Indian News : चंडीगढ़ | Haryana Assembly Special Session: पंजाब एवं हरियाणा के बीच चंडीगढ़ के मुद्दे पर गर्मागर्मी के बीच हरियाणा विधानसभा का विशेष सत्र में संकल्‍प पत्र को सर्वसम्‍मति से पारित कर दिया गया है। इस संकल्‍प प्रस्‍ताव में पंजाब पर सीधा निशाना साधा गया है। संकल्‍प प्रस्‍ताव पर तीन घंटे की चर्चा के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बहस का जवाब दिया और इसके बाद प्रस्‍ताव को पारित कर दिया गया।

हरियाणा विधाानसभा के विशेष सत्र में राजधानी चंडीगढ़ को लेकर पंजाब विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव के विरोध और एसवाईएल निर्माण, हिंदी भाषी क्षेत्र हरियाणा को देने सहित हरियाणा के हितों से जुड़े मुद्दों के समर्थन में संकल्प प्रस्‍ताव सर्वसम्‍मति से पास हुआ। इसके बाद हरियाणा विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।

इससे पहले संकल्‍प प्रस्‍ताव पर करीब तीन घंटे तक चली चर्चा का जवाब देते मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि सदन में सभी पक्षों की तरफ से 25 वक्ताओं ने संकल्‍प प्रस्‍ताव पर अपने विचार रखे हैं। सभी ने सरकार के संकल्प पत्र का समर्थन किया है।




जगबीर सिंह मलिक ने बताया कि 1955 से ही यह मुद्दा उठा था। 23 अप्रैल 1966 को बना शाह कमीशन में कहा गया था कि खरड तहसील हरियाणा का हिस्सा बनेगी। 31 मई को आए इस तथ्य के बाद नौ जून को केंद्र की कैबिनेट सरकार ने निर्णय लिया कि खरड़ तहसील का पंजाबी भाषी क्षेत्र पंजाब और हिंदी भाषी क्षेत्र हरियाणा को दिया जाए। चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। अगर चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश नहीं बनता तो यह मुद्दा खड़ा नहीं होता। 1970 में इंदिरा गांधी अवार्ड में कहा गया कि चंडीगढ़ पंजाब को और 105 हिंदी भाषी गांव हरियाणा को दिए जाएं। तीनों में अलग-अलग बातें हुईं हैं। तभी से यह समस्या बनी हुई है।

विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि पंजाब अल्‍डर ब्रदर की जगह बिग ब्रदर न बने। हरियाणा के गृहमंत्री ने तो पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार पर हमला बोलते हुए कह दिया कि पंजाब की हालत श्रीलंका जैसी होनेवाली है।

कांग्रेस विधायक कुलदीप बिश्‍नोई ने पंजाब के सीएम भगवंत मान पर अमर्यादित टिप्‍पणी भी कर दी और कहा कि पंजाब के सीएम आदतन पियक्कड़ हैं। इनकी बात पर ज्यादा ध्यान कोई नहीं देता। सदन में चंडीगढ़ और एसवाईएल मुद्दे पर पेश किए गए संकल्‍प प्रस्‍ताव पर चर्चा चल रही है।

चंडीगढ़ व एसवाईएल मुद्दे पर संकल्प प्रस्‍ताव पेश, पंजाब पर सीधा निशाना, केंद्र से दखल की अपील

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विधानसभा में पंजाब विधानसभा में चंडीगढ़ पर दावे के विरोध का करते हुए संकल्‍प प्रस्ताव पेश किया। संकल्‍प पत्र में एसवाईएल नहर के निर्माण के लिए केंद्र सरकार से आग्रह गया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार पंजाब सरकार को एसवाईएल नहर बनाने के आदेश दे, ताकि राज्य को उसके हिस्से और हक का पानी मिल सके। जजपा विधायक ईश्वर सिंह ने प्रस्ताव पर चर्चा की शुरूआत की।

हुड्डा बोले- पंजाब एल्‍डर ब्रदर की जगह बिग ब्रदर बनना चाहता है, यह मंजूर नहीं

प्रस्‍ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा, ‘ पंजाब एल्डर ब्रदर की बजाय बिग ब्रदर बन रहा है। हमें बिग ब्रदर मंजूर नहीं है। हम चाहते हैं कि पंजाब एल्डर ब्रदर रहे। कांग्रेस हरियाणा सरकार के हर कदम के साथ खड़ी रहेगी। राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री से हरियाणा के हितों के लिए मिलने के लिए साथ रहेंगे। पंजाब सरकार का एक अप्रैल को चंडीगढ़ के मुद्​दे पर पंजाब विधानसभा में पारित प्रस्ताव पूरी तरह असंवैधानिक है।हरियाणा के हितों के लिए नीचे से ऊपर तक एकजुट होकर लड़ेंगे।

हरियाणा विधानसभा का विशेष सत्र के लिए पहुंचे सीएम मनोहरलाल व अन्‍य नेता।

इसके बाद उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि केंद्र सरकार नया विधानसभा सचिवालय बनाने के लिए हरियाणा को जमीन दे। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में 60 और 40 के अनुपात में जजों की नियुक्ति होनी चाहिए। केंद्र सरकार इस पर भी ध्यान दे। केंद्र अलग हाई कोर्ट दे या फिर हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति में 50 फीसद हिस्सेदारी दे। चौटाला ने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी में एक समय में हरियाणा की हिस्सेदारी 81 फीसद थी। अब यह काफी घट गया है। इसमें 60 और 40 के अनुपात में हरियाणा को हिस्सेदारी मिले। उन्‍होंने मुख्यमंत्री द्वारा सदन में लाए संकल्प पत्र का समर्थन किया।

कांग्रेस के विधायक डा. रघुबीर सिंह कादियान ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा सदन में रखे गए संकल्प पत्र के समर्थन करता हूं। विधानसभा अध्यक्ष ने भी इस गंभीर मुद्​दे पर विशेष सत्र बुलाया है, इसके लिए भी आभार व्यक्त करता हूं।

कादियान ने कहा कि 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने एसवाईएल पर निर्णय दे दिया, फिर भी इसका क्रियान्वयन नहीं हुआ। सदन के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट तक भी यह बात पहुंचाई जाए कि क्या यह सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना नहीं है। अगर एसवाईएल नहर निर्माण को पूरा किया जाए तो यह धारा 370 हटाने से भी ज्यादा वाहवाही वाला काम होगा। यह केंद्र सरकार को समझनी होगी।

अनिल विज बोले – पंजाब की हालत श्रीलंका जैसी होनेवाली है

इसके बाद हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने कहा कि पंजाब सरकार ने चंडीगढ़ को लेकर जो प्रस्ताव पारित किया है वह राजनीतिक व शरारतपूर्ण है। पंजाब में आम आदमी पार्टी यह जानती है कि जो मुफ्तखोरी के वायदे कर सत्ता हथियाई है, वे कभी पूरे नहीं हो सकते। पंजाब की स्थिति श्रीलंका जैसी होने वाली है।

विज ने कहा कि पंजाब की जनता का ध्यान भटकाने के लिए यह प्रस्ताव पारित किया है। चार दिन की पार्टी की सरकार अभी शैशवकाल में है। दूध के दांत टूटे नहीं है। चंडीगढ़ की बात करती है यह पार्टी। चंडीगढ़ और हरियाणा के बंटवारे के लिए जितने भी आयोग बने शाह, इराडी ट्रिब्यूनल, राजीव लोंगोवाल अवार्ड, इंदिरा गांधी अवार्ड में हरियाणा के साथ न्याय नहीं हुआ। यह कड़वी सच्चाई है। हरियाणा लंबी-लंबी लड़ाई लड़कर वहीं के वहीं खड़े हैं।

विज ने कहा कि हमारे खेतों की प्यास जिस पानी से बुझती थी, वह नहीं मिल रहा है। 1966 में जब हरियाणा बना तो हालत ठीक नहीं थी। लेकिन, हरियाणा के लोगों ने मेहनत कर राज्‍य को संवारा। हरियाणा को तरक्की की बुलंदियों तक पहुंचाया। आज हालात यह है कि हरियाणा आर्थिक ग्रोथ पंजाब से बड़े नजर आते हैं। सदन का स्वरूप देखकर अच्छा लग रहा है। सब राजनीतिक विचारधाराओं को त्यागकर इस मुद्​दे पर एक होकर लड़ने के लिए तैयार हैं। हुड्डा साहब के विचारों का दिल से स्वागत करते हैं। प्रदेश के मुद्​दे पर निजी स्वार्थ नहीं आने चाहिए

आज पंजाब की इस शरारत पर हम सब एकजुट हों।

हुड्डा बोले- ..विज साहब अब रोज अंबाला नहीं जाना

विज ने कहा कि चंडीगढ़ के साथ हरियाणा का पानी, हिंदी भाषी क्षेत्रों का हस्तांतरण, नई राजधानी का मुद्​दा जुड़ा है। जब तक यह फैसला नहीं होगा चंडीगढ़ में हमारा पैर अंगद की तरह रहेगा। जब तक तीनों मुद्​दे पूरे नहीं होते तब तक चंडीगढ़ हमारा है। अंगद के पैर पर हुड्डा ने मजाकिया अंदाज में कहा कि विज साहब अब रोज अंबाला नहीं जाना। बता दें कि अनिल विज ने चंडीगढ़ में सरकारी आवास नहीं लिया है और वह रोज अंबाला से आते- जाते हैं।

अभय चौटाला ने चौधरी देवीलाल और ओमप्रकाश चौटाला के कार्यकाल के कसीदे पढ़े

अब इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला ने विज पर तंज कसा और कहा कि गृहमंत्री ने मुख्यमंत्री के संकल्प प्रस्ताव को भी खारिज करते हुए यह कहा है कि केंद्र सरकार अलग राजधानी के लिए पैसा दे दे तो हरियाणा अलग राजधानी बना लेगा। केंद्र सरकार की 23 दिसंबर 1965 में रिपोर्ट 23 अप्रैल 1966 में सुप्रीम कोर्ट के जज जेसी शाह की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन कर दिया गया। शाह आयोग ने सीमाओं का निर्धारण किया। एसवाईएल नहर निर्माण के मुद्​दे पर 1987 में चौधरी देवीलाल की सरकार में ज्यादा काम हुआ। चौधरी देवीलाल ने ही कैनाल बनाई थी। 15 जनवरी 2002 को चौधरी ओमप्रकाश चौटाला प्रदेश के सीएम थे। तब सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया था कि एक वर्ष में पंजाब सरकार नहर का निर्माण करे।

अभय चौटाला ने कहा कि तमाम विवादों को लेकर 2004 के अंदर में राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट का निर्णय 10 नवंबर 2016 को निर्णय आया। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद आश्वासन देने के बावजूद 2016 के बाद आज तक मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से मिलने का समय नहीं लिया। यदि मुख्यमंत्री ने प्रयास किए होते तो अब तक नहर का निर्माण हो जाता। भाजपा सरकार ने प्रयास नहीं किया। जिस दिन केंद्र की सरकार ने चंडीगढ़ में सर्विस रूल के मुद्​दे पर निर्णय लिया उस दिन पंजाब ने प्रतिक्रिया दी, लेकिन हरियाणा ने इस पर कुछ नहीं बोला।

अभय चौटाला ने कहा कि दस वर्ष में भूपेंद्र हुड्डा ने कुछ नहीं किया और सात वर्ष में मौजूदा भाजपा सरकार ने कुछ नहीं किया। बावजूद इसके संकल्प पत्र पर इनेलो साथ खड़ा है। उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने चौधरी देवीलाल के कार्यकाल का बखान किया। इनेलो नेता अभय चौटाला ने चौधरी देवीलाल और ओमप्रकाश चौटाला के कार्यकाल का बखान किया तो भूपेंद्र सिं हुड्डा ने अपने कार्यकाल का बखान किया।

किरण चौधरी ने किया ससुर बंसीलाल के कार्यकाल का बखान

इसके बाद अब किरण चौधरी अपने ससुर पूर्व सीएम बंसीलाल के कार्यकाल का बखान किया। किरण चौधरी ने कहा कि रातोंरात बंसीलाल ने पंचकूला से डेराबस्सी तक सड़क बनवाई। चौधरी बंसीलाल ने सीएम बनते ही दक्षिण हरियाणा को पानी देना है तो नहर बनानी होगी। एसवाईएल नहर बनवाने का मकसद भी यह था कि दक्षिण हरियाणा को पानी मिले। एसवाईएल नहर निर्माण समयबद्ध हो, यह भी संकल्प पत्र में जुड़ना चाहिए। भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) में हरियाणा और पंजाब की स्थायी सदस्यता खत्म किए जाने का भी विरोध किरण चौधरी ने किया।

निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने कांग्रेस और भाजपा पर निशाना साधा

निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने कहा कि 2014 से 2017 तक केंद्र में भाजपा और पंजाब में अकाली व भाजपा गठबंधन की सरकार रही। इससे पहले कांग्रेस की दोनों जगह सरकार रही मगर इसके बावजूद भी इस मसले का हल नहीं हुआ। हरियाणा, पंजाब और केंद्र में समान विचारधारा की सरकार रही है। जब कांग्रेस और भाजपा सत्ता से बाहर रहती हैं तब चंडीगढ़, एसवाईएल और यूनिवर्सिटी का मसला उठता रहता है। सत्ता में आने के बाद ये मसले गौण हो जाते हैं। यह विचारणीय प्रश्न है। इसमें सिवाय राजनीति के और कुछ नहीं है।

उन्‍होंने कहा कि जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने के अलावा राजनीतिक दलों का रुख है और कुछ नहीं है। केंद्र सरकार से यह आग्रह किया जाए कि ऐसा प्रस्ताव आए कि जनता की भावनाएं बनी रहे। आरपार की लड़ाई की बात नहीं होनी चाहिए। इसे आपसी भाईचारे को बनाए रखते हुए काम करना चाहिए। संकल्प प्रस्ताव का समर्थन किया।

अब कुलदीप बिश्नोई ने कहा कि 1982 में इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री और भजन लाल हरियाणा व दरबार सिंह पंजाब के सीएम थे। तब कपूरी गांव पंजाब में चौधरी भजन लाल ने एसवाईएल नहर का निर्माण शुरू करवाया। यह निर्माण 1986 तक चला। 1986 में आतंकवाद के चलते सिंचाई विभाग के अधिकारी की हत्या के बाद नहर निर्माण रुक गया। एसवाईएल निर्माण को लेकर यदि स्वर्णिम दौर बताया जाएगा तो चौधरी भजन लाल के कार्यकाल का बताया जाएगा। कुलदीप बिश्‍नोई ने कहा कि 1986 में राजीव लौंगोवाल समझौता हुआ। चौधरी भजन लाल ने चंडीगढ़ के मुद्​दे पर मुख्यमंत्री पद छोड़ा था। चौधरी देवीलाल, बंसीलाल और भजन लाल ने अपने ढंग से हरियाणा की लड़ाई लड़ी है।

चौधरी देवीलाल के पुत्र और बिजली मंत्री रणजीत सिंह ने कहा कि शाह कमीशन के फैसले में चंडीगढ़ और खरड तहसील हरियाणा को दी गई थी। चंडीगढ़ पर पंजाब का हक ही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के बाद 2016 में दिए निर्णय में हरियाणा के पक्ष को बड़ी मजबूती से देखा है। मगर सात साल में केंद्र सरकार कुछ नहीं कर पाई।

संसदीय कार्य मंत्री कंवर पाल गुर्जर ने कहा कि पंजाब सरकार ने अपने प्रदेश की जनता का ध्यान भटकाने के लिए चंडीगढ़ का प्रस्ताव पारित किया। यह षड़यंत्र है। हांसी-बुटाना नहर पर पंजाब सरकार ने स्टे लिया हुआ है। यह भी गलत है। सावन का सूखा और भाई के साथ धोखा करने पर कभी पूर्ति नहीं होती। निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान ने भी प्रस्‍ताव का समर्थन किया।

जजपा विधायक रामकुमार गौतम का केजरीवाल और भगवंत मान पर निशाना

जजपा विधायक रामकुमार गौतम ने कहा कि अरविंद केजरीवाल की वजह से सरकार नहीं बनी। पंजाब में केजरीवाल की वजह से सरकार बनती तो पिछली बार बन जाती। इस बार भगवंत मान की वजह से सरकार बनी है। भगवंत मान महाराजा रणजीत सिंह की फोटो पंजाब भवन में लगवा रहे हैं। यदि वह रणजीत सिंह के पदचिन्हों पर चलते हैं तो फिर हरियाणा से लड़ाई करने की बजाय पंजाब, हिमाचल,जम्मू-कश्मीर को एक करने की बात करनी चाहिए। भगवंत मान अब गलत कर रहे हैं।

गौतम ने कहा कि केजरीवाल के सिर पर इसने पगड़ी रख दी। अब यह (भगवंत मान) केजरीवाल से पूछकर सारे काम करेगा। यह गलत होगा। केजरीवाल की भूमिका कश्मीर फाइल्स के बारे में गलत रही है। फिल्म का मजाक उड़ाया। उन्‍होंंने कहा कि मुुख्यमंत्री के संकल्प पत्र का मैं समर्थन करता हूं। केजरीवाल और भगवंत मान से कोई भी अच्छी उम्मीद करना उचित नहीं है। यह पंजाब का सबसे खराब सीएम रहेगा। लोग इसके खिलाफ हो जाएंगे।

कृषि मंत्री जेपी दलाल ने केजरीवाल पर तंज कसा। उन्‍होंने कहा कि कि केजरीवाल भी भिवानी जिला के हैं। मुझे उम्‍मीद थी कि अब इसलिए एसवाईएल नहर का निर्माण हो जाएगा मगर यह नहीं हुआ। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हरियाणा के हक का पानी इस्तेमाल करने की वजह से पंजाब से मुआवजा भी लेना चाहिए।

भाजपा के नांगल चौधरी से विधायक डाक्टर अभय सिंह यादव ने कहा कि पंजाब विधानसभा में पारित प्रस्ताव राजनीतिक नहीं है बल्कि सोची समझी चाल है। कांग्रेस विधायक शमशेर सिंह गोगी ने कहा कि जनता के हितों काे वोट में तोलेंगे तो इन मुद्​दों का कभी हल नहीं हो सकता।

सीएम द्वारा पेश किया सरकार प्रस्ताव इस प्रकार है-

सीएम मनोहरलाल द्वारा संकल्‍प पत्र में कहा गया है कि ‘हरियाणा राज्य पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 की धारा 3 के प्रावधानों के तहत अस्तित्व में आया था। इस अधिनियम में पंजाब और हरियाणा राज्यों, हिमाचल प्रदेश तथा चंडीगढ़ के केन्द्रीय शासित प्रदेशों द्वारा पंजाब के पुनर्गठन को प्रभावी बनाने के लिए कई उपाय किए गए थे।

हरियाणा विधानसभा के विशेष सत्र में भाग लेने पहुंचीं कांग्रेस विधायक किरण चौधरी और डा. रघुवीर कादियान।

प्रस्‍ताव में कहा गया है कि ‘सतलुज-यमुना लिंक नहर (एस.वाई.एल.) के निर्माण द्वारा रावी और ब्यास नदियों के पानी में हिस्सा पाने का हरियाणा का अधिकार ऐतिहासिक, कानूनी, न्यायिक और संवैधानिक रूप से बहुत समय से स्थापित है। इस प्रतिष्ठित सदन ने एसवाईएल नहर को जल्द से जल्द पूरा करने का आग्रह करते हुए सर्वसम्मति से कम से कम सात बार प्रस्ताव पारित किए हैं।

संकल्‍प प्रस्‍ताव में कहा गया कि ‘ कई अनुबंधों, समझौतों, ट्रिब्यूनल के निष्कर्षो और देश के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों में, सभी ने पानी पर हरियाणा के दावे को बरकरार रखा है और एसवाईएल नहर को पूरा करने का निर्देश दिया है। इन निर्देशों और समझौतों की अवज्ञा करते हुए इनके विरोध में, हरियाणा राज्य के सही दावों को अस्वीकार करने के लिए पंजाब द्वारा कानून बनाए गए।

संकल्‍प प्रस्‍ताव में कहा गया है कि ‘ इंदिरा गांधी समझौता, राजीव लोंगोवाल समझौता और वेंकटरमैया आयोग ने पंजाब राज्य के क्षेत्र में पड़ने वाले हिंदी माषी क्षेत्रों पर हरियाणा के दावे को स्वीकार किया है। हिंदी भाषी गांवों को पंजाब से हरियाणा को देने का काम भी पूरा नहीं हो पाया है।

संकल्‍प पत्र में कहा गया है कि ‘ यह सदन 1 अप्रैल, 2022 को पंजाब की विधानसभा में पारित प्रस्ताव पर गहन चिंता प्रकट करता है, जिसमें सिफारिश की गई है कि चंडीगढ़ को पंजाब में स्थानांतरित करने के मामले को केंद्र सरकार के साथ उठाया जाए। यह हरियाणा के लोगों को स्वीकार्य नहीं है। हरियाणा ने राजधानी क्षेत्र चंडीगढ़ पर अपना अधिकार लगातार बरकरार रखा है। इसके अलावा, इस सदन ने इससे पहले भी संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार चंडीगढ़ में हरियाणा राज्य के एक अलग उच्च न्यायालय के लिए प्रस्ताव पारित किया है।

संकल्‍प प्रस्‍ताव में यह भी कहा गया है कि ‘ केन्द्र सरकार द्वारा हाल ही में भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड में पूर्णकालिक सदस्यों की नियुक्ति पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 की भावना के खिलाफ है, जो नदी योजनाओं को उत्तराधिकारी पंजाब व हरियाणा राज्यों की सांझा सम्पत्ति मानता है। सदन इस बात पर चिंता व्यक्त करता है कि पिछले कुछ वर्षों से केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) चंडीगढ़ के प्रशासन में हरियाणा सरकार से प्रतिनियुक्ति पर जाने वाले अधिकारियों की हिस्सेदारी कम हो रही है।

प्रस्‍ताव में कहा गया है कि ‘ इन परिस्थितियों में, यह सदन केंद्र सरकार से आग्रह करता है कि वह ऐसा कोई कदम न उठाए, जिससे मौजूदा संतुलन बिगड़ जाए और जब तक पंजाब के पुनर्गठन से उत्पन्न सभी मुद्दों का समाधान न हो जाए, तब तक सद्भाव बना रहे। यह सदन केन्द्र सरकार से यह आग्रह भी करता है। कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों की अनुपालना में सतलुज-यमुना लिंक नहर के निर्माण के लिए उचित उपाय करे।

संकल्‍प पत्र में कहा गया है कि ‘ यह सदन केंद्र सरकार से आग्रह करता है कि वह पंजाब सरकार पर दबाव बनाए कि वह अपना मामला वापस ले और हरियाणा राज्य को पानी की कमी वाले क्षेत्रों में पानी ले जाने उसके समान वितरण के लिए हांसी-बुटाना नहर की अनुमति दे। सदन केंद्र सरकार से यह सुनिश्चित करने का भी आग्रह करता है कि केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासन में सेवा करने के लिए हरियाणा सरकार के अधिकारियों के लिए निर्धारित अनुपात को उसी अनुपात में जारी रखा जाए, जब पंजाब के पुनर्गठन की परिकल्पना की गई थी।

इससे पहले हरियाणा विधानसभा के विशेष सत्र की कार्यवाही शोक प्रस्ताव के साथ शुरू हूुई। सदन में पिछले दिनों दिवंगत हुई हस्तियों को मुख्यमंत्री मनोहर लाल और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा श्रद्धांजलि दी गई।

बता दें कि पंजाब की भगवंत मान सरकार ने शुक्रवार को सदन में एक प्रस्ताव पारित कराया, जिसमें चंडीगढ़ को पंजाब को देने की मांग की गई है। हरियाणा सरकार का कहना है कि चंडीगढ़ के अलावा भी दोनों राज्यों में कई मामले हैं जिनका समाधान होना है। मसलन, एसवाईएल नहर से हरियाणा को पानी देने और हिंदी भाषी क्षेत्रों को हरियाणा में शामिल करने जैसे मामले इसमें शामिल हैं। राज्य सरकार सभी बकाए मामलों के समाधान की पक्षधर है।

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