Indian News : भोपाल | देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीती 29 फरवरी को महाकाल की नगरी उज्जैन में वैदिक घड़ी का लोकार्पण किया था। ज्योतिषियों के लिए इस वैदिक घड़ी को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। साथ ही, उज्जैन महादेव के दर्शन को पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी ये आकर्षण का केंद्र बन गया है। वैदिक घड़ी को लेकर कहा जाता है कि इसका संबंध सदियों पुराने इतिहास से है। मान्यता है कि 1906 से पहले समय की गणना वैदिक घड़ी के माध्यम से होती है। इस वैदिक घड़ी की स्थापना उज्जैन के जीवाजी वेधशाला के पास की गई है। और इसे करीब 85 फीट के टॉवर पर लगाया गया है।

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इस घड़ी की खासियत यह है कि ये समय के साथ-साथ मुहूर्त भी बताती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उज्जैन को भारत का केंद्रीय मध्याह्न रेखा माना जाता था। बता दें कि ये रेखा पृथ्वी पर एक काल्पिक रेखा की तरह है, जो पृथ्वी को दो भागों में विभाजित करती है। वहीं, उज्जैन देश के समय अंतर को निर्धारित करता है। मान्यता है कि हिंदू कैलेंडर में विक्रम सांवत की शुरुआत उज्जैन से हुई है और इसी वैदिक घड़ी से इसकी गणना की जाती है। इस घड़ी को उज्जैन में जंतर-मंतर के पास जीवाजी वेधशाला में लगाया गया है। बताया जा रहा है कि ये घड़ी धीरे-धीरे राशिफल भी बताएगी। ये वैदिक घड़ी डिजिटल है। इसमें एक घंटा 60 मिनट का नहीं बल्कि 48 मिनट का होगा और एक दिन मे 24 घंटे नहीं 30 घंटे होंगे।

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