Indian News : मुंबई| मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर के प्रसाद के पैकेटों पर चूहों के बच्चों का एक वीडियो सामने आया है। जिसमें प्रसाद रखने वाला कैरेट कुतरा हुआ दिखाई दे रहा है। कैरेट के एक कोने में चूहे के बच्चे हैं। इसके बाद से ही तिरुपति लड्डू विवाद की तरह ही सिद्धिविनायक के प्रसाद की शुद्धता पर भी सवाल उठ रहे हैं।
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मंदिर परिसर का हिस्सा नहीं : वीडियो सामने आने के बाद मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सदा सर्वणकर ने कहा कि वीडियो में दिखाई गई जगह मंदिर परिसर का हिस्सा नहीं है। ये हमारी इमेज खराब करने की कोशिश है। मंदिर ट्रस्ट इस मामले पर अपना पक्ष रखने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाला है।
अध्यक्ष सदा सर्वणकर ने कहा : जब तिरुपति मंदिर का प्रसादम विवाद शुरू हुआ, तब हमारे परिसर का भी निरीक्षण किया गया। वहां सभी सुरक्षा और स्वच्छता प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है। हम प्रसाद अनुभाग में स्वच्छता का सबसे ज्यादा ध्यान रखते हैं। ऐसी अस्वच्छ स्थितियों की कोई संभावना नहीं है।
लैब टेस्ट : अधिकारी ने बताया कि मंदिर प्रसाद के लिए हाई क्वालिटी मटेरियल का इस्तेमाल करता है, जिसमें प्रीमियम घी भी शामिल है। पानी से लेकर कच्चे माल तक हर चीज लैब में टेस्ट की जाती है। 3 सरकारी अधिकारी सख्त मानकों को बनाए रखने के लिए निगरानी करते हैं।
प्रतिदिन 50 हजार लड्डू बनते : सिद्धिविनायक मंदिर में हर रोज 50 हजार लड्डू बनाए जाते हैं। त्योहार के समय इन लड्डूओं की मांग और बढ़ जाती है। प्रसाद के लिए 50-50 ग्राम के दो लड्डू पैकेट में होते हैं। इसके अलावा फूड एंड ड्रग डिपार्टमेंट भी लड्डू में इस्तेमाल होने वाली चीजों को सर्टिफाइड करता है।
लड्डू के पैकेट में लिखते है, सुचना : मंदिर ट्रस्ट की सचिव वीणा पाटिल ने बताया कि मंदिर में हर साल 2 करोड़ लड्डू बनाए जाते हैं। चाशनी के लिए ब्रांडेड चीनी का इस्तेमाल किया जाता है। लैब टेस्ट के मुताबिक इन लड्डुओं को 7 से 8 दिन तक रखा जा सकता है, लेकिन लोगों की सेहत को ध्यान में रखते हुए हम चार दिन में ही खाने की सूचना पैकेट पर लिखते हैं। 50 -50 ग्राम के दो लड्डू पैकेट में होते हैं। ठेकेदार का टेंडर मंजूर होने से पहले उसके बनाए लड्डू का सैम्पल टेस्ट होता है।
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