Indian News : देश में 2024 के लोकसभा चुनावों में इंदौर में दो लाख अट्ठारह हजार लोगों ने नोटा को पसंद किया | पूरे देश से इस चुनाव में नोटा को लगभग साठ लाख वोट मिलें, अब आप बताइए नोटा बटन के इस्तेमाल की मतदाता को ज़रूरत क्यूं महसूस हुई यह विचारणीय प्रश्न है ? नोटा का अर्थ होता है “नाॅन ऑफ द अबोव” अर्थात इनमें से कोई नहीं जो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर सूचिबद्ध सभी उम्मीदवारों को अस्वीकार करने का अधिकार मतदाता को देता है | यह काले रंग का क्रास का निशान होता है, जिसे उम्मीदवारों की सूची के अंत में अंकित किया जाता है | अब प्रश्न यह है कि इसके इस्तेमाल की जरूरत मतदाता क्यों महसूस कर रहा है और अधिक इस्तेमाल नोट बटन का हो रहा है | यह आप उपरोक्त आंकड़े देख ही चुके हैं, हमारी सूची में शामिल उम्मीदवार मतदाता को सही नहीं लग रहें हैं | इसका सीधा और स्पष्ट अर्थ यही है ऐसी दशा में सरकार और भारतीय निर्वाचन आयोग को यह विचार करना होगा कि यदि नोटा बटन का अधिक इस्तेमाल होगा | तो सम्भवतः चुनाव दोबारा भी कराने पड़ सकता हैं | चुनावी प्रक्रिया में इस तरह होने वाले अनावश्यक खर्च को कम करने के लिए हमें उम्मीदवारों के नामांकन प्रक्रिया पर कुछ विशेष नियम एवं शर्त लागू करनी होगी | जिसके तहत अधिक काबिल उम्मीदवार और साफ छवि के प्रत्याशी ही नामांकन दाखिल कर सकें | क्योंकि सूचिबद्ध उम्मीदवारों में से काबिल होते तो मतदाता को नोटा की जरूरत नहीं पड़ती है |

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आइए जानते है किन प्रदेशों में नोट की क्या स्थिति रही ?

हरियाणा प्रदेश के दस लोकसभा क्षेत्रों में 2024 के चुनावों में 43,539 वोट नोटा को मिलें, फरीदाबाद लोकसभा चुनाव 2024 में भी 6821 लोगों ने नोटा बटन दबाकर अपना निर्णय दिया | पूरे राज्य में सर्वाधिक नोटा वोट वाला जिला फरीदाबाद रहा | यह विचारणीय प्रश्न है, ऐसा क्यूं करना पड़ा ? हर एक वोटर अपनी पसंद के योग्य उम्मीदवार को चुनना चाहता है | लेकिन मतदाता की विवशता है कि उसे योग्य उम्मीदवार ना मिलने पर या उसकी कसौटी पर खरा ना उतरने पर ही उसे नोटा बटन विकल्प का इस्तेमाल करना पड़ता है ।

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पहली बार 2009 में शुरू हुआ नोटा बटन का इस्तेमाल 2013 के विधानसभा चुनावों ने भारत में नोटा विकल्प की शुरुआत की गई । अब देश का शिक्षित वर्ग जाति और क्षेत्र वाद में बहकने वाला नहीं रहा, वह काबिल उम्मीदवार की परख करने की सामर्थ्य रखता है | नोटा पर सबसे अधिक वोट देने वाले राज्यों में बिहार, गुजरात, मध्यप्रदेश, ओडिशा, गोवा, आंध्र प्रदेश और झारखंड आदि राज्य पाएं गए हैं । जागरूक मतदाता जब इंदौर की तरह अधिक संख्या में चुनाव में अपनी रूचि और विश्वास सूची में शामिल उम्मीदवारों पर नहीं जताएं और नोटा बटन के लिए विवश हो तो उसकी निष्ठा और विश्वास का भी ध्यान रखना चाहिए ताकि लोकतांत्रिक व्यवस्था और संवैधानिक प्रक्रिया के इस मतदान पर्व और दायित्व को सभी नागरिक सहर्ष निभा सकें ।

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