Indian News : उत्तराखंड के उत्तरकाशी टनल में 41 जिंदगियों को बचाने की कोशिश अब आखिरी फेज में है । हालांकि, गुरुवार सुबह खबर आई कि टनल में खुदाई कर रही अमेरिकी ऑगर मशीन में खराबी आ गई है । इससे बचाव कार्य रुक गया है । इसे ठीक करने के लिए दिल्ली से हेलिकॉप्टर से 7 एक्सपर्ट बुलाए गए हैं ।
12 मीटर की खुदाई अभी भी बची हुई है । 6-6 मीटर के 2 पाइप अभी भी डाले जाने बाकी है । 12 मीटर की खुदाई के बाद ही रेस्क्यू का काम शुरू होगा । पहले 900 मिमी के 4 पाइप डाले गये थे । बाकी 800 मिमी के पाइप डाले गए।
रात में जब 10 मीटर की ड्रिलिंग बची थी, तब आगर मशीन के सामने सरिया आ गया था । NDRF की टीम ने रात में सरिया को काटकर अलग कर दिया । रेस्क्यू ऑपरेशन टीम के सदस्यों में से एक गिरीश सिंह रावत ने बताया, ‘रेस्क्यू ऑपरेशन लगभग आखिरी चरण में है, उम्मीद है 1-2 घंटे में मजदूर बाहर आ जाएंगे’ ।
ड्रिलिंग कंप्लीट होने पर NDRF की 15 सदस्यीय टीम हेलमेट, ऑक्सीजन सिलेंडर, गैस कटर के साथ 800 मिमी की पाइपलाइन से अंदर जाएगी । अंदर फंसे लोगों को बाहर के हालात और मौसम के बारे में बताया जाएगा । डॉक्टरों का कहना है, चूंकि टनल के अंदर और बाहर के तापमान में काफी अंतर होगा, इसलिए मजदूरों को तुरंत बाहर नहीं लाया जाएगा।
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मजदूरों को कमजोरी महसूस होने पर NDRF की टीम उन्हें पाइपलाइन में स्केट्स लगी टेंपररी ट्रॉली के जरिए बाहर खींचकर निकालेगी । इसके बाद 41 मजदूरों को एंबुलेंस में चिल्यानीसोड सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया जाएगा । यहां 41 बेड का हॉस्पिटल रेडी है । चिल्यानीसोड पहुंचने में करीब 1 घंटा लगेगा, जिसके लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया है । जरूरत पड़ी तो मजदूरों को एयरलिफ्ट कर ऋषिकेश एम्स ले जाया जाएगा ।
सड़क और परिवहन मंत्रालय देश भर की 29 टनल का सेफ्टी रिव्यू कराएगा
उत्तरकाशी टनल हादसे के बाद सड़क और परिवहन मंत्रालय ने पूरे देश में बन रही 29 टनल का सेफ्टी ऑडिट कराने के फैसला किया है । इसके लिए कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड के साथ करार किया गया है ।
NHAI और दिल्ली मेट्रो के एक्सपर्ट मिलकर सभी टनल की जांच करेंगे और 7 दिन में रिपोर्ट तैयार करेंगे । अभी हिमाचल प्रदेश में 12, जम्मू-कश्मीर में 6, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान में 2-2 और मध्य प्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और दिल्ली में एक-एक टनल बनाई जा रही है ।
टनल में फंसे 41 मजदूरों के नाम :
आइये जानते है कि 18 नवंबर से लेकर 21 नवंबर तक क्या -क्या हुआ ?
21 नवंबर : एंडोस्कोपी के जरिए कैमरा अंदर भेजा गया और फंसे हुए मजदूरों की तस्वीर पहली बार सामने आई । उनसे बात भी की गई । सभी मजदूर ठीक हैं । मजदूरों तक 6 इंच की नई पाइपलाइन के जरिए खाना पहुंचाने में सफलता मिली । ऑगर मशीन से ड्रिलिंग शुरू हुई । केंद्र सरकार की ओर से 3 रेस्क्यू प्लान बताए गए । पहला- ऑगर मशीन के सामने रुकावट नहीं आई तो रेस्क्यू में 2 से 3 दिन लगेंगे । दूसरा- टनल की साइड से खुदाई करके मजदूरों को निकालने में 10-15 दिन लगेंगे। तीसरा- डंडालगांव से टनल खोदने में 35-40 दिन लगेंगे ।
20 नवंबर : इंटरनेशनल टनलिंग एक्सपर्ट आर्नल्ड डिक्स ने उत्तरकाशी पहुंचकर सर्वे किया और वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए 2 स्पॉट फाइनल किए । मजदूरों को खाना देने के लिए 6 इंच की नई पाइपलाइन डालने में सफलता मिली । ऑगर मशीन के साथ काम कर रहे मजदूरों के रेस्क्यू के लिए रेस्क्यू टनल बनाई गई । BRO ने सिलक्यारा के पास वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए सड़क बनाने का काम पूरा किया ।
19 नवंबर : सुबह केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और उत्तराखंड CM पुष्कर धामी उत्तरकाशी पहुंचे, रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया और फंसे लोगों के परिजनों को आश्वासन दिया । शाम चार बजे सिलक्यारा एंड से ड्रिलिंग दोबारा शुरू हुई । खाना पहुंचाने के लिए एक और टनल बनाने की शुरुआत हुई । टनल में जहां से मलबा गिरा है, वहां से छोटा रोबोट भेजकर खाना भेजने या रेस्क्यू टनल बनाने का प्लान बना ।
18 नवंबर : दिनभर ड्रिलिंग का काम रुका रहा । खाने की कमी से फंसे मजदूरों ने कमजोरी की शिकायत की । PMO के सलाहकार भास्कर खुल्बे और डिप्टी सेक्रेटरी मंगेश घिल्डियाल उत्तरकाशी पहुंचे । पांच जगहों से ड्रिलिंग की योजना बनी ।
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