सकता हैं. मंडेरियन बतख की खासियत उनके पंख ही होते हैं, जो उन्हें मदद देने के साथ-साथ बेहद सुंदर भी होते हैं. इनकी खूबसूरती से जुड़ा एक वीडियो ट्विटर पर @gunsnrosesgirl3 नाम के अकाउंट से शेयर किया गया है, वो हम आपको दिखा रहे हैं.
A male mandarin duck, this is their magnificent breeding plumage as they do moult into less vibrant colours out of season
— Science girl (@gunsnrosesgirl3) August 19, 2022
these ducks are a symbol of love and fidelity in some countries as they are monogamous, life partners pic.twitter.com/kicM8RkyDS
नर बतख पेड़ों में होल बनाते हैं और मादा बतख इसमें अंडे देकर हैच करती हैं. मंडेरियन डक की एक बड़ी खासियत ये भी है कि ये पक्षी होते हुए भी एक मादा बतख से ही संबंध बनाते हैं. यही वजह है कि चीन और जापान जैसे देशों में इन्हें प्यार और निष्ठा का प्रतीक माना जाता है. शादियों में इन्हें दुल्हन को भी दिया जाता था. चीन में पहले इन बतखों को बाहर भेजा जाता था, लेकिन 1975 के बाद इस पर रोक लगा दी गई.