Indian News : मॉस्को : रूस ने यूक्रेन पर हमला (When Did Russia Invade Ukraine) न करने को लेकर कड़ी शर्त रखी है। रूस ने कहा है कि अगर नाटो यूक्रेन को अपनी सदस्यता से नहीं हटाता है तो कीव को खुद को गुटनिरपेक्ष देश (Non Alignment Countries) घोषित कर देना चाहिए। नाटो से बातचीत (Russia Nato News) करने वाले रूस के शीर्ष राजनयिक कॉन्स्टेंटिन गैवरिलोव ने कहा कि उनका देश नाटो पर यूक्रेन को अपने गुट में शामिल न करने की घोषणा करने पर जोर देगा। उन्होंने यह भी कहा कि यूक्रेन (Russia Ukraine Tension) को भी 1990 में की गई प्रतिज्ञा के सम्मान में वापस लौटना होगा। इसका मतलब अगर नाटो अपने हितों के लिए यूक्रेन को न छोड़ना चाहे तो उन्हें खुद को गुटनिरपेक्ष घोषित करना होगा। दरअसल, यूक्रेन ने 1990 में रूस के साथ एक समझौता कर वादा किया था कि वह किसी भी सैन्य गुट का सदस्य नहीं बनेगा। वहीं, 2014 में रूस समर्थित सरकार के गिरने के बाद यूक्रेन ने अपने संविधान में संशोधन कर नाटो में शामिल होने की बात कही है। जिसके बाद रूस ने नाटो और यूक्रेन को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर रूसी सीमा के पास इस सैन्य संगठन ने हथियार तैनात किए तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

यूक्रेन से खुद को गुटनिरपेक्ष घोषित करने की मांग

कॉन्स्टेंटिन गैवरिलोव ने कहा कि यूक्रेन को खुद को तटस्थ और किसी भी गुट में शामिल नहीं होने की घोषणा करनी चाहिए। इसे 16 जुलाई 1990 को यूक्रेन की राज्य संप्रभुता वाली घोषणा का प्रावधानों में शामिल किया गया था। यूक्रेन ने फरवरी 2019 में संसद में बहुमत के फैसले से यूक्रेनी संविधान में संशोधन कर खुद को यूरोपीय संघ और नाटो में शामिल होने की नीति का ऐलान किया था। रूस का आरोप है कि यूक्रेन ने ऐसा करके तटस्थ रहने और किसी भी सैन्य गठबंधन में शामिल होने से इनकार करने की अपनी प्रतिज्ञा का उल्लंघन किया है। रूस का यह भी दावा है कि यूक्रेनी राजनेताओं ने अमेरिका और पश्चिमी देशों के प्रभाव में आकर गुटनिरपेक्ष रहने की शर्त का उल्लंघन करते हुए यह फैसला किया था।

यूक्रेन और नाटो पर दबाव बना रहा रूस
रूस लंबे समय से मांग करता रहा है कि नाटो पूर्वी यूरोप में अपने विस्तार को रोक दे। रूस का यह भी कहना है कि नाटो 1980 के दशक के अंत और 1990 के दशक के शुरुआत के दौरान किए गए वाले का सम्मान करे। यूक्रेन के नाटो में पूर्ण रूप से शामिल होने की अटकलों के बाद रूस ने सीमा पर सैनिकों की तैनाती को बढ़ाना शुरू किया था। इसका पहला चरण 2021 के मार्च-अप्रैल में देखने को मिला था। इसके बाद रूस ने नवंबर 2021 में एक बार फिर बड़ी संख्या में अपने सैनिकों को यूक्रेनी सीमा पर तैनात कर दिया था। जब यूक्रेनी सीमा पर तनाव बढ़ा, तब रूस ने बताया था कि वह स्थिरता बहाल करने और क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नाटो और अमेरिका को अपने प्रस्ताव भेज रहा है।

अमेरिका, नाटो ने खारिज की रूस की मांग

इन प्रस्तावों में रूस की सबसे प्रमुख मांग यूक्रेन को नाटो में शामिल न करने की थी। हालांकि, अमेरिका और नाटो ने रूस के इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया था। जिसके बाद रूस ने तल्ख तेवर दिखाते हुए कहा कि वह पड़ोसी देश यूक्रेन में नाटो सैनिकों की तैनाती को प्रत्यक्ष सुरक्षा खतरे के रूप में देखेगा और उसी के अनुसार कार्य करेगा। जिसके बाद से रूस ने यूक्रेन को तीन तरफ से घेर लिया है। अब भी लगभग 1 लाख सैनिक यूक्रेन की सीमा पर टैंक, तोप और मिसाइलों के साथ तैनात हैं।

गुटनिरपेक्ष आंदोलन का जन्मदाता है भारत

भारत गुटनिरपेक्ष आंदोलन का जन्मदाता देश है। द्वितीय विश्वयुद्ध के खत्म होने के बाद दुनिया दो ध्रुवों में बंट गई थी। जिसमें से एक गुट की अगुवाई अमेरिका जबकि दूसरे गुट की अगुवाई रूस कर रहा था। अमेरिका पूंजीवादी नीतियों का समर्थक था, जबकि रूस समाजवादी नीतियों को मानने वाला था। उस समय दुनिया में कई नए देश आजाद हुए। उनके सामने समस्या इन दोनों विचारधाराओं में से किसी एक को चुनकर दूसरे देशों के साथ संबंधों को बनाने की थी। पर कई देश ऐसे भी थे जिन्होंने किसी भी गुट के साथ शामिल न होकर गुटनिरपेक्ष रहने का ऐलान किया। गुटनिरपेक्ष आंदोलन की स्थापना भारत समेत कई देशों ने मिलकर की थी। इस आंदोलन को शुरू करने का सपना भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति गमाल अब्दुल नासिर, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो, घाना के क्वामे न्क्रुमह और यूगोस्लाविया के पूर्व राष्ट्रपति मार्शल टीटो ने देखा था। इस संगठन की स्थापना औपचारिक रूप से 1961 में की गई। तब यह संयुक्त राष्ट्र के बाद सबसे बड़े देशों का प्लेटफॉर्म था

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