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Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में 14 महीने में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस बस्तर के आदिवासी वोटरों को लुभाने के लिए जमकर मेहनत कर रही है.

Bastar Tribals News: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के लिए 14 महीने ही शेष रह गए हैं. ऐसे में बस्तर संभाग के सबसे बड़े वोट बैंक को साधने के लिए बीजेपी और कांग्रेस आरक्षण के मुद्दे को लेकर आए दिन आंदोलन कर रही है. 2 दिन पहले बीजेपी के द्वारा सैकड़ों की संख्या में आदिवासियों को लेकर नेशनल हाईवे 30 पर नारायणपुर, कोंडागांव चौक में घंटों तक चक्का जाम किया था. बीजेपी ने आरक्षण में 12%  कटौती को लेकर इसे भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) सरकार की गलती बताया था.




वहीं सोमवार को संभाग मुख्यालय जगदलपुर में सर्व आदिवासी समाज ने भी कांग्रेस के साथ सैकड़ों की संख्या में नेशनल हाईवे 30 पर लगभग आधे घंटे तक चक्का जाम किया. सर्व आदिवासी समाज ने आरक्षण में कटौती को लेकर पिछली बीजेपी सरकार पर ठीकरा फोड़ा. सर्व आदिवासी समाज के लोगों ने कहा कि बीजेपी सरकार ने सही समय पर हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश नहीं किया, जिसके चलते आरक्षण में कटौती हुआ. इस वजह से इसका खामियाजा आदिवासियों को भुगतना पड़ रहा है.

बस्तर में आदिवासियों का है सबसे बड़ा वोट बैंक

बस्तर संभाग के 12 विधानसभा सीटों में से 11 विधानसभा सीट आदिवासियों के लिए आरक्षित है और एक जनरल सीट है. पूरे बस्तर संभाग में सबसे बड़ा वोट बैंक आदिवासियों का है. पिछले 19 सितंबर को हाईकोर्ट के आदेश के बाद 32 फीसदी आरक्षण में 12 फीसदी आरक्षण कटौती करने को लेकर छत्तीसगढ़ के अन्य इलाकों के साथ-साथ बस्तर संभाग के आदिवासी भी काफी नाराज हैं. इन आदिवासियों को बीजेपी और कांग्रेस अपने-अपने पाली में साधने की कोशिश कर रहे हैं. बीजेपी के नेता इन आदिवासियों के साथ आंदोलन कर भूपेश सरकार की गलती बता रहे हैं, तो वहीं कांग्रेसी भी इन आदिवासियों को लेकर पिछली बीजेपी सरकार की गलती बता रही है. 

दोनों ही पार्टी आदिवासी को साधने में जुटी

कुल मिलाकर दोनों ही पार्टी के नेता आदिवासियों को साधने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन आरक्षण को लेकर आदिवासी समाज खुद भ्रमित है कि आखिर 12 फीसदी आरक्षण में कटौती को लेकर गलती किस सरकार की है. फिलहाल आदिवासियों का कहना है कि गलती किसी भी सरकार की हो लेकिन हमें एक बार फिर से 32 फीसदी आरक्षण चाहिए. आदिवासियों ने कहा कि अगर आंदोलन के बावजूद भी जल्द से जल्द आरक्षण को लेकर सरकार के द्वारा कुछ ठोस कदम नहीं उठाया जाता है तो एक बार फिर बस्तर में भूमकाल आंदोलन होगा.

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