Indian News : नई दिल्ली | ‘नेशनल हेराल्ड’ (National Herald) मामले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) संबंधी जांच अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे तक पहुंच गई है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उनसे सोमवार को पूछताछ की। बता दें कि भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) की शिकायत पर नेशनल हेराल्ड केस की जांच शुरू की गई थी। 2012 से यह मामला चल रहा है। केस के तहत आरोप है कि कांग्रेस नेताओं ने यंग इंडियन लिमिटेड कंपनी (Young Indian Limited Company) के जरिए नेशनल हेराल्ड अखबार चलाने वाली एसोसिएटेड जर्नल्स (AJL) का अधिग्रहण, घालमेल के साथ पूरा किया और करीब 5 हजार करोड़ की संपत्ति अपनी बना ली। आइए जानते हैं कैसे शुरू हुआ एसोसिएटेड जर्नल्स और यंग इंडियन लिमिटेड का यह पूरा मामला….
एसोसिएटेड जर्नल्स कैसे हुई थी शुरू
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 20 नवंबर 1937 में एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड यानी AJL को बनाया। AJL का गठन एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी के तौर पर भारतीय कंपनी अधिनियम 1913, के तहत विभिन्न भाषाओं में समाचार पत्रों को प्रकाशन के लिए किया गया था। AJL ने अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज समाचार पत्र प्रकाशित करने शुरू किए। नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशन 1938 में शुरू किया गया। हालांकि एजीएल पर कभी नेहरू का मालिकाना हक नहीं रहा। इसे 5000 स्वतंत्रता सेनानी सपोर्ट कर रहे थे और वही इसके शेयर होल्डर भी थे। इसमें से कई बड़े नेता भी थे।
साल 2008 तक AJL पर 90 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज चढ़ गया और AJL ने फैसला किया कि अब समाचार पत्रों का प्रकाशन नहीं किया जाएगा। अखबारों का प्रकाशन बंद करने के बाद एजेएल प्रॉपर्टी बिजनेस में उतरी, जो दिल्ली, लखनऊ और मुंबई में बिजनेस कर रही थी। 22 मार्च 2022 से इसके चेयरमैन व एमडी मोतीलाल वोरा हैं। 13 दिसंबर 2010 को राहुल गांधी को यंग इंडियन का डायरेक्टर बनाया गया और 22 जनवरी 2011 को इसके बोर्ड में सोनिया गांधी शामिल हुईं। कंपनी के बाकी 12-12 फीसदी शेयर मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज के पास हैं।
यंग इंडिया लिमिटेड का क्या है सीन
दर्ज की गई शिकायत में कहा गया है कि पहले कांग्रेस पार्टी ने एजेएल को 90.25 करोड़ रुपये का ब्याज फ्री लोन दिया, जिसे चुकाया नहीं गया। फिर नवंबर 2010 में 50 लाख रुपये की पूंजी के साथ यंग इंडियन लिमिटेड नाम की एक कंपनी शुरू की गई, जिसमें सोनिया और राहुल गांधी की हिस्सेदारी 38-38 फीसदी है। कंपनी को खड़ा करने का मकसद AJL पर मौजूद 90.25 करोड़ रुपये की देनदारियां उतारना था। यंग इंडियन ने साल 2011 में एजेएल के लगभग सभी शेयर और प्रॉपर्टी खरीद लिए और इस तरह 5000 करोड़ रुपये के एसेट कांग्रेस पार्टी की झोली में आ गए। AJL की वाणिज्यिक परिसंपत्तियों का अधिग्रहण यंग इंडियन का गठन होने के तीन माह के भीतर कोई टैक्स और स्टैंप ड्यूटी चुकाए बिना ही पूरा कर लिया गया था।
सुब्रमण्यम स्वामी के आरोप
2012 में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने एक जनहित याचिका (PIL) डाली। उन्होंने कांग्रेसी नेताओं पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया। नवंबर 2012 में सुब्रमण्यम स्वामी ने जो आरोप लगाए, उनमें यह भी शामिल था कि सोनिया और राहुल गांधी ने फ्रॉड करके एजेएल को अपना बना लिया। साथ ही नेशनल हेराल्ड, कौमी आवाज के पब्लिकेशन राइट्स भी पा लिए। इसके लिए दिल्ली और उत्तर प्रदेश में रियल एस्टेट प्रॉपर्टी भी हासिल कर लीं, जबकि ये प्रॉपर्टी सरकार द्वारा केवल अखबारों की पब्लिशिंग के उद्देश्य से दी गई थीं। लेकिन कांग्रेस नेताओं ने इनका इस्तेमाल लाखों रुपयों की किराया आय के साथ पासपोर्ट कार्यालय चलाने के लिए किया।
उनकी शिकायत में यह भी शामिल था कि 26 जनवरी 2011 को एजेएल ने 90 करोड़ रुपये के अनसिक्योर्ड लोन को जीरो ब्याज पर आॅल इंडिया कांग्रेस कमेटी से यंग इंडियन को ट्रान्सफर करने को मंजूरी दी। साथ में 10 रुपये प्रति शेयर की कीमत वाले कंपनी के सभी 9 करोड़ शेयर भी यंग इंडियन को ट्रान्सफर किए गए। स्वामी का कहना है कि किसी राजनीतिक दल के लिए किसी वाणिज्यिक उद्देश्य को लेकर उधार देना, आयकर कानून के नियमों के तहत गैरकानूनी है। इसलिए उन्होंने सीबआई से मामले की जांच की अपील की। 2 नवंबर 2012 को कांग्रेस ने कहा कि दिया गया लोन केवल नेशनल हेराल्ड न्यूजपेपर के रिवाइवल के लिए था और इसमें कोई वाणिज्यिक हित नहीं था। साल 2019 में कोर्ट ने फैसला दिया कि यंग इंडियन मामले में 100 करोड़ रुपये टैक्स का मामला फिर खुलेगा। यंग इंडियन को नॉट फॉर प्रॉफिट कंपनी बताया गया था और इस पर इनकम टैक्स छूट रजिस्ट्रेशन लिया गया था। लेकिन बाद में जांच में पाया गया कि जिस चैरिटेबल मकसद से कंपनी को टैक्स में छूट मिल रही है वह मकसद पूरा नहीं हो रहा। एजेएल की गतिविधियां चैरिटेबल ट्रस्ट की श्रेणी में नहीं आती हैं।