Indian News : मलेशियाई मूल के नागेंद्रन धर्मलिंगम को सिंगापुर में फांसी दे दी गई। वो 13 साल से ड्रग्स तस्करी के आरोप में कैद थे। नागेंद्रन मानसिक रूप से कमजोर थे और उनका IQ लेवल सिर्फ 69 था। 34 साल के धर्मलिंगम को नवंबर 2010 में फांसी की सजा सुनाई गई थी।

नागेंद्रन की मां ने बेटे को बचाने के लिए तमाम अदालतों के दरवाजे खटखटाए, लेकिन सिंगापुर की कोर्ट ने हर अपील खारिज कर दी। नागेंद्रन का परिवार 2010 से ही अदालत में अपील कर रहा था। उनके भाई नवीन कुमार ने बताया- नागेंद्रन का शव मलेशिया भेजा जाएगा। इपोह में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

क्या है मामला




धर्मलिंगम का मामला करीब 10 साल पुराना है। उन्हें 2009 में 42.72 ग्राम हेरोइन के साथ पकड़ा गया था। नारकोटिक्स अधिकारियों ने उन्हें सिंगापुर में घुसते समय ‘वुडलैंड्स चेकपॉइंट’ पर पकड़ा था। उनकी जांघ पर हेरोइन के बंडल बांधकर छिपाए गए थे। उन पर आरोप साबित हुए। सिंगापुर के ड्रग्स विरोधी कड़े कानूनों के तहत नवंबर 2010 में उन्हें सजा-ए-मौत सुनाई गई।

दुनिया में चर्चा

दुनिया के कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने नागेंद्रन को बचाने की कोशिश की थी। मौत की सजा के विरोध में काम करने वाले एंटी-डेथ पेनल्टी एशिया नेटवर्क समेत दुनियाभर के मानवाधिकार संगठनों की मदद से यह परिवार धर्मलिंगम की रिहाई के लिए लड़ रहा था। नागेंद्रन के परिवार ने मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने की भी अपील की, लेकिन नाकाम रहे।

खबरों के मुताबिक मलेशिया के प्रधानमंत्री इस्माइल साबरी याकूब ने भी मानवीय आधार पर सजा पर रोक लगाने की अपील करते हुए सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली साइन लूंग को पत्र लिखा था। सिंगापुर गए यूरोपीय संघ के एक प्रतिनिधिमंडल, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड के दूतावास भी इस सजा पर रोक की अपील कर चुके थे।

धर्मलिंगम का IQ बहुत कम था

फांसी की सजा के विरोधी कहते हैं कि हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान सामने आया कि धर्मलिंगम का आईक्यू 69 है, जिसे इंटरनेशल स्टैंडर्ड्स के लिहाज से मानसिक विकलांगता माना जाता है। कोर्ट ने फैसला दिया कि धर्मलिंगम को पता था वह क्या कर रहे हैं। इस आधार पर फांसी की सजा बरकरार रखी गई।

You cannot copy content of this page