Indian News : रूस दुनिया का सबसे बड़ा देश है। भारत से एरिया में यह 5 गुना बड़ा है। साथ ही उसका तटीय इलाका 36,000 किमी लंबा है। ऐसे में सवाल उठता है कि सबसे बड़े देश के राष्ट्रपति पुतिन छोटे से यूक्रेन पर कब्जा करने को क्यों मजबूर हैं। तो इसका जवाब न इतिहास में छुपा है न राजनीति में। दरअसल इसका जवाब भूगोल में है।

तो आइए 8 नक्शों और 1 तस्वीर के जरिए इस सवाल का जवाब जानते हैं कि दुनिया का सबसे बड़ा देश होने के बावजूद रूस को यूक्रेन क्यों चाहिए?

दुनिया का सबसे बड़ा देश और सबसे लंबा समुद्र तट




रूस 1.7 करोड़ वर्ग किमी क्षेत्रफल के साथ दुनिया का सबसे बड़ा देश है।
रूस के पास इतनी जमीन है कि भारत जैसे 5 देश इसमें समा जाएं।
यह इतना बड़ा है कि एक देश होने के बावजूद रूस में 11 टाइम जोन हैं।
11 टाइम जोन होने का मतलब है कि रूस में 11 अलग-अलग तरह के समय हैं।
रूस के पास दुनिया का सबसे बड़ा समुद्र तट है, जिसकी लंबाई 36,000 किमी है।

36000 किमी लंबा समुद्र तट 6 महीने किसी काम का नहीं

रूस का 36,000 किमी लंबे तटीय इलाके का ज्यादातर हिस्सा उत्तरी गोलार्ध में है।
उत्तरी गोलार्ध में कड़ाके की सर्दी होने के चलते यहां 6 महीने बर्फ जमी रहती है।
इससे यहां अच्छे बंदरगाह यानी पोर्ट नहीं हैं, जिससे रूस का कारोबार प्रभावित होता है।
बंदरगाह के लिए गर्म पानी वाला समुद्री तट बहुत जरूरी है, ताकि कारोबार सालभर हो सके।

रूस का समुद्री कारोबार अभी तुर्की के सहारे चलता है

रूस अभी तुर्की के बोसस्फोरस समुद्री गलियारे के जरिए भूमध्य सागर तक पहुंचता है।
NATO में होने के बावजूद तुर्की फिलहाल रूस को समुद्री कारोबार की इजाजत देता।
रूस को डर है कि कभी तुर्की से बिगड़ी तो उसके 80% कारोबार को वह रोक सकता है।
2015 के सीरियाई युद्ध मे तुर्की ने रूस का सुखोई मार गिराया, लेकिन उसे चुप रहना पड़ा था।

यूक्रेन के जरिए पूरी दुनिया से पूरे साल कारोबार का रास्ता खुलेगा

यूक्रेन का भूगोल समुद्री कारोबार के लिहाज से भी सबसे मुफीद है।
यूक्रेन अपने तट काला सागर से भूमध्यसागर से जोड़ता है।
भूमध्यसागर से पूरी दुनिया के लिए कारोबार का रास्ता खुलता है।
ऐसे में रूस यूक्रेन के बंदरगाह से पूरे साल 24 घंटे कारोबार कर सकेगा।

रूस के सामने क्रीमिया के बंदरगाह को खोने का खतरा

यूक्रेन के पास क्रीमिया के क्षेत्र में सामान्य पानी वाला बंदरगाह सेवस्टोपोल था।
रूस ने इस बंदरगाह का उपयोग और कारोबार करने के लिए इसे लीज पर ले रखा था।
रूस को लगता है कि यदि यूक्रेन NATO में चला गया तो उसे इस पोर्ट को खोना पड़ सकता है।

भाषाई आधार पर बंटा है यूक्रेन

सोवियत संघ के टूटने के बाद भी कई देशों का झुकाव अभी भी रूस की तरफ है।
जबकि रोमानिया, लिथुआनिया पश्चिम देशों और NATO के साथ चले गए हैं।
यूक्रेन का ईस्टर्न इलाका रूसी भाषा बोलने वाला है इसलिए वह रूस का सपोर्ट करता है।
यूक्रेन का वेस्टर्न इलाका यूक्रेनियन भाषा बोलता है और यह पश्चिमी देशों को सपोर्ट करता है।
2010 के राष्ट्रपति चुनाव में ईस्टर्न लोगों ने रूस समर्थक विक्टर यानुकोविच जिताया था।
यूक्रेन की जनता के इस तरह डिवाइड होने से वह अभी भी रूस और पश्चिमी देशों के बीच में फंसा है।

यूक्रेन को 2014 में क्रीमिया से हाथ धोना पड़ा था

यूक्रेन ने हमेशा अपने हितों को यूरोपीय यूनियन और रूस के साथ जोड़ा है
2013 में जब ऐसा लगा कि यूक्रेन यूरोपीय यूनियन की सदस्यता लेने जा रहे हैं।
तब पुतिन ने आक्रामक कार्रवाई करते हुए 2014 में क्रीमिया पर कब्जा कर लिया।
साथ ही रूस ने क्रीमिया के सेवस्टोपोल पोर्ट को भी अपने कब्जे में ले लिया।
इसके बाद यूक्रेन ने यूरोपीय यूनियन के साथ जाने की योजना को छोड़ दिया।

पुतिन ने कहा था- स्प्रिंग को ज्यादा दबाओगे तो खतरनाक रूप में सामने आएगा

रूसी राष्ट्रपति व्लीदिमीर पुतिन ने 2014 में क्रीमिया पर कब्जा करने के बाद एक साक्षात्कार दिया था। इसमें पुतिन ने कहा था कि यदि आप स्प्रिंग को एक लिमिट से ज्यादा दबाते हो तो यह और खतरनाक रूप में आपके सामने आता है। आपको यह हमेशा याद रखना चाहिए।

यूक्रेन NATO में गया तो रूस के लिए कारोबार के सारे रास्ते बंद हो सकते हैं

मान लीजिए अमेरिका ओर यूरोपीय देशों ने यूक्रेन को NATO की सदस्यता दे दी होती।
ऐसे में अमेरिका यूक्रेन, रोमानिया और तुर्की को मिलाकर रूस के सभी कारोबारी रास्ते बंद कर देता।
पुतिन ने इसी खतरे के लिए कहा था- यदि स्प्रिंग को ज्यादा दबाओगे तो यह खतरनाक तरीके से वापस आएगा।

पुतिन ने यूक्रेन पर हमले के लिए इसलिए एक कहानी बनाई

पुतिन ने यूक्रेन पर हमले के लिए एक कहानी का इस्तेमाल किया है
वे कहते हैं कि हम रूसियों को नरसंहार से बचाने के लिए ऐसा कर रहे हैं।
यूरोपीय यूनियन और NATO मदद के लिए आएंगे या नहीं यह कहना मुश्किल है।
लेकिन अधिक संभावना है कि स्प्रिंग खतरनाक रूप से सामने आ चुका है।

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