Indian News : नई दिल्ली | गुप्त नवरात्री मानने वाले के लिए इस बार काफी अच्छा संयोग बन रहा है, यह नवरात्री हिंदू पंचांग के अनुसार पहली आषाढ़ शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवमी तिथि तक मनाई जाती है। इस बार यह तिथि 30 जून से शुरू होकर 8 जुलाई तक मनाई जाएगी। इस गुप्त नवरात्री के अवसर में 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है। यह समय महाकाली एवं भगवान शिव यानी कि शाक्त और शैव की पूजा करने वालों के लिए विशेष माना जाता है। तंत्र साधक इस दौरान विशेष साधनाएं करते हैं। इस बार आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि में कई विशेष योग बन रहे हैं। जिससे इस नवरात्रि का महत्व और भी बढ़ गया है।
शुभ संयोगो में होगा गुप्त नवरात्रि का आरंभ
ज्योतिषियों के अनुसार इस बार गुप्त नवरात्री के पहले दिन कई शुभ योग एक साथ बनने जा रहे हैं। जिसके कारण इस नवरात्रि का महत्व और भी बढ़ गया है। इस दिन गुरु पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग के साथ पुष्य नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है।
इन सारे शुभ योगों में घट स्थापना करना शुभ फल देने वाला है। इसके अलावा इस दिन ध्रुव योग सुबह 09:52 तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इन सभी योगों को शुभ कार्यों के लिए उत्तम माना गया है।
इस बार तिथि का क्षय व अधिक होने से गुप्त नवरात्रि पूरे 9 दिन की रहेगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा अर्चना की जाती है। इस दौरान तंत्र विद्या का खास महत्व है।
क्या है गुप्त नवरात्रि का महत्व
इस गुप्त नवरात्रि में गुप्त विद्याओं की सिद्धि के लिए विशेष साधनाएं की जाती है। इस नवरात्रि में तंत्र साधनाओं का महत्व होता है। तंत्र साधनाओं को गुप्त रूप से ही किया जाता है। इसलिए इसे गुप्त नवरात्री कहा जाता है। इसमें विशेष कामनाओं की सिद्धि की जाती है।
अघोर तांत्रिक लोग गुप्त नवरात्रि में महाविद्याओं को सिद्ध करने के लिए खास उपासना करते हैं। यह नवरात्रि मोक्ष की कामना के लिए भी की जाती है। इस नवरात्रि में साधक बेहद कड़े नियम का पालन करते हैं।
इस समय में भगवान विष्णु शयन काल की अवधि में होते हैं। इस कारण दैवीय शक्तियां कम होने लगती है। उस समय पृथ्वी पर रुद्र, वरुण, यम आदि का प्रकोप बढ़ने लगता है। इन विपत्तियों से बचने के लिए गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की उपासना की जाती है।
गुप्त नवरात्रि की दस देवियां काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, कमला है। इन 10 महाविद्याओं का संबंध अलग-अलग देवियों से हैं।