Indian News : आज के बिज़नेस आईडिया (business idea ) में हम बात करेंगे यूकेलिप्टस यानी सफेदे के पेड़ की। (Eucalyptus) का नाम सुनते ही मन नकारात्मकता (negative ) से भर जाता है। लेकिन गोंडा जिले के वजीर गंज इलाके में रहने वाले अरुण पांडेय ने न सिर्फ इसके औषधीय गुणों (medicinal properties) पहचाना बल्कि इससे निकलने वाले तेल के जारिए लोगों को स्वस्थ्य और समृद्ध बनाने में जुटे हुए हैं. सफेदे के पेड़ से निकलने वाला तेल और शहद सेहत के लिए संजीवनी साबित हो रहा है।

आमतौर पर लोग यूकेलिप्टस (Eucalyptus) के पेड़ को लकड़ी के प्रयोग के लिए जानते हैं. यह पेड़ बहुत ज्यादा पानी सोखता है, इसलिए इसे नदी- नहर किनारे या दलदली इलाके में लगाया जाता है। इसके पत्तियों से तेल निकालकर दवा बनती है। हालांकि बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि इसके फूल से शहद भी बनता है। यह शहद बाल और स्किन के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद माना जाता है।

गोंडा ने युवा ने शुरू किया कारोबार




यूकेलिप्टस (Eucalyptus) से निकलने वाला तेल और शहद का स्वाद लोगों को खूब भा रहा है. वजीरगंज के परसहवा निवासी अरुण कुमार पाण्डेय ने इसकी पहल की है। वे दिल्ली यूनिवर्सिटी|(delhi university ) से ग्रेजुएट हैं और आईएएस(IAS ) की तैयारी कर रहे हैं। ग्रेजुएट(Graduate ) की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने आईएएस की तैयारी की

देशभर में होती है सप्लाई (supply)

उन्होंने बताया कि दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन (graduation ) करने के बाद उन्होंने आईएएस की तैयारी शुरू की. इसके साथ ही यूकेलिप्टस (Eucalyptus) की पत्ती से तेल निकालने का प्लांट (plant ) लगाया. वे साल में 50 से 60 क्विंटल तेल निकाल लेते हैं, जिसकी सप्लाई देशभर में होती है ,इस बिजनेस (business ) से वे अच्छा खासा मुनाफा (profit )कमा रहे हैं।

यह पौधा पर्यावरण (environment ) हितैषी

अरुण पांडेय ने बताया कि पर्यावरण (environment ) के हिसाब से इस पौधे को खराब कहने की बात बिल्कुल झूठी है. यूकेलिप्टस (Eucalyptus) का पेड़ पानी में बढ़ता है लेकिन हाइब्रिड (hybrid ) यूकेलिप्टस ज्यादा पानी बर्दाश्त नहीं कर सकता है. यह ज्यादा देर पानी में रहता है तो इसके सूखने का खतरना बढ़ जाता है. इस हिसाब से यह पौधा पर्यावरण हितैषी है और साथ ही औषधि के हिसाब से भी काफी महत्वपूर्ण है।

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