Indian News : संस्कृति मंत्रालय देश भर में लापता हुए या अवैध कब्जे का शिकार हुए पुरातात्विक महत्व के स्मारकों का पता लगाने में उतना कामयाब नहीं हुआ है. हालांकि पता लगाने की कवायद सरकारी रफ्तार से चल रही है. हाल ही में पुरातत्व सर्वेक्षण के सूत्रों ने यह रिपोर्ट दी है कि देश के कई राज्यों में मौजूद पुरातात्विक महत्व के 100 से ज्यादा स्मारक या तो लापता हैं या फिर इस कदर कब्जा किए गए हैं कि उनका अस्तित्व आसानी से पता नहीं चलता.

हाल के वर्षों में गायब हुए इन ऐतिहासिक स्मारकों की सूची में फरीदाबाद के मुजेसर और कुरुक्षेत्र के शाहाबाद में अकबर के जमाने में बनवाई गई कोस मीनार, अल्मोड़ा के द्वाराहाट इलाके में माता कुटुंबरी मंदिर, दिल्ली के बाराखंबा रोड पर स्थित ईसाई कब्रिस्तान और कोटला इलाके में इंछला वाली गुमटी के नाम से मशहूर छतरी, जम्मू कश्मीर का गुफा मंदिर और आगरा की ऐतिहासिक पुराने शहर की चारदीवारी सिटी वॉल भी शामिल है. 

ये स्मारक बिहार, यूपी, दिल्ली, उत्तराखंड, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, जम्मू कश्मी , हरियाणा और ओडिशा सहित कई राज्यों में स्थित हैं. हाल ही में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की कई टीमों को देश के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद इन कथित रूप से लापता स्मारकों का पता लगाने भेजा था. लेकिन ये सर्वेक्षण दल एक-एक कर बैरंग लौट रहे हैं. इन सर्वेक्षण टीमों ने कथित रूप से लापता स्मारकों का पता लगाने भेजा था. लेकिन ये सर्वेक्षण दल एक-एक कर बैरंग लौट रहे हैं. इन सर्वेक्षण टीमों ने कथित रूप से लापता या अस्तित्व खो चुके इन स्मारकों को संरक्षित स्मारकों की सूची से हटाने के लिए की सिफारिश की है |




हालांकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि विभाग ने इन लापता हुए स्मारकों की खोज जारी रखने को कहा है. दिल्ली में एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल ने बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने 1919 में पुरातात्विक महत्व के संरक्षित स्मारकों की सूची बनाई थी. कुछ स्मारक जो पुराने दस्तावेजों में दर्ज थे, लेकिन समय की मार खाकर या तो लगभग ढह चुके थे या लोगों ने उस पर जबरन कब्जा कर लिया था. उन्हें भूमि राजस्व रिकॉर्ड में मौजूद खसरा संख्या और चौहद्दी के हिसाब से ढूंढ लिया गया. फिर शुरू हुआ अवैध कब्जादारों से स्मारकों की मुक्ति का सिलसिला. लेकिन अभी भी लगभग 100 स्मारक ऐसे हैं, जिन के परिसरों तक सर्वे टीम को जाने ही नहीं दिया गया गया.

अब से करीब नौ साल पहले 2013 में लेखा महानियंत्रक यानी सीएजी की रिपोर्ट में भी 94 स्मारकों के लापता होने का ब्योरा है. इसके बाद से पुरातत्व निदेशालय ने अपने सभी सर्किल के अधीक्षण पुरातत्वविदों को निर्देश जारी कर इन संरक्षित स्मारकों सर्वेक्षण कराने का को कहा था. महानिदेशालय का निर्देश था कि लापता हुए या अस्तित्व खोने के कगार पर पहुंच गए स्मारकों का पता भूमि राजस्व लेखा विभाग में मौजूद रिकॉर्ड में दर्ज खसरा नंबर और चौहद्दी के आधार पर लगाया जाए.

बाद में जो जानकारी मिली उसके आधार पर एसआई ने 2017 में नए सिरे से देशभर में मौजूद पुरातात्विक महत्व के संरक्षित स्मारकों की सूची तैयार करने को कहा. फिर करीब साल भर की कवायद के बाद 2018 में सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी हुई. रिपोर्ट में बताया गया कि जो 94 स्मारक लापता थे, उनमें से 26 तो अस्तित्व में ही नहीं है. यानी वह नहीं मिले. इनमे से 14 स्मारक शहरीकरण की भेंट चढ़ गए. 12 स्मारक बांध और जलाशय के डूब क्षेत्र में आ गए. जबकि 42 स्मारकों का पता तो चला, लेकिन उन पर लोगों ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है. वहां तक सुरक्षित तरीके से टीम को जाने दिया जाए तो सर्वेक्षण और संरक्षण का काम किया जा सकता है |

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