Indian News : नई दिल्ली | सावन मास के शुरू होते ही सभी शिवालयों में महादेव के दर्शन मात्र भक्तो की कतार लग गई है, सावन महीने के हर दिन का एक अलग महत्व होता है, और इस बार 20 जुलाई को को कालाष्टमी है। ये व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर होता है। इस दिन शिव के अवतार भगवान काल भैरव की पूजा होती है। सावन महीने में भगवान काल भैरव की पूजा का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। इनकी पूजा से सभी तरह के रोग, शोक और दोष दूर हो जाते हैं। शिव पुराण के मुताबिक भगवान काल भैरव भगवान शिव का रौद्र रूप हैं। नारद पुराण के अनुसार हर तरह की बीमारियों और परेशानियों से बचने के लिए भगवान काल भैरव की पूजा की जाती है।
नारद पुरण के अनुसार काल भैरव की पूजा का दिन
नारद पुराण के अनुसार कालाष्टमी के दिन काल भैरव और मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। इस रात उपासना करने वालों को आधी रात के बाद देवी काली की उसी तरह से पूजा करनी चाहिए जैसा दुर्गा पूजा में सप्तमी को देवी कालरात्रि की पूजा का विधान है। इस दिन रात को माता पार्वती और भगवान शिव की कथा सुनकर जागरण करना चाहिए। व्रत करने वाले को फलाहार ही करना चाहिए। इस दिन कुत्ते को भोजन करवाना शुभ माना जाता है।
भगवान भैरव की सात्विक पूजा का दिन
शिव पुराण के अनुसार भगवान शंकर ने बुरी शक्तियों को भागने के लिए रौद्र रुप धारण किया था। काल भैरव इन्हीं का स्वरुप है। हर महीने आने वाली कालाष्टमी तिथि पर काल भैरव के रूप में भगवान शिव के रौद्र रूप की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान भैरव की सात्विक पूजा करने का विधान है। पूरे दिन व्रत रखा जाता है और सुबह-शाम काल भैरव की पूजा की जाती है।
नारद पुराण में बताया है महत्व
नारद पुराण में बताया गया है कि काल भैरव की पूजा करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भगवान काल भैरव की पूजा से अकाल मृत्यु नहीं होती। हर तरह के रोग, तकलीफ और दुख दूर होते हैं। काल भैरव का वाहन कुत्ता है। इसलिए इस व्रत में कुत्तों को रोटी और अन्य चीजें खिलाई जाती हैं। इस दिन व्रत और पूजा करने से घर में फैली हुई हर तरह की नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है।