Indian News : बच्चे की एक जिद ऐसी होती है जिसके सामने ज्यादातर मां-बाप हार जाते हैं। ये जिद होती है स्मार्टफोन की। बच्चा सालभर का हो या 14-15 साल का, उन्हें जब भी मौका मिलता है स्मार्टफोन से चिपक जाते हैं। वे फोन की फोटो गैलरी, वीडियो, गेम, यूट्यूब, वॉट्सऐप और दूसरे सोशल अकाउंट तक चले जाते हैं। वे फोन आपके सामने देख रहे तब ठीक है, लेकिन अकेले में वे क्या कर रहे इस बात का पता होना जरूरी है। फोन पर उनकी एक्टिविटी पर ब्रेक लगाना उससे भी ज्यादा जरूरी है।

स्मार्टफोन से बच्चे घंटों तक चिपके रहते हैं। एंटरटेनमेंट के चक्कर में वे अपनी सेहत भी खराब करते हैं। इसी वजह से हर पेरेंट्स चाहते हैं कि उनके बच्चे स्मार्टफोन से दूर रहें। इन सब के साथ पेरेंट्स के मन में एक डर ये भी होता है कि वे आपत्तिजनक कंटेंट तो नहीं देख रहे। पेरेंट्स की इस प्रॉब्लम का सॉल्यूशन गूगल फैमिली लिंक ऐप है।

गूगल का ये ऐप कैसे काम करता है? आखिर बच्चों की एक्टिविटी पर इससे ब्रेक कैसे लगा सकते हैं? क्या इस ऐप के फोन में होने से बच्चे किसी ऐप या गेम को एक्सेस कर पाएंगे? इस तमाम सवालों के बारे में एक-एक करके जानते हैं।

यदि आपसे पूछा जाए कि क्या आपका बच्चे आपके स्मार्टफोन का पैटर्न या नंबर लॉक जानता है? तब आपका जवाब ‘हां’ में होगा। आपकी यही हां, बच्चे के स्मार्टफोन के अंदर तक जाने का रास्ता भी है। बच्चे इतने स्मार्ट होते हैं कि आप अपने फोन का लॉक चेंज भी कर दें, तो वे इसका पता लगा ही लेते हैं। कई बार तो हम खुद ही बच्चे को फोन अनलॉक करने का तरीका बता देते हैं। इसी वजह से बच्चे स्मार्टफोन में खुद से गेम और दूसरे ऐप्स इन्स्टॉल कर लेते हैं। बाद में उसे डिलीट भी कर देते हैं।

अब बात करते हैं गूगल फैमिली लिंक ऐप की।

क्या है गूगल फैमिली लिंक ऐप?
गूगल ने इस ऐप को बच्चों द्वारा इंटरनेट का सही इस्तेमाल करने के लिए डिजाइन किया है। गूगल का कहना है ऐप से इंटरनेट को बेहतर कामों के लिए इस्तेमाल करने में अपने परिवार की मदद कर सकते हैं। आपके बच्चे छोटे हों या टीनेज, फैमिली लिंक ऐप पर आप उनके लिए इंटरनेट इस्तेमाल करने के कुछ जरूरी नियम बना सकते हैं। इससे उन्हें इंटरनेट के जरिए सीखने, खेलने और चीजों को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी। इस ऐप को आप अपने बच्चे के स्मार्टफोन में इस्टॉल करके उसका एक्सेस अपने पास रख सकते हैं। इसे प्ले स्टोर से फ्री इन्स्टॉल कर सकते हैं।

बच्चों को लेकर गूगल फैमिली लिंक ऐप के 5 फायदे

1.बच्चों की एक्टिविटी को ट्रैक करें

स्मार्टफोन या टैबलेट पर बच्चे कितना समय बिता रहे हैं, इस बात का पता ऐप से लगा सकते हैं। ऐप पर इस बात की डिटेल होती है कि बच्चों ने फोन पर कौन से ऐप ओपन किए। उन पर कितना समय बिताया। यदि कोई ऐप इन्स्टॉल करके डिलीट की है तब उसकी डिटेल भी यहां दिख जाएगी। इन बातों को जानकर आप बच्चे को गाइड कर सकते हैं।

2.बच्चों के लिए ऐप्स पर बैन लगाएं

बच्चे की स्मार्टफोन एक्टिविटी के दौरान यदि आपको कोई ऐसा ऐप दिखाई देता है, जो उसके लिए गैरजरूरी है तब आप उसे बैन कर सकते हैं। यदि बच्चे ने गूगल प्ले स्टोर से कोई ऐप इन्स्टॉल किया है तब आप प्ले स्टोर को भी बैन कर सकते हैं। इतना ही नहीं, ऐप्स को स्मार्टफोन में छिपाया भी जा सकता है।

3.बच्चों का फोन पर टाइम फिक्स करें

यदि आपके बच्चे को घंटों तक स्मार्टफोन चलाने की आदत है, तब आप उसे भी ऐप की मदद से कंट्रोल कर पाएंगे। ऐप में आपको बच्चे के लिए टाइम लिमिट सेट करने का ऑप्शन मिलता है। जैसे ही आपके द्वारा सेट की गई टाइम लिमिट खत्म होगी स्मार्टफोन ऑटोमैटिक लॉक हो जाएगा।

4.बच्चों के लिए फोन लॉक करें

यदि बच्चा देर रात तक फोन को देखकर जागता है, या फिर फैमिली टाइम के दौरान वो आपसे दूर रहता है, तब उसके लिए फोन को लॉक भी किया जा सकता है। यानी फोन तो अनलॉक रहेगा, लेकिन बच्चा उसे एक्सेस नहीं कर पाएगा।

5.बच्चे की लोकेशन का पता लगेगा

आपका बच्चा कहां है, इस बात का पता भी इस ऐप की मदद से लगाया जा सकता है। इसके लिए आपको बच्चे के फोन में ऐप इन्स्टॉल करके लोकेशन मोड को ऑन रखना होगा। इसका फायदा ये होता है कि जब बच्चा कहीं भा जाता है तब आप अपने फोन पर उसकी लोकेशन को ट्रैक कर सकते हैं।

ऑनलाइन फ्रॉड या ट्रांजैक्शन का भी खतरा

बच्चों के हाथ में स्मार्टफोन देने से ऑनलाइन फ्रॉड या ट्रांजैक्शन का भी खतरा बढ़ जाता है। ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिसमें बच्चे की एक गलती के चलते पेरेंट्स का पूरा बैंक अकाउंट खाली हो गया। बच्चों को कई बार ऐसे गेम्स की लत लग जाती है, जिसमें अच्छे हथियार के लालच और पॉइंट्स अर्न करने के लिए बच्चे इन्हें खरीदने के लिए मजबूर हो जाते हैं। उन्हें इस बात का पता नहीं होता कि पेरेंट्स के अकाउंट से कितने पैसे खर्च होंगे।

रितु माहेश्वरी (साइबर सिक्योरिटी और क्लाउड कम्प्यूटिंग) एक्सपर्ट ने बताया कि जब भी हम ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से पेमेंट करते हैं तब वो हमारे डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड की डिटेल सेव कर लेता है। इन सॉफ्टवेयर में ऑनलाइन की-लॉगर्स होते हैं। ऐसे में ये डेटा वहां पर फीड हो जाता है। इससे डेटा की सिक्योरिटी भी कम हो जाती है। इससे गेमिंग या दूसरे ऐप्स से बैंक अकाउंट से पैसे निकलने का खतरा हो जाता है। कई ऐप्स में ट्रोजन या दूसरे मैलवेयर भी होते हैं। ये फोन में इन्स्टॉल होकर आपके डेटा को चुराते हैं।

You cannot copy content of this page