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मणिपुर के नोनी जिले में टेरिटोरियल आर्मी के जवानों समेत अभी भी 44 लोग मिट्टी के नीचे दबे हुए हैं। गुरुवार को जवानों का कैंप लैंडस्लाइड की चपेट में आ गया था। जिसके बाद से NDRF की टीम बड़े पैमाने पर रेस्क्यू मिशन चला रही है, लेकिन रुक रुक कर हो रही बारिश की वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक, 18 लोगों को रेस्क्यू कर लिया गया है, जबकि 15 जवानों और 5 नागरिकों के शव बाहर निकाले जा चुके हैं। घायलों को इलाज के लिए नोनी आर्मी मेडिकल यूनिट लाया गया है। कल पीएम मोदी ने इसे लेकर राज्य के मुख्यमंत्री बीरेंन सिंह से बात की, और हर संभव मदद का भरोसा दिया। लैंडस्लाइड में 82 लोगों के दबे होने की पुष्टि रेस्क्यू टीम ने की है।
मारे गए लोगों को 1 लाख रुपए देगी राज्य सरकार
मुख्यमंत्री ने हादसे में मारे गए लोगों के लिए 1 लाख रुपए और घायलों के इलाज के लिए 50 हजार रुपए की सहायता राशि का ऐलान किया है। मणिपुर के राज्यपाल एलगणेशन ने भी इस घटना पर दुख जताया है। वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शोक जताया है।
पूर्वोत्तर के राज्यों में पिछले कुछ दिनों लगातार हो रही बारिश की वजह से बाढ़ जैसे हालात हैं। बीते रोज भी बारिश की वजह से तुपुर रेलवे स्टेशन से सटी पहाड़ी टूट कर निर्माणाधीन स्टेशन यार्ड पर गिर गई। जिरीबाम से इंफाल तक रेल लाइन बिछाई जा रही है। इसी की सुरक्षा के लिए यहां जवानों का कैंप लगाया गया था।
निचले इलाकों में तबाही का खतरा
भूस्खलन के वजह से इजाई नदी का प्रवाह प्रभावित हुआ है। यह नदी तामेंगलोंग और नोनी जिलों से होकर बहती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ नागरिकों के भी मलबे में दबे होने की आशंका है। जिला प्रशासन आस-पास के ग्रामीणों को सावधानी बरतने और जल्द से जल्द जगह खाली करने की एडवाइजरी जारी की है।
मलबे की वजह से इजाई नदी ब्लॉक हो गई है। जिससे एक ही जगह पर जल भराव के कारण बांध जैसी स्थिति बन गई है। अगर यह टूट गया तो निचले इलाकों में और ज्यादा तबाही मच सकती है। असम और मणिपुर समेत पूर्वोत्तर के कई राज्यों में लगातार बारिश से बाढ़ के हालात बने हुए हैं। असम में तो 10 दिनों में अब तक करीब 135 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि लाखों लोग प्रभावित हैं।