Indian News : लॉ एंड ऑर्डर (Law and Order) पर आधारित इस खास सीरीज में हम आपको वो हर तरह की जानकारी देने की कोशिश कर रहे हैं, जो आपके लिए जानना ज़रूरी है. इसी श्रृंखला में आगे हम बात करेंगे पुलिस कमिश्नर प्रणाली (Police Commissionerate System) की और जानेंगे कि क्या होता है पुलिस कमिश्नरी सिस्टम? और कैसे करता है काम?
पुलिस कमिश्नरी सिस्टम
आजादी से पहले भारत में अंग्रेजों ने बॉम्बे, कलकत्ता और मद्रास में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू किया हुआ था. उस वक्त सारीसारी न्यायिक शक्तियां पुलिस कमिश्नर के पास होती थी. पुलिस कमिश्नरी सिस्टम पुलिस प्रणाली अधिनियम, 1861 पर आधारित है. देश आजाद होने के बाद यह प्रणाली अधिनियम, 1861 पर आधारित है. देश आजाद होने के बाद यह प्रणाली वक्त के साथ-साथ दूसरे महानगरों में भी लागू की गई. यही वजह है कि अब भारत के कई महानगरों में भी लागू की गई. यही वजह है कि अब भारत के कई महानगरों में यह प्रणाली लागू है. इस व्यवस्था में पुलिस को डीएम के आदेश का इंतजार नहीं करना पड़ता है. क्योंकि डीएम के कई अधिकार पुलिस कमिश्नर को मिल जाते हैं. इस प्रणाली में पुलिस खुद ही किसी भी हालात में कानून व्यवस्था से जुड़े सभी फैसले ले सकती है.
सीआरपीसी (CrPC) के अधिकार
इस प्रणाली में सीआरपीसी के सारे अधिकार पुलिस कमिश्नर के पास होते हैं. उन्हें किसी भी मामले में जिले के डीएम से आदेश लेने की ज़रूरत नहीं होती है. पुलिसकर्मियों तबादले, लाठी चार्ज या फायरिंग के आदेश भी खुद पुलिस कमिश्नर दे सकते हैं. सामान्य पुलिस व्यवस्था में डीएम को सीआरपीसी कानून-व्यवस्था संबंधी कई अधिकार देती है, लेकिन पुलिस कमिश्नरी सिस्टम में ये सारे अधिकार डीएम की बजाय सीधे पुलिस कमिश्नर के पास होते हैं.
लाइसेंस का अधिकार
जिलों में शस्त्र लाइसेंस देने, बार लाइसेंस जारी करने और होटलों के लाइसेंस बनाने का अधिकार भी पुलिस कमिश्नर के पास होता है. इसके अलावा धरना प्रदर्शन की इजाजत देना, लाठी चार्ज पर फैसला करना, पुलिस बल की संख्या तय करने का अधिकार भी पुलिस के पास होता है. यहां तक कि भूमि संबंधी विवादों के निस्तारण का अधिकार भी पुलिस के पास होता है.
पुलिस कमिश्नरी के अधिकारी
पुलिस कमिश्नरी सिस्टम में ADG रैंक का अधिकारी पुलिस आयुक्त (Police Commissioner) होता है. ये इस प्रणाली का सर्वोच्च पद होता है. इसके बाद IG रैंक का अधिकारी संयुक्त पुलिस आयुक्त (Joint Commissioner of Police) बनाए जाते हैं. जिनकी तैनाती क्राइम और लॉ एंड ऑर्डर के लिहाज से अलग-अलग होती है.
पुलिस कमिश्नरेट वाले जनपदों को अलग-अलग जोन में बांट दिया जाता है. फिर हर एक जोन में SSP/SP रैंक का अधिकारी पुलिस उपायुक्त (Deputy Commissioner of Police) नियुक्त किया जाता है. उसके अधीन अपर पुलिस उपायुक्त (Additional Deputy Commissioner of Police) बनाए जाते हैं, जो ASP रैंक के अधिकारी होते हैं. जबकि जिले में सर्किल और थाने की व्यवस्था सामान्य पुलिस प्रणाली की तरह ही होती है. जिसमें क्षेत्राधिकारी का पद नाम सीओ (Circle officer) के जगह सहायक पुलिस आयुक्त (Assistant Commissioner of Police) होता है. ACP के अधीन थाने के एसएचओ (SHO) आते हैं.