Indian News : यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि एक भारतीय मध्यवर्गीय परिवेश में पली-बढ़ी लड़कियां कम उम्र में सयानी हो रही हैं। सयाने होने से मेरा मतलब आजकल लड़कियों को न केवल 11-12 साल में ही माहवारी शुरू हो रही है बल्कि उनका शारीरिक विकास भी तेजी से होने लगा है।
मैं भी उन्हीं लड़कियों में एक थी, जो बहुत कम उम्र में ही बड़ी हो गई थी। हां, वो बात अलग है कि मुझे अपने माता-पिता से कभी किसी तरह की कोई आजादी नहीं मिली थी। दरअसल, मैं एक ऐसे परिवार से आती थी, जहां न केवल आपको अपने बालों में तेल के साथ चंपी करनी ही है बल्कि उन्हें खोलने की आजादी भी केवल रविवार के दिन ही थी।
हालांकि, मेरे लिए यह सब काफी अप्रिय था, क्योंकि तभी मैंने यौवन जीवन की शुरुआत की थी। मैं भी दूसरी लड़कियों की तरह सुंदर दिखना चाहती थी। सच कहूं तो मैं भी लड़कों को पसंद करने लगी थी।
मेरी बातों से अब तक आप समझ गए होंगे कि मैं उन लड़कियों में से एक थी, जिनकी माओं ने न केवल उन्हें अपने गले में दुपट्टा पहनने के लिए मजबूर किया बल्कि रंगीन फ्रॉक के बजाए सूट खरीदकर दिए। फरीदाबाद की तेज गर्मी में जब दूसरी लड़कियां शॉर्ट्स-फ्रॉक और पजायमा पहनकर खुद को आराम देती थीं। उस समय भी मेरे गले में मोटी चुन्नी होती थी।
मैं एक ठेठ भारतीय परिवार में जन्मी लड़की थी, जिसके हर एक कदम पर कड़ी नजर रखी जाती थी। मेरे पास बाल कटवाने का कोई विकल्प नहीं था। मैं उन्हें क्लिप के साथ भी खोल नहीं सकती थी। मेरे बाल घुंघराले थे, जिसकी वजह से उनमें हर वक्त खूब सारा तेल लगा रहता था।
मैं अपने स्कूल की अन्य लड़कियों की तरह कभी भी सुंदर महसूस नहीं करती थी। कहने की जरूरत नहीं है कि मैं खुद से बहुत घृणा महसूस करती थी। मुझे यकीन हो गया था कि मैं कभी सुंदर नहीं लग सकती। (सभी तस्वीरें सांकेतिक हैं, हम यूजर्स द्वारा शेयर की गई स्टोरी में उनकी पहचान गुप्त रखते हैं)
मैं भी लड़कों से बात करने के लिए मर रही थी…
जब मैं छठी कक्षा में पहुंची तब तक मेरी कुछ दोस्तों ने बॉयफ्रेंड भी बना लिए थे। वह सब साथ में खूब मस्ती करते थे। मैं अकेली ऐसी लड़की थी, जिसे उन्होंने अपनी क्लास में सबसे मेहनती बच्चा होने के लिए छोड़ दिया था, जो किसी लड़के से नहीं बल्कि अपनी किताबों से प्यार करती थी।
हालांकि, यह कोई नहीं जानता था कि मैं भी मस्ती करने-फ्रॉक पहनने और लड़कों पर मरने के लिए अंदर ही अंदर मर रही थी। मैं जिंदगी घर से स्कूल और स्कूल से घर के बीच ही थी। इसी बीच मेरे साथ कुछ ऐसा हुआ, जिसने मुझे पहले से भी ज्यादा डरपोक बना दिया।
दरअसल, जब हम सब क्लास में पढ़ रहे थे, तो मेरे अंग्रेजी के टीचर ने बैकबेंचर से एक प्रश्न का उत्तर देने के लिए कहा। वह स्पष्ट रूप से उस सवाल का उत्तर नहीं दे सका। ऐसा इसलिए क्योंकि वह क्लास की दूसरी लड़की के साथ नोट्स पास करने में व्यस्त था।
आपको लग रहा होगा मैं यह सब कैसे जानती हूं, तो आपको बता दूं मुझे उस लड़के पर थोड़ा क्रश था। हालांकि, उसके सवाल का मैंने जवाब दिया था, जिसके बाद शिक्षक के पालतू जानवर के रूप में चिढ़ाया गया था।
तुमने कभी अपने तेल से सने हुए बालों को देखा है…
क्लास खत्म होने के बाद वह लड़का मेरे पास आया और मुझे उठाकर बोला ‘तुमने कभी अपने तेल से सने हुए बालों को देखा है।’ वह दूसरों के साथ मेरा मजाक बनाने लगा। उसने आगे कहा कि ‘बेवकूफ लड़की सुंदर होना भी नहीं जानती।’ मैं उसका सामना नहीं कर सकती थी। मैंने नीचे की तरफ देखा और मैं रोने लगी। मुझे लगा यह आज के बाद कभी नहीं होगा। लेकिन वह हर रोज की बात हो गई। उस लड़के और उसके दोस्तों ने मुझे धक्का देकर-मेरी किताबें गिराकर या मेरे बालों पर पानी फेंककर, मेरे घुंघराले बालों का खूब मजाक उड़ाया था।
वह मुझे सब परेशान करने लगे थे। इस घटना के बाद मेरा उस पर से क्रश भी जल्दी से फीका पड़ गया। मैं खूब रोती थी। मैं चिल्ला-चिल्लाकर कहना चाहती थी कि मैं सुंदर क्यों नहीं हो सकती। हालांकि, मैं कुछ नहीं कर सकती थी। मेरे साथ यह बदसलूकी सालों तक चलती रही। जब तक कि मैंने कक्षा ग्यारहवीं में आकर अपना स्कूल नहीं बदल लिया। मेरा आत्म-सम्मान पूरी तरह से टूट चुका था। मैं वह डरपोक लड़की बन गई थी, जिसे हमेशा डराया-धमकाया जाता था। मैंने उस लड़के को फिर कभी नहीं देखा।
मुझे घर से दूर हॉस्टल में रहने का मौका मिला…जब मैंने कॉलेज शुरू किया, तो चीजें पहले से काफी हद तक बदल चुकी थीं। ऐसा इसलिए क्योंकि मैं घर से काफी दूर हॉस्टल में रह रही थी। मुझे अपने बालों को खोलने का मौका मिला। मुझे अपने लुक्स के साथ छेड़छाड़ करने की भी पूरी आजादी थी। सच कहूं तो मैंने प्रतिबंधों की परवाह न करते हुए खुद को स्वतंत्र महसूस किया था। मैंने अच्छे दोस्त बनाए थे। उनमें कुछ इतने करीब थे कि मैंने आखिरकार उन्हें अपने साथ हुए इस घटनाक्रम के बारे में भी बताया। समय के साथ-साथ मेरे अंदर बदलाव आने लगे थे।
कॉलेज के चार साल कब बीत गए मुझे पता ही नहीं चला। मैंने पहली बार अपनी समझ और अपने आसपास के मज़ेदार दोस्तों की मदद से सुंदर और आत्मविश्वास से भरा हुआ महसूस किया था। मैं एक अच्छे प्रमाण पत्र के साथ घर लौटी। मैंने अपने पैरेंट्स से परास्नातक PG के लिए दूसरे कॉलेज में प्रवेश दिलाने को कहा। मेरे माता-पिता वास्तव में मुझ पर गर्व महसूस कर रहे थे। मैं भी काफी खुश थी। इस बार मैंने अपनी मां को अपने बालों में खुशी-खुशी तेल लगाने भी दिया था।
मैं फिर उसी लड़के से टकरा गई
दूसरे कॉलेज में मेरा पहला दिन था। मैं काफी खुश थी। हालांकि, मैं नहीं जानती थी कि यह खुशी बस पल भर की है। दरअसल, अपने नए कॉलेज में मैं उसी व्यक्ति से मिली, जिसे मैं अपने जीवन में फिर कभी नहीं देखना चाहती थी। यह वही बैकबेंचर था, जिसने स्कूल में मुझे पल-पल मरने पर मजबूर कर दिया था। मैं उसे देखते ही ठिठक गई।
मुझे समझ नहीं आया कि मुझे क्या करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि मैं फिर से उसकी बदमाशी का सामना नहीं करना चाहती थी। लेकिन फिर मुझे याद आया कि अब मैं एक मजबूत और आत्मविश्वास से भरी लड़की हूं, जिसे उससे डरने की जरूरत नहीं है। उसने भी मुझे पहचान लिया था। वह भी मुझे घूर-घूर के देखने लगा था।
उसने मुझे सॉरी के साथ सैकड़ों मैसेज किए
उन दिनों फेसबुक की शुरूआत हुई थी। यह हर किसी के लिए हॉट टॉपिक बना था। मैं भी खुद को अपडेट रखना चाहती थी, जिस पर मैंने भी अपना अकाउंट बना लिया था। एक दिन मुझे उस लड़के से एक मैसेज के साथ फ्रेंड रिक्वेस्ट मिली, जिसकी शुरूआत सॉरी से हुई। उन्होंने उस समय स्कूल में मुझे धमकाने के बारे में मुझसे माफी मांगी थी।
उसके सभी संदेशों में सैकड़ों सॉरी लिखी थी। मैंने जवाब देते हुए लिखा अब क्यों? कुछ समय बाद उसका मैसेज आया, जिसमें उसने कहा कि उसने महसूस किया था कि बदमाशी करना एक भयानक काम था। ऐसा इसलिए क्योंकि कॉलेज के दिनों में उसे भी इसी तरह की चोट का सामना करना पड़ा था।
उसे अपनी गंभीर गलती का एहसास हुआ। मुझे उस पर तरस आया। लेकिन मैंने यह नहीं दिखाया। ऐसा इसलिए क्योंकि मुझे पता था कि इस तरह की घटना का सामना करने के बाद कितना दुख होता है। उसने मुझसे पूछा कि क्या मैं अगले दिन कैंपस के बाहर स्टॉल पर उसके साथ चाय पी सकती हूं। मैंने हां कह दिया। मुझे नहीं पता कि मैंने ऐसा क्यों किया। लेकिन अब जब मैं इसके बारे में सोचती हूं, तो शायद इसलिए क्योंकि मुझे अभी भी उस पर एक छोटा सा क्रश था।
उसने मुझे शादी के लिए प्रपोज कर दिया
हम अगले दिन मिले और वह वास्तव में अपने पहले किए गए कामों के लिए पछता रहा था। उसने फिर मेरे आगे क्षमा याचना की। उसने इस दौरान मेरी तारीफ भी की। हालांकि, मैं बहुत जल्दी से हार मानने वाली नहीं थी। लेकिन उसके प्रति मेरा झुकाव बढ़ता ही जा रहा था। कुछ दिनों तक मिलने-जुलने के बाद हम दोनों को एहसास हुआ कि हम एक-दूसरे से प्यार करने लगे हैं। साल बीत गए। हम दोनों अब एक रिश्ते में थे।
एक साल पहले उसने मुझे शादी के लिए प्रपोज किया। मैंने एकदम हां कह दिया। हम दोनों ने पिछले मतभेदों को अपने से बहुत दूर छोड़ दिया था। मैंने कभी नहीं सोचा था कि जिससे मैं सबसे ज्यादा नफरत करती हूं। वह हमेशा के लिए मेरा साथी बन जाएगा। जीवन वास्तव में अप्रत्याशित है। किस मोड़ पर क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता।