Indian News : नई दिल्ली | हिंदू धर्म में सभी त्योहारों में दिवाली का पर्व प्रमुख है. देशभर में दीपोत्सव का यह पर्व बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की विशेष आराधना की जाती है. पांच दिवसीय दिवाली के पर्व में नरक चतुर्दशी का विशेष महत्व है. यह पर्व दिवाली से एक दिन पूर्व छोटी दिवाली को मनाया जाता है. छोटी दिवाली को ही नरक चतुर्दशी कहते हैं. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि आखिर छोटी दिवाली को क्यों नरक चतुर्दशी कहा जाता है.और आज के दिन मृत्यु के देवता कहे जाने वाले यमराज की पूजा क्यों की जाती है.

छोटी दिवाली के दिन तेल का एक चौमुखा दीपक यम के नाम से जलाया जाता है. इसके पीछे एक पौराणिक कथा प्रसिद्ध है, जिसके अनुसार, एक बार हेम नामक राजा के घर एक पुत्र ने जन्म दिया. ज्योतिषियों ने नक्षत्र की गणना कर राजा को बताया कि पुत्र विवाह के बाद केवल चार दिन तक जीवित रहेगा, चार दिन बाद पुत्र की मृत्यु हो जाएगी. यह जानने के बाद राजा पुत्र को लेकर यमुना तट की गुफा में लेकर चला गया. एक बार जब महाराज हंस की बेटी यमुना तट पर पहुंची तो राजा के बेटे को देखकर मोहित हो गई और उससे गंधर्व विवाह कर लिया. लेकिन विवाह के 4 दिन पश्चात ही राजा के बेटे की मृत्यु हो गई.

जिस कारण उसकी पत्नी विलाप करने लगी, जिसे देखकर यमदूतों का हृदय कांप उठा. जब यमदूत ने यमराज ने पूछा कि क्या अकाल मृत्यु से किसी तरह बचा जा सकता है. तब यमराज ने बताया कि अकाल मृत्यु से बचने के लिए कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को यम के नाम का दीपक करना चाहिए. इससे अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है.




पंडित इंद्रमणि घनस्याल के अनुसार, नरकासुर नाम के एक राक्षस ने देवताओं को परेशान कर रखा था. नरकासुर ने 16 हजार कन्याओं को बंधक बना लिया था. इसके बाद दुखी सभी देवता भगवान श्रीकृष्ण के पास पहुंचे और राक्षस से मुक्ति दिलाने की गुहार लगाई. भगवान श्रीकृष्ण ने सभी देवताओं की पीड़ा सुनकर उनकी मदद का आश्वासन दिया.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था. इस दिन सभी आत्माओं को मुक्ति मिली थी. ऐसे में इस दिन यमराज और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है. साथ में भगवान सूर्य देव की पूजा करने का विधान है. नरक चतुर्दशी पूजन से असमय मृत्यु से बचा जा सकता है, इसलिए दिवाली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी मनाई जाती है.

Disclaimer : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि Indian News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

You cannot copy content of this page