Indian News : पंजाब कांग्रेस में चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। मौजूदा CM चरणजीत सिंह चन्नी को ही 6 फरवरी को दोबारा पार्टी का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने के बाद से नवजोत सिद्धू नाराज चल रहे हैं। सिद्धू का रोष रविवार को धूरी में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की रैली में भी सामने आया। धूरी में कांग्रेस प्रत्याशी दलबीर सिंह गोल्डी की रैली में सिद्धू ने भाषण देने से इनकार कर दिया। स्टेज से नाम पुकारने के बाद सिद्धू उठे, हाथ जोड़े और चन्नी की ओर इशारा कर बोले, इन्हें बुलवाओ।

चन्नी को सीएम चेहरा घोषित करने के बाद से ही नवजोत सिद्धू साइलेंट हैं। हालांकि इस फैसले पर सिद्धू ने बयान दिया था कि पार्टी हाईकमान का निर्णय उन्हें मंजूर है, लेकिन उनके बर्ताव से लग रहा है कि वह यह बात ऊपर से ही बोल रहे हैं और उनके भीतर अभी भी इसे लेकर रोष है।

गोल्डी की पत्नी ने बुलाया भाषण देने के लिए




कांग्रेस नेता सुनील जाखड़ के भाषण के बाद मंच से दलबीर सिंह गोल्डी की पत्नी सिमरन खंगूड़ा ने नवजोत सिद्धू को भाषण देने के लिए आमंत्रित किया। सिद्धू ने मंच पर खड़े होकर हाथ जोड़कर लोगों का अभिवादन किया और चरणजीत सिंह चन्नी की ओर इशारा किया। इस दौरान फिर सिमरन खंगूड़ा ने उनका नाम लिया, लेकिन सिद्धू ने इशारा कर फिर मना कर दिया। इसके बाद सिमरन ने मंच से ऐलान किया कि सिद्धू साहब कह रहे हैं कि मैं तो आपके बीच का ही हूं। चन्नी साहब से बुलवाओ। इसके बाद चन्नी ने मंच से अपना संबोधन शुरू किया।

मंचों पर मंत्री पद-टिकट बांटने वाले नवजोत अमृतसर ईस्ट तक सिमटे

6 फरवरी से पहले सिद्धू सूबे में अपने ‘पंजाब मॉडल’ के साथ प्रचार कर रहे थे। मंच पर खड़े होकर मंत्री पद और टिकट बांट रहे थे। वहीं, अब सिद्धू अपने विधानसभा क्षेत्र अमृतसर ईस्ट तक ही सिमट गए हैं। यह पहली बार है कि नवजोत अपने हलके में डोर-टु-डोर प्रचार कर रहे हैं। उन्हें प्रचार के लिए भी अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी रहे नेताओं का सहारा लेना पड़ रहा है। कांग्रेस ने पंजाब में 6 फरवरी को चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री चेहरा बनाया था।

इस घोषणा से पहले प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रधान नवजोत सिद्धू पंजाब में कांग्रेस के स्टार प्रचारक थे और उन्होंने पूरे राज्य में प्रचार की कमान संभाल रखी थी। वह 54 विधानसभा हलकों में प्रचार कर चुके थे। साथ ही इन राजनीतिक रैलियों में अपने विरोधियों के साथ पार्टी में राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर निशाना साध रहे थे। वहीं, कई रैलियों के मंच से उन्होंने अपने चहेतों को मंत्री और पार्टी का उम्मीदवार बनाने का ऐलान भी किया। साथ ही रैलियों और मीडिया के सामने सिद्धू पंजाब मॉडल की बात करते रहे।

जीत के लिए भूले राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता

नवजोत सिद्धू क्रिकेट छोड़कर राजनीति में आने के बाद ज्यादा चर्चा में हैं। पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह और अब चरणजीत सिंह चन्नी के साथ उनकी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता है। लुधियाना के सांसद रवनीत बिट्‌टू के साथ नवजोत सिद्धू का 36 का आंकड़ा रहा। इसके बावजूद सांसद बिट्‌टू गुरुवार को अमृतसर ईस्ट सीट पर नवजोत सिद्धू के लिए प्रचार करने पहुंचे। बिट्‌टू ने सबसे पहले रूठे कांग्रेसियों को मनाने का प्रयास किया। इनमें से कुछ नेताओं को बिट्‌टू प्रचार के लिए साथ लाने की कोशिश करते नजर आए।

बिट्‌टू ने सिद्धू के साथ रैली को भी संबोधित किया और उनके लिए वोट मांगे। हालांकि, बिट्‌टू के इस तरह अमृतसर पहुंचने के कई सियासी मायने लगाए जा रहे हैं। सियासी गलियारों में चर्चा है कि सिद्धू राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता भूलकर अब अपनी जीत सुनिश्चित करना चाहते हैं।

18 साल में अपनी सीट पर सिद्धू को पहली बार कड़ी टक्कर

अमृतसर ईस्ट सीट पर 18 साल में पहली बार नवजोत सिद्धू को कड़ी टक्कर मिल रही है। उनके सामने शिरोमणि अकाली दल के बिक्रम सिंह मजीठिया हैं। मजीठिया ने सिद्धू का चैलेंज स्वीकारते हुए अपनी पारंपरिक सीट मजीठा छोड़ दी और अब अमृतसर ईस्ट सीट पर ही चुनाव लड़ रहे हैं। मजीठा सीट से अब बिक्रम मजीठिया की पत्नी गुनीव कौर शिरोमणि अकाली दल के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं।

पंजाब में कांग्रेस का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित होने के बाद से नवजोत सिद्धू अपनी सीट अमृतसर ईस्ट तक सिमट गए हैं। उन्होंने अपने पंजाब मॉडल की बात करना बंद कर दिया है और दूसरे हलकों में प्रचार करने भी नहीं जा रहे हैं। इसके लिए वह तर्क दे रहे हैं कि पार्टी का सीएम चेहरा ही चुनाव कैंपेनिंग की अगुवाई करता है। पिछली बार कैप्टन थे और स्वभाविक है कि इस बार चन्नी कमान संभाल रहे हैं। हालांकि उनका कहना है कि पार्टी प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते जो जिम्मेदारी उनकी है, उसे पूरा करेंगे। पार्टी उन्हें नहीं कहेगी तो वह प्रचार करने दूसरे हलके में नहीं जाएंगे।

दूसरों को जिताने का दावा करने वाले अपनी जीत के लिए चिंतित

नवजोत सिद्धू 6 फरवरी से पहले दूसरे हलकों में जाकर प्रचार कर रहे थे और कांग्रेस के स्टार प्रचारक थे। वहीं पार्टी प्रत्याशियों को जिताने का दावा कर रहे थे। अब उनकी सीट पर बिक्रम मजीठिया के आने के बाद समीकरण बदल गए हैं। ऐसे में सिद्धू पहली बार अपनी जीत के लिए संघर्ष करते दिख रहे हैं। 18 साल में यह पहली बार है कि नवजोत सिद्धू अमृतसर ईस्ट हलके में डोर-टु-डोर प्रचार कर रहे हैं। वह शहर से बाहर निकले भी हैं तो सिर्फ वैष्णो देवी ही गए। इसके अलावा उनका अभी तक कोई भी बड़ा कार्यक्रम पंजाब के अन्य हिस्सों में नहीं हुआ है और न ही आने वाले दिनों में शेड्यूल है।

स्पीच से भी पंजाब मॉडल गायब

6 फरवरी से पहले पंजाब मॉडल की रट लगाने वाले नवजोत सिद्धू की स्पीच से यह भी अब गायब है। पहले के संबोधन में सिद्धू हमेशा पंजाब मॉडल की बात करते नजर आए हैं। वहीं, 6 फरवरी के बाद के इंटरव्यू में सिद्धू कहते सुने गए कि इस समय दूल्हे चन्नी हैं और उन्हें ही अब सब कुछ देखना है। बागडोर अब चन्नी के हाथ में ही है। उनकी स्पीच में सिर्फ अमृतसर ईस्ट हलके के विकास की ही बात हो रही है। सिद्धू यह कहते भी नहीं चूके कि पंजाब के लोग बदलाव चाहते हैं और यह बदलाव उन्हें नवजोत सिद्धू और आम आदमी पार्टी में दिख रहा है।

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