Indian news : रायपुर: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राष्ट्रीय वन शहीद दिवस के अवसर पर बहादुर वनकर्मियों और पर्यावरण संरक्षकों को नमन किया। उन्होंने कहा कि यह दिन उन वीरों के साहस और बलिदान को सम्मानित करने का है, जिन्होंने वनों और वन्यजीवों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। मुख्यमंत्री ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने और भावी पीढ़ियों के लिए प्रकृति की धरोहर को संरक्षित रखने का आह्वान किया।

राष्ट्रीय वन शहीद दिवस का महत्त्व : मुख्यमंत्री साय ने कहा कि हर साल 11 सितंबर को राष्ट्रीय वन शहीद दिवस उन वीर वनकर्मियों और पर्यावरण संरक्षकों की स्मृति में मनाया जाता है, जिन्होंने वनों और वन्यजीवों की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया। उन्होंने कहा कि यह दिन हमें उन अदम्य वीरों की याद दिलाता है, जिन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए अपनी जान की परवाह नहीं की।

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बिश्नोई समाज का ऐतिहासिक योगदान : मुख्यमंत्री ने बिश्नोई समाज के ऐतिहासिक योगदान को याद करते हुए कहा कि राजस्थान के बिश्नोई समाज के सदस्यों ने पेड़ों की कटाई के विरोध में अपने प्राणों की आहुति देकर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक मिसाल कायम की। उनके इस बलिदान को सम्मान देने के लिए राष्ट्रीय वन शहीद दिवस की शुरुआत की गई। यह दिवस हमें पर्यावरण संरक्षण के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक जिम्मेदारी निभाने की प्रेरणा देता है।

पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता का संदेश : राष्ट्रीय वन शहीद दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वन और वन्यजीव हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, और हमें इन्हें संरक्षित करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वनकर्मियों का बलिदान हमें यह याद दिलाता है कि पर्यावरण की सुरक्षा हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।

वनकर्मियों का साहस और समर्पण : साय ने उन वनकर्मियों के साहस और समर्पण की सराहना की, जिन्होंने जंगलों और वन्यजीवों की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। उन्होंने कहा कि ये बहादुर वनकर्मी हमारे समाज के असली नायक हैं, और उनके बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सभी नागरिकों से अपील की कि वे पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दें और प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित रखें।

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आने वाली पीढ़ियों के लिए धरोहर : मुख्यमंत्री ने कहा कि वन और पर्यावरण की सुरक्षा केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए ही नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी आवश्यक है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारी प्राकृतिक धरोहर संरक्षित रहे, ताकि भविष्य की पीढ़ियां एक स्वस्थ और संतुलित पर्यावरण में जीवन यापन कर सकें।

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