Indian News :  आर्थिक और सियासी संकट से झूझ रहे श्रीलंका में मची खलबली और बेकाबू लोग थमने का नाम नहीं ले रहे है। श्रीलंका को इस परिस्तिथि में ला खड़ा करने वाले राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) ने आखिरकार इस्तीफा (Resign) दे दिया है।

बता दें कि इससे पहले उन्होंने 13 जुलाई को ही इस्तीफा देने की बात कही थी। हालांकि उन्होंने आज इस्तीफे का एलान किया है। अब इस्तीफा ई मेल द्वारा भेजे जाने के बाद से राजपक्षे सिंगापूर जा पहुंचे है।वर्तमान में कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) ने आपातकाल (Emergency) की घोषणा कर दी है।

बेकाबू प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए सुरक्षा में जुटी सेना और पुलिस को खुली छूट दे दी गई है। जिसके बाद भी लोगों का आक्रोश कम होते हुए नजर नहीं आ रहा है। दूसरी तरफ गो गोटा गो (Go Gota Go) के प्रदर्शनकारियों की मांग को देश की सत्ता में काबिज लोगों ने पूरी तरह से नकार दिया है।




इस साल की शुरुआत से ही होने लगी थी संकट की आहट 

कोरोना काल के दौरान जहां पूरा जहान महामारी से जूझ रहा था। वहीं श्रीलंका जैसे 2.2 करोड़ वाले छोटे देश में अन्य देशों से अधिक आर्थिक संकट झेल रहा था। देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार कमी आती गई। हालत इतनी गंभीर हो चुके थे कि देश के पास दवाई, ईंधन आयात करने के लिए तक विदेशी मुद्रा की कमी पड़ने लगी थी। मई में सात करोड़ 80 लाख डॉलर की कर्ज की किश्त श्रीलंका के गले की फांस बन गई।

सरकार की गलत मंशा वाली नीतियों के चलते आज जनता सड़क पर उतर आई है। वह अपनी परेशानियों का जवाब कभी राष्ट्रपति भवन में कब्जा कर तो कभी पीएम आवास में आग लगाकर तलाश रही है। देश के टीवी चैनल्स को भी जनतंत्र ने नहीं बख्शा है।  सरकार के बस में जनता पर निगरानी रखने के लिए सेना-पुलिस, हवाई फायर, आंसू गैस और हेलीकॉप्टर और आपातकाल का ही विकल्प ही बचा गया है।

अप्रैल में भी अस्थाई इमरजेंसी

आज पहली बार नहीं है जब श्रीलंका में आपातकाल की घोषणा की गई है, इसके पहले इस्तीफा देने वाले राष्ट्रपति और देश में इस संकट के सूत्रधार गोटाबाया राजपक्षे ने अप्रैल में भी अस्थाई तौर पर आपातकाल लगाया था। इस दौरान भी बाया राजपक्षे ने आपातकाल की अस्थायी स्थिति की घोषणा की थी।

जल्दबाजी में बुलाई गई स्पीकर के घर समाधान निकालने के लिए बैठक

श्रीलंका में 9 जुलाई को हुए इस उपद्रव से सत्ताधारियों की पैरों तलें जमीं खिसक गई और पीएम रानिल विक्रमसिंघे को स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने (Mahinda Yapa Abeywardena) के घर पर पार्टी नेताओं की आपात बैठक बुलाई गई। बैठक में शामिल हुए देश में सर्वदलीय सरकार बनाने और राष्ट्रपति गोटाबाया सहित पीएम रानिल विक्रम सिंघे (Ranil Wickremesinghe) भी इस्तीफा देने की बात कहीं थी।

इस बैठक के बाद ही राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के 13 जुलाई को इस्तीफा देने की घोषणा की गई थी। सत्ताधारियों को इस फैसले के बाद लगने लगा था कि प्राधिकारियों का आक्रोश कम हो जायेगा, मगर प्रदर्शन कर रहे लोग और भी ज्यादा बेकाबू होते हुए नजर आए। उन्होंने प्रधानमंत्री के घर में भी आग लगा दी और कर उस पर कब्जा कर लिया।

जिसकी तसवीरें इंटरनेट खूब वायरल भी हुई। इसमें पीएम के एंटीक बेड पर प्रदर्शनकारियों की मॉक कुश्ती का एक वीडियो खासा वायरल हुआ। राष्ट्रपति गोटाबायाा में अफवाहें थीं कि वह एक नौसैनिक जहाज या विमान से देश छोड़कर भाग गए हैं या एक सैन्य शिविर में छुपे हुए हैं। हालांकि वह मंगलवार 5 जुलाई के बाद से ही सार्वजनिक तौर पर नहीं देखे गए थे। राष्ट्रपति राजपक्षे अपनी पत्नी और दो बॉडीगार्ड के साथ मालदीव भाग निकले। पीएम रानिल विक्रमसिंघे के देश में आपातकाल घोषणा से जनता आक्रोश बेकाबू होते हुए नजर आ रहा है।

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