Indian News : नईदिल्ली । सितंबर-अक्तूबर में रिक्त होने वाले राज्यपालों और उप राज्यपाल के कुछ पदों पर नियुक्तियों को लेकर राजनीतिक सुगबुगाहट शुरू हो गई है। जिन राज्यपालों का कार्यकाल खत्म हो रहा है, उनमें मेघालय, असम, अरुणाचल प्रदेश व सिक्किम के राज्यपाल और अंडमान-निकोबार के उप राज्यपाल शामिल हैं। वहीं, नगालैंड के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार अभी असम के राज्यपाल जगदीश मुखी के पास है।
राज्यपालों की यह रिक्तियां राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति के चुनाव के ठीक बाद होंगी। जिन पांच राज्यों में नए राज्यपालों की नियुक्ति संभावित हैं, वह सभी पूर्वोत्तर के हैं। ऐसे में इन राज्यों की राजनीति को भी देखा जाएगा। राज्यपालों की नियुक्ति में राजनीतिक संदेश भी होता है, जिसका सीधा असर चुनावी राजनीति पर पड़ता है।
कोविंद के बाद राज्यपालों पर भी नजर- पांच साल पहले राष्ट्रपति चुनाव के समय जिस तरह से बिहार के तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया था, उसे देखते हुए इस बार भी कई राज्यपालों के नामों की अटकलें हैं। हालांकि, इस दफा राष्ट्रपति के चुनाव के लिए अलग फार्मूला अपनाए जाने के संकेत हैं। जिससे सामाजिक समीकरणों को साधने के साथ वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए राजनीतिक संदेश भी दिया जा सके।
येदियुरप्पा, सीपी ठाकुर और धूमल के नाम की चर्चा- सूत्रों के अनुसार, भाजपा में जिन नेताओं का नाम भावी राज्यपालों के लिए चल रहा है, उनमें कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा प्रमुख हैं। कर्नाटक में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के पहले उन पर दांव लगाकर भाजपा राज्य के सबसे मजबूत माने जाने वाले लिंगायत समुदाय को एक बड़ा संदेश दे सकती है। राज्य के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई भी लिंगायत समुदाय से ही आते हैं। हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और बिहार के वरिष्ठ नेता सीपी ठाकुर का नाम भी चर्चा में हैं।
असम के राज्यपाल जगदीश मुखी, अरुणाचल के राज्यपाल बीडी मिश्रा, सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद और अंडमान-निकोबार के उप राज्यपाल डीके जोशी का कार्यकाल अक्तूबर में खत्म हो रहा है। जबकि, मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक का कार्यकाल सितंबर में समाप्त हो जाएगा।
पुडुचेरी में भी उप राज्यपाल का पद रिक्त है, जिसका अतिरिक्त प्रभार तेलंगाना की राज्यपाल तमिलसाई सुंदरराजन के पास है। इसके अलावा दो राज्यपाल ऐसे हैं, जिनका पांच साल का कार्यकाल पहले ही पूरा हो चुका है और उनका दूसरा कार्यकाल चल रहा है। इनमें पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित और गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत हैं। हालांकि, इस दौरान इन दोनों के राज्य जरूर बदले हैं। दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल का भी दूसरा कार्यकाल ही चल रहा है।
मलिक केंद्र सरकार और भाजपा को लेकर मुखर रहे- मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक केंद्र सरकार और भाजपा को लेकर मुखर रहे हैं। वह किसान आंदोलन के समय व अन्य मुद्दों पर भी केंद्र और भाजपा की आलोचना करते रहे हैं। ऐसे में उन्हें बीच में ही हटाए जाने की अटकले भी चलीं, लेकिन सरकार ने उनके कार्यकाल को पूरा कराना ही उचित समझा। इसके पीछे राजनीतिक और सामाजिक समीकरण भी रहे हैं।