Indian News : गरियाबंद | गरियाबंद जिले के मैनपुर ब्लॉक में चचरापारा का प्राथमिक शाला भवन बनते-बनते 15 साल पहले गायब हो गया | पुराने जर्जर भवन की हालत देख प्रशासन ने भी वैकल्पिक व्यवस्था कराना जरूरी नहीं समझा | ऐसे में गांव की गुनो बाई ने स्कूल संचालन के लिए अपना पीएम आवास दे कर सिस्टम के मुंह पर करारा तमाचा जड़ा है |

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इस गुलाबी भवन में भले ही चचरा पारा प्राथमिक स्कूल का बैनर लगा हुआ है, लेकिन यह गांव की रहने वाली गुनो बाई का पीएम आवास है | जिसके एक छोटे कमरे में पूरी स्कूल की पांच कक्षाएं एक साथ संचालित हैं | जहां टीचर स्टाफ बारी-बारी से अपनी कक्षाएं ले रहे | छोटे से पोर्च में ऑफिस और आंगन में पॉलिथिन से घेर कर किचन शेड बनाया गया है | दरअसल भवन के अभाव में स्कूल संचालन में हो रही दिक्कतों से प्रशासन को समय-समय पर ग्रामीण अवगत कराते रहे, पर किसी ने ध्यान नहीं दिया तो रोजाना बच्चों की तकलीफ और जर्जर भवन में जोखिम गांव की गूनों बाई से देखा नहीं गया | उसने अपने सपनों को तिलांजलि देकर बच्चों के सुनहरे भविष्य के खातिर आवास को स्कूल संचालन के लिए दे दिया और खुद अपने पुराने कच्चे मकान में रहने चली गई |




ऐसा नही की स्कूल खोल कर सरकार ने आंख बंद कर लिया था | 1997 में बने भवन जर्जर होने के कगार पर था | तो सर्व शिक्षा अभियान की मद से 2006 में भवन के लिए 4 लाख 60 हजार की मंजूरी दी गई और 4 साल के मशक्कत के बाद भवन की नीव खड़ी हो पाई थी | लेकिन 2015 आते-आते भवन अचानक गायब हो गया | नई भवन की मांग भी हुई पर रिकार्ड में भवन होने के कारण नई भवन की मंजूरी नहीं दी गई | समस्या को देखते हुए 1997 में बने जर्जर भवन को मरम्मत के लिए 15 लाख की मंजूरी स्कूल जतन के तहत मिली लेकिन मरम्मत का यह काम भी प्रशासनिक उदासीनता की भेंट चढ़ गया | मामले में जहां शिक्षा विभाग ने मौन धारण कर लिया है | वही RES के अफसर दोबारा टेंडर जारी कर जतन योजना के तहत मरम्मत कराने की बात कह रहे हैं | फिलहाल गूनों बाई के आवास पर स्कूल तो चल रहा है | लेकिन कब तक इन दो कमरों में पांचवी तक की कक्षाएं चल पाएंगी और प्रशासन की अनदेखी का खामियाजा इस गांव के बच्चे कब तक भुगतेंगे ये देखने वाली बात है |

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