Indian News : उदयपुर। राजस्थान के उदयपुर संभाग में हर ढाई साल में गांव के सभी पुरुष पूरा एक दिन मंदिर में बिताते हैं और इस दौरान वे घर का बना हुआ खाना और पानी तक नहीं पीते हैं। पुरुष मंदिरों में जाकर भगवान की भक्ति करते हैं। बांसवाड़ा जिले में यह परंपरा कई सालों से चली आ रही है। मगर, क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों करते हैं इस गांव के लोग।

आखिर हर ढाई साल में ही उन्हें एक दिन के लिए मंदिर की शरण में क्यों जाना पड़ता है और मुखिया को मंदिर में चप्पल छोड़कर लौटने का क्या कारण है। अगर नहीं, तो हम आपको बता रहे हैं कि ऐसा न्यायाधीश माने जाने वाले शनिदेव के कारण होता है। वह हर ढाई साल में राशि परिवर्तन या घर बदलते हैं।

29 अप्रैल को सुबह वह मकर राशि छोड़कर कुंभ में गए हैं।




इंदौर के ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास ने बताया कि इसका प्रभाव मिथुन, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ, मीन आदि पर रहेगा। लिहाजा, अपने घर की सुख-शांति और समृद्धि के लिए इस राशि के घर के मुखिया 12 घंटे पहले 28 अप्रैल को शाम 7 बजे से पहले घर से निकल गए थे।


वह 29 अप्रैल को शाम 7 बजे के बाद नई चप्पल या वस्त्र पहनकर पूजा, भजन, दान आदि कर घर लौटेंगे। इस दौरान विशेष रूप से भगवान हनुमान और शनि देव के मंदिर में पूजा की जाती है, ताकि शनिदेव की उन पर कृपा बनी रहे। इससे शनि की साढ़ेसाती और वक्र दृष्टि सहित अन्य समस्याएं दूर होती हैं। स्नान और पूजा करने के बाद, उन्हें अगले दिन घर लौटने की अनुमति दी जाती है।

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