Indian News : इंडोनेशिया और मलेशिया में पॉम की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। इससे प्राप्त होने वाला पॉम ऑयल खाद्य तेलों के रूप में इस्तेमाल किया जाता हैं। छत्तीसगढ़ की भौगोलिक स्थिति और जलवायु पाम की खेती के लिए उपयुक्त है। राज्य में इसकी खेती ( farming) की विपुल संभावनाओं को देखते हुए इसकी खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।
पॉम ऑयल के खाद्य तेलों के अलावा यह कास्मेटिक उत्पाद बनाने के लिए भी उपयोग किया जाता है। अभी तक हमारे देश में पॉम ऑयल विदेशों से आयात किया जा रहा है।
राज्य में पॉम ऑयल की खेती 7187 हेक्टेयर
छत्तीसगढ़ की जलवायु इसकी खेती के लिए अनुकूल होने के कारण महासमुंद, बालोद, कोरबा, कांकेर क्षेत्रों में इसकी खेती की जा रही है। राज्य में पॉम ऑयल की खेती 7187 हेक्टेयर में की जा रही है और इसका रकबा लगातार बढ़ते जा रहा हैं। वर्तमान में छत्तीसगढ़ में 467.65 मिटरिक टन पॉम ऑयल का उत्पादन हो रहा है। इसमें और वृद्धि की संभावना है।
एक वर्ष में 15 से 30 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन
गौरतलब है कि ऑयल पॉम की पौधे का जीवन काल 30 वर्ष होता इसका उत्पादन रोपण के तीन वर्ष के बाद शुरू होता है जो एक वर्ष में 15 से 30 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन होता है। साथ ही 4 से 6 टन ऑयल का उत्पादन प्रति वर्ष होगी। इससे किसान को औसतन डेढ़ से ढाई लाख रूपये आय होगी।