Indian News : नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद केंद्र सरकार ने पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माना दोगुना कर दिया है। पर्यावरण मंत्रालय ने गुरुवार को नोटिफिकेशन जारी कर नए नियमों की जानकारी दी। इसके तहत, अब पराली जलाने पर 2 एकड़ से कम जमीन पर 5000 रुपए, 2 से 5 एकड़ पर 10,000 रुपए और 5 एकड़ से अधिक जमीन पर 30,000 रुपए का जुर्माना लगेगा। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली की राज्य सरकारें इन नियमों को सख्ती से लागू करने के लिए बाध्य होंगी।

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सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद उठाया कदम





4 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने के मामले में सुनवाई करते हुए पंजाब और हरियाणा से 14 नवंबर तक जवाब मांगा था। कोर्ट ने वायु प्रदूषण के गंभीर प्रभावों को देखते हुए पराली जलाने पर सख्त नियमों की जरूरत पर बल दिया। इसके साथ ही, केंद्र सरकार को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (EPA) के तहत नियम बनाने और जिम्मेदार अधिकारियों की नियुक्ति करने के निर्देश दिए गए थे। इसके बाद ही केंद्र सरकार ने पराली जलाने पर जुर्माना दोगुना करने का फैसला किया।

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छोटे और बड़े किसानों पर अलग-अलग जुर्माना

नई नियमावली के अनुसार, छोटे किसानों पर जुर्माना कम जबकि बड़े किसानों पर ज्यादा जुर्माना लगाया जाएगा। 2 एकड़ से कम जमीन वाले किसानों पर 5000 रुपए, 2 से 5 एकड़ तक के किसानों पर 10,000 रुपए, और 5 एकड़ से ज्यादा जमीन वाले किसानों पर 30,000 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। इसका उद्देश्य बड़े पैमाने पर पराली जलाने वाले किसानों को हतोत्साहित करना है ताकि वायु प्रदूषण को कम किया जा सके।

पर्यावरण मंत्रालय की भूमिका

पर्यावरण मंत्रालय ने इस नोटिफिकेशन में यह स्पष्ट किया है कि उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली की राज्य सरकारें नए नियमों का पालन करवाने के लिए बाध्य होंगी। मंत्रालय का कहना है कि इन राज्यों में पराली जलाने से वायु प्रदूषण की समस्या अधिक होती है, जिससे दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर खतरनाक हद तक पहुंच जाता है।

पराली जलाने से बढ़ता है प्रदूषण


पराली जलाने से वायु में धुएं की मात्रा बढ़ती है, जिससे दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के कई शहरों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब हो जाती है। किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाने से निकलने वाले धुएं में कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और अन्य हानिकारक तत्व होते हैं, जो सांस की बीमारियों और पर्यावरणीय समस्याओं को बढ़ाते हैं।

किसानों के सामने विकल्प और जागरूकता


विशेषज्ञों का कहना है कि केवल जुर्माना बढ़ाने से समाधान नहीं निकलेगा, बल्कि किसानों को पराली प्रबंधन के बेहतर विकल्प भी देने होंगे। सरकार और राज्य प्रशासन पराली प्रबंधन उपकरणों और सब्सिडी का प्रबंध करने पर भी विचार कर रहे हैं ताकि किसानों को पराली जलाने की आवश्यकता न हो। जागरूकता कार्यक्रमों और तकनीकी समर्थन से इस समस्या का स्थायी समाधान किया जा सकता है।

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