Indian News : नई दिल्ली। प्राइवेट अस्पतालों में फीस और अन्य चार्जेज इतने बढ़ गए हैं कि आम आदमी के लिए इलाज कराना मुश्किल हो गया है। एक बार अस्पताल में भर्ती होने का मतलब जीवन की आधी से ज्यादा पूंजी हॉस्पिटल के मेडिकल बिल में ही खर्च हो जानी है। इसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सख्त आदेश दिया है कि सभी राज्यों में हॉस्पिटल्स के लिए एक स्टैंडर्ड चार्ज फिक्स किए जाएं। प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी फीस वसूली नहीं चलेगी।Non Government Organization ‘Veterans Forum for Transparency in Public Life’ की ओर दायर की गई याचिका में अस्पतालों में मेडिकल चार्ज के अलग-अलग मानकों को लेकर सवाल उठाया गया था। याचिका में यह भी कहा गया है कि अलग-अलग अस्पतालों में मोतियाबिंद तक के इलाज के लिए 30 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक फीस ली जा रही है। जबकि सरकारी अस्पतालों में कैटरैक के ऑपरेशन 10 हजार में हो जाते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि देश भर के सभी अस्पातलों को निर्देश दिया जाए कि सभी प्रकार के इलाज और सर्जरी के फिक्स रेट को वह मरीजों के डिस्प्ले के लिए लगाए। प्राइवेट और सभी सरकारी अस्पतालों में बीमारियों के इलाज और सर्जरी के रेट डिस्प्ले स्क्रीन पर लोकल लैंग्वेज के साथ अंग्रेजी में लगाए जाएं ताकि मरीजों को इसकी जानकारी हो। जस्टिस बीआर गवई और संदीप मेहता की पीठ ने सख्त रवैया अपनाते हुए कहा है कि केंद्र सरकार अगले महीने मार्च तक इस दिशा मेें कदम उठाते हुए अस्पतालों में स्टैंडर्ड चार्ज तय कर ले, नहीं तो कोर्ट की तरफ से सभी अस्पतालों में एक समान फिक्स सरकारी चार्जेज तय करने की दिशा में विचार किया जाएगा।
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