Indian News : रायपुर। गरियाबंद (Gariaband)के बीहड़ जंगल (rugged forest)में बसे आमामोरा और ओढ़( Amamora and Odh)गांव में विकास आज भी कोसो दूर है। आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी यहां के ग्रामीण बुनियादी सुविधाओं(infrastructure)के लिए तरस रहे है।

ये है ओडिसा सीमा से लगा गरियाबंद जिले के अंतिम छोर पर बसा आमामोरा गांव। बीहड़ जंगल मे बसा यह गांव आज भी सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं से जूझ रहा है। गांव में आज तक पहुंच मार्ग नही बन पाया है। ग्रामीण पगडंडियों और कच्चे रास्तों से होकर सफर करते है। गांव में मिडिल स्कूल है। आगे की पढ़ाई के लिए बच्चों को 25 किमी का सफर तय करना पड़ता है। यही हाल स्वास्थ्य सुविधाओं का है। इमरजेंसी में तो भगवान भरोसे ही है। ये हाल केवल आमामोरा गांव का ही नही है बल्कि उससे लगी ओढ़ पंचायत और 7 आश्रित गांवो की कहनी भी कुछ ऐसी ही है।

विकास को लेकर शासन के अपने दावे और अपनी मजबूरियां है। पीएमजीएसवाय विभाग का दावा है कि वे 2008 से गांव में सड़क पहुंचाने की जुगत में लगे है। सड़क को लेकर 23 बार टेंडर हो चुका है। लेकिन नक्सलियों के डर से कोई ठेकेदार टेंडर लेने में दिलचस्पी ही नही दिखा रहा है। पुलिस विभाग का भी दावा है कि यदि कोई ठेकेदार टेंडर लेता है तो उसे पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी।




कारण जो भी हो मगर सच्चाई यही है कि आज भी दोनों गांव के लोग बुनियादी सुविधाओं को तरस रहे है। सबसे अहम बात तो ये है कि फिलहाल इनकी समस्याओं का कोई हल होता नजर नही आ रहा है। ऐसे में आमामोरा और ओढ़ के लोगो को बुनियादी सुविधाएं कबतक मुहैया हो पाएंगी यह कह पाना फिहलाल मुश्किल है।

You cannot copy content of this page