Indian News : नई दिल्ली। देशभर में केन्द्र सरकार की ‘अग्निपथ भर्ती योजना’ को लेकर हंगामा मचा हुआ है। इस योजना को लेकर सबसे ज्यादा बवाल बिहार में मचा हुआ है। बिहार के अलग-अलग जिलों में लगातार दूसरे दिन भी पथराव और आगजनी ऐसे घटनाएं देखने को मिल रही है। खास तौर से बक्सर और बेगुसराय से लेकर मुजफ्फरनगर तक युवाओं का प्रदर्शन जारी है।

इसके साथ ही बिहार के जहानाबाद जिले में आज सुबह से ही हंगामा और प्रदर्शन किया जा रहा है। इस दौरान कुछ युवाओं ने सड़क पर टायर जलाकर विरोध किया। वहीं, बक्सर में युवा योजना के विरोध में रेलवे स्टेशन पर जमकर हंगामा कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि आज सुबह से सैकड़ों युवा पटरी के सामने खड़े हो गए हैं। बता दें कल भी बक्सर में 100 से ज्यादा युवाओं ने पटरी पर बैठकर धरना दिया था, जिस कारण जनशताब्दी एक्सप्रेस की आवाजाही आधे घंटे तक प्रभावित रही।

दहल रहें हैं बिहार के ये जिलें




मिली जानकारी के अनुसार बिहार में जो युवा अग्निपथ योजना का विरोध कर रहे हैं, ये वो युवा हैं जो सेना में भर्ती की तैयारी कर रहे हैं। युवाओं का कहना है कि उन्होंने फिजिकल और मेडिकल टेस्ट पास कर लिया है, लेकिन दो साल से सेना में भर्ती नहीं हो रही है, जिससे उनका भविष्य खतरे में आ गया है। एक मीडिया रिपोर्ट्स मसे मिली जानकारी के अनुसार बक्सर में पाटलिपुत्र एक्सप्रेस पर युवाओं ने पत्थरबाजी की थी। हालांकि इस घटना में किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ है। इसी कड़ी में बिहार के मुजफ्फरनगर में सेना में जाने की तैयारी कर रहे युवाओं ने चक्कर मैदान के पास टायर जलाकर अपना विरोध जताया। वहीं बेगुसराय में भी अभ्यर्थियों ने महादेव चौक पर प्रदर्शन किया और अग्निपथ योजना को वापस लेने की मांग की। युवा तरह-तरह से इस योजना का विरोध कर रहे हैं।

  • केंद्र सरकार की इस योजना का सबसे ज्यादा विरोध बिहार में किया जा रहा है। इसके अलावा राजस्थान और हरियाणा में भी इस योजना के खिलाफ जमकर प्रदर्शन और नारेबाजी की जा रही है। सवाल ये है कि आखिर इस योजना को लेकर युवाओं में इतना आक्रोश क्यों है। तो चलिए हम आपको बताते हैं इस आक्रोश के पीछे क्या वजह हो सकती है।
  • गौरतलब है कि हर साल लाखों युवा सेना में जाने की तैयारी करते हैं, लेकिन कोरोना महामारी के कारण दो साल से सेना में भर्ती रुकी हुई है। भारतीय सेना में भर्ती के लिए सेना रैलियों का आयोजन करती है। इस रैली में युवा हिस्सा लेते हैं और उसके बाद कॉमन एंट्रेंस टेस्ट होता है।
  • साल 2022 में 25 मार्च को लोकसभा में रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने बताया था कि 2020-21 में 97 रैलियां आयोजन करने की योजना थी, जिसमें से 47 रैलियां ही हुईं और सिर्फ 4 के लिए ही एंट्रेंस टेस्ट हुआ। वहीं, 2021-22 में 47 रैलियां करना था, लेकिन सिर्फ 4 ही हो सकीं और एक भी एंट्रेंस टेस्ट नहीं हुआ।
  • बता दें कोरोना के चलते जहां सेना में भर्ती अटकी रही, लेकिन नौसेना और वायुसेना में भर्ती जारी रही। 21 मार्च को राज्यसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया था कि दो साल तक सेना में भर्ती नहीं हुई, लेकिन इसी दौरान नौसेना में 8,319 और वायुसेना में 13,032 भर्तियां हुईं।
  • भर्ती रुकी होने के कारण सालों से सेना में जाने की तैयारी कर रहे युवाओं के भविष्य पर भी तलवार लटक गई है। युवाओं का आरोप है कि उन्होंने फिजिकल और मेडिकल टेस्ट पास कर लिया है, लेकिन भर्ती परीक्षा नहीं होने से वो ओवरएज हो जा रहे हैं और बाद में वो सेना में भर्ती के लिए योग्य नहीं रहेंगे।
  • सेना में भर्ती के लिए 23 साल की आयुसीमा है। एक रिपोर्ट में बताया गया कि पिछले महीने ही हरियाणा के भिवानी में 23 साल पवन पंघाल ने इसलिए आत्महत्या कर ली थी, क्योंकि वो ओवरएज हो गया था। पवन 15 साल की उम्र से सेना में जाने की तैयारी कर रहा था, उसने फिजिकल और मेडिकल टेस्ट पास कर लिया था, लेकिन भर्ती रुकने से वो ओवरएज हो गया था।

आखिर क्यों जल रहा है बिहार?

अग्निपथ योजना को लेकर बवाल इस लिए है क्योंकि सेना में काफी समय से भर्ती रुकी हुई है। पिछले महीने भी दरभंगा जिले में अभ्यर्थियों ने आगजनी कर प्रदर्शन किया था। नाराज अभ्यर्थियों का कहना है कि कोरोना का हवाला देकर दो साल से लिखित परीक्षा टाली जा रही है। उनका कहना है कि कोरोना में सारे काम हो रहे हैं, लेकिन सेना में भर्ती के लिए लिखित परीक्षा नहीं हो रही है। इसके अलावा बता दें कि 2011 की जनगणना के मुताबिक, बिहार में तकरीबन 12 करोड़ के आसपास आबादी है। यहां की 88% से ज्यादा आबादी गांवों में रहती है। यहां की 34 फीसदी आबादी ऐसी है जो गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करती है। इस गरीबी से निकलने के लिए यहां के युवा सेना में जाने की तैयारी सालों पहले से शुरू कर देते हैं।

13.40 लाख में से 1.04 लाख जवान और अफसर बिहार है

आंकड़े बताते हैं कि भारत की तीनों सेनाओं में हर 100 जवानों में से 8 जवान बिहार के हैं। पिछले साल 15 मार्च को रक्षा राज्य मंत्री श्रीपाद नाईक ने राज्यसभा में राज्यवार तीनों सेनाओं में सैनिकों की संख्या बताई थी। इसके मुताबिक, देशभर में तीनों सेनाओं में 13.40 लाख से ज्यादा जवान और अफसर हैं, जिनमें से 1.04 लाख से ज्यादा जवान और अफसर बिहार के हैं। इतना ही नहीं, तीनों सेनाओं से रिटायर हुए 100 जवानों या अफसरों में से 5 बिहार के हैं।

इसी साल 28 मार्च को राज्यसभा में रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने राज्यवार सैनिकों की भर्ती का आंकड़ा भी दिया था। उन्होंने बताया था कि 2019-20 में बिहार 4,559 युवाओं को सेना में भर्ती किया गया था। उस साल सबसे ज्यादा जवानों की भर्ती के मामले में बिहार छठे नंबर पर था। उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर था, जहां के 8,425 युवा सेना में भर्ती हुए थे। उसके बाद पंजाब के 7,813 युवा सेना में भर्ती हुए थे।

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