Indian News : नईदिल्ली । सेना के पूर्व जवानों एवं अधिकारियों की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. सुरक्षा बलों के लिए बनी वन रैंक वन पेंशन (OROP) योजना से जुड़ी पूर्व सैनिकों की याचिका पर बुधवार को सुनवाई करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया. इसके पहले 16 फरवरी को ‘वन रैंक वन पेंशन’ मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी. इस दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र की खिंचाई भी की थी।

केंद्र ने बढ़ा-चढ़ा कर OROP का किया बखान

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह कहा था कि ‘समान रैंक समान पेंशन’ (ओआरओपी) की नीति का केंद्र द्वारा बढ़ा-चढ़ा कर बखान किया. सशस्त्र बलों के पेंशनभोगियों को वास्तव में दिये गये लाभ की तुलना में कहीं अधिक ‘गुलाबी तस्वीर’ पेश की गयी।




कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगी ये जानकारियां

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह बताने को कहा कि सशस्त्र बलों में कितने कर्मियों को ‘फोडीफाइड एश्योर्ड करियर प्रोगेशन’ (एमएसीपी) मिला है, कितने कर्मी ‘एश्योर्ड करियर प्रोगरेशन’ (एसीपी) में हैं और यदि न्यायालय ओआरओपी में एमएसीपी को भी शामिल करने को कहे, तो वित्तीय आवंटन कितना होगा।

तीन जजों की पीठ कर रही OROP केस की सुनवाई

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने केंद्र सरकार के वकील अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एन वेंकटरमण से कुछ सवाल भी किये थे. पीठ ने तब जानना चाहा था कि क्या 17 फरवरी 2014 को संसद में किये गये वादे से पहले ऐसी कोई नीति थी कि सरकार ओआरओपी प्रदान करने के लिए सैद्धांतिक रूप से राजी है।

OROP एक नीतिगत फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘हमें इस तथ्य पर गौर करना होगा कि ओआरओपी की कोई सांविधिक परिभाषा नहीं है. यह एक नीतिगत फैसला है. उनकी (याचिकाकर्ताओं की) दलील है कि संसद में जो कुछ कहा गया था और नीति के बीच विसंगति है. सवाल है कि क्या यह अनुच्छेद 14 का हनन करता है. आपके (केंद्र के) द्वारा ओआरओपी नीति का बढ़ा-चढ़ाकर बखान ने याचिकाकर्ताओं को वास्तव में मिले लाभ की तुलना में कहीं अधिक गुलाबी तस्वीर पेश की है.’

OROP की जटिलताओं पर सुप्रीम कोर्ट ने किया गौर

जस्टिस सूर्यकांत ने वेंकटरमण से कहा था कि ओआरओपी सेवा काल के बाद लाभ प्रदान करता है, जबकि एमएसीपी सेवा काल के दौरान लाभ प्रदान करता है. उन्होंने कहा, ‘ऐसा लगता है कि एमएसीपी, ओआरओपी के लिए एक बाधा है.’

किसने ओआरओपी से जुड़ा फैसला लिया

पीठ ने वेंकटरमण से पूछा कि कामकाज के नियम के तहत सक्षम प्राधिकार कौन है, किसने ओआरओपी से जुड़ा फैसला लिया था. एएसजी ने कहा था कि यह फैसला केंद्रीय कैबिनेट ने लिया था और एक अधिसूचना जारी की गयी थी।

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