Indian News : पटना | बिहार की राजधानी पटना में छठ पूजा के शुभ अवसर पर शहर के विभिन्न घाटों को खूबसूरत मधुबनी पेंटिंग से सजाया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य न केवल घाटों की सुंदरता को बढ़ाना है, बल्कि बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को भी उजागर करना है। छठ व्रतियों और पर्यटकों के बीच इस रंग-बिरंगी सजावट को लेकर खासा उत्साह देखने को मिल रहा है।
मधुबनी पेंटिंग की विशेषता
मधुबनी पेंटिंग बिहार की पारंपरिक कला है, जिसे विशेष रूप से प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके बनाया जाता है। यह पेंटिंग भारतीय मिथकों, लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित होती है। इस कला में प्रकृति, देवी-देवता, पशु-पक्षी और पारंपरिक डिजाइन देखने को मिलते हैं, जो श्रद्धालुओं को एक अलग ही अनुभव प्रदान करते हैं।
छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा बिहार का प्रमुख त्योहार है, जिसमें श्रद्धालु सूर्य देवता की पूजा कर अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की प्रार्थना करते हैं। इस पूजा के दौरान व्रतधारी विभिन्न घाटों पर जाकर उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस वर्ष पटना के घाटों को मधुबनी पेंटिंग से सजाने का निर्णय लिया गया है ताकि भक्तों के पूजा अनुभव को और अधिक पवित्र और सौंदर्यपूर्ण बनाया जा सके।
घाटों पर मधुबनी कला का प्रभाव
पटना के विभिन्न घाटों जैसे गंगा घाट, गांधी घाट और दीघा घाट पर मधुबनी पेंटिंग ने आकर्षण का केंद्र बना दिया है। वहां आने वाले लोग इस पारंपरिक कला की सराहना कर रहे हैं। इस अद्भुत पहल से ना केवल घाटों की सुंदरता बढ़ी है बल्कि पर्यटन को भी प्रोत्साहन मिल रहा है। घाटों पर सजावट को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे हैं और छठ पूजा की तैयारियों में मधुबनी कला की छटा अद्वितीय माहौल बना रही है।
प्रशासन और कलाकारों का योगदान
इस आयोजन को सफल बनाने के लिए प्रशासन और स्थानीय कलाकारों ने मिलकर काम किया है। घाटों की सफाई, पेंटिंग का काम और सुरक्षा का खास ख्याल रखा गया है। प्रशासन ने इस पहल के लिए विभिन्न कलाकारों को घाटों पर बुलाया है ताकि वे अपनी कला के जरिए घाटों को सजाएं और छठ पूजा के पवित्र अवसर को और भव्य बनाएं।
राज्य के सांस्कृतिक धरोहर को संजोने की पहल
मधुबनी पेंटिंग के जरिए राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को उजागर करने का प्रयास किया जा रहा है। छठ पूजा के अवसर पर इस पारंपरिक कला का प्रदर्शन लोगों के बीच बिहार की कला और संस्कृति के प्रति जागरूकता बढ़ाने का भी एक कदम है। यह पहल बिहार के सांस्कृतिक वैभव को संजोने और भविष्य की पीढ़ी को प्रेरित करने की दिशा में एक अहम प्रयास है।
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