Indian News : नई दिल्ली | कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने संसद की छठे दिन (1 जुलाई) की कार्यवाही के दौरान लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर पहला भाषण दिया । इस दौरान उन्होंने भाजपा, अल्पसंख्यक, NEET विवाद और अग्निपथ योजना जैसे मुद्दों पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा था । 2 जुलाई को लोकसभा स्पीकर के आदेश पर राहुल गांधी के बयान से इन सभी अंशों को संसद के रिकॉर्ड से हटा दिया गया । इनमें हिंदुओं और PM नरेंद्र मोदी, BJP, RSS पर किए गए कमेंट्स भी शामिल थे । मंगलवार को संसद पहुंचने पर जब राहुल गांधी को यह बताया गया तो उन्होंने कहा- मोदी जी की दुनिया में सच्चाई मिटाई जा सकती है, हकीकत में सच को नहीं मिटाया जा सकता | बाद में उन्होंने लोकसभा स्पीकर को चिट्ठी लिखी । जिसमें उन्होंने बयान के अंश हटाना संसदीय लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ बताया । साथ ही इन्हें री-स्टोर किए जाने की मांग की । राहुल गांधी ने भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर के भाषण का हवाला दिया । उन्होंने लिखा कि उनका बयान आरोपों से भरा था, लेकिन हैरानी की बात है कि उसमें से केवल एक शब्द हटाया गया ।
लोकसभा स्पीकर को लिखी चिट्ठी की बड़ी बातें…
मैं यह कहने के लिए मजबूर हूं कि हटाए गए अंश नियम 380 के दायरे में नहीं आते । मैं सदन में जो कहना चाहता था, वह जमीनी हकीकत और फैक्ट्स पर आधारित था ।
सभापति को सदन की कार्यवाही से कुछ टिप्पणियों को हटाने का अधिकार है, लेकिन शर्त केवल उन्हीं शब्दों की है, जिन्हें रूल्स ऑफ बिजनेस के नियम 380 में कोट किया गया है ।
सदन में लोगों की चिंताओं को उठाना हर सांसद का अधिकार है और जनता के प्रति अपने दायित्वों का पालन करते हुए मैं कल इसका प्रयोग कर रहा था ।
सदन के हर सांसद, जो लोगों की आवाज बनकर आया है, उसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 105(1) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मिली है ।
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