Indian News : रायपुर | राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) रायपुर के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग ने 10 जून 2024 को “एथिकल हैकिंग और डिजिटल फॉरेंसिक” विषय पर पांच दिवसीय बूटकैंप का उद्घाटन किया। इस बूट कैंप का आयोजन 10 जून से 14 जून तक किया जाएगा |
कार्यक्रम में एनआईटी रायपुर के प्रभारी निदेशक डॉ. आर. के. त्रिपाठी, डीन (अकादमिक) डॉ. श्रीश वर्मा, डीन (रिसर्च एंड कंसल्टेंसी) डॉ. प्रभात दीवान और कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉ. दिलीप सिंह सिसोदिया शामिल रहे | कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. प्रदीप सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नितेश के. भारद्वाज और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. शैलेन्द्र त्रिपाठी इस कार्यक्रम के समन्वयक है। इस बूटकैंप का उद्देश्य साइबर सुरक्षा में रूचि रखने वालो को एथिकल हैकिंग और डिजिटल फॉरेंसिक के कौशल से अवगत करना है, जिससे वे एक पेशेवर साइबर सुरक्षा और डिजिटल फॉरेंसिक करियर के लिए तैयार हो सकें।
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उद्घाटन समारोह में सबसे पहले गणमान्य व्यक्तियों द्वारा दीप प्रज्वलन किया गया। इसके बाद डॉ. भारद्वाज ने साइबर सुरक्षा पर आधारित इस पाठ्यक्रम के बारे में जानकारी दी, जिसमें उन्होंने वर्तमान समय में साइबर अपराध में तेजी से वृद्धि और इन खतरों का मुकाबला करने के लिए कुशल पेशेवरों की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने पांच दिवसीय पाठ्यक्रम में शामिल महत्वपूर्ण विषयों जैसे साइबर क्राइम लैंडस्केप, एथिकल हैकिंग, क्रिप्टोग्राफी और हैशिंग तकनीकों के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम से प्रतिभागियों को सिस्टम, डेटा की सुरक्षा और साइबर खतरों के प्रभावी ढंग से रोकथाम के लिए सैद्धांतिक और व्यावहारिक कौशल प्राप्त होंगे।
इसके बाद डॉ. सिसोदिया ने हमारे दैनिक जीवन में कंप्यूटर सिस्टम और मोबाइल उपकरणों के महत्व के बारे में बात की और कहा की हमें टेक्नोलॉजी का प्रयोग सही दिशा में करना चाहिए | उन्होंने सभी से सुरक्षित तकनीक का उपयोग करने कहा और बताया की इस जटिल समस्या से साइबर क्राइम एजेंसीज भी चुनोतियों का सामान कर रही है| इसके बाद, डॉ. दीवान ने आज के तेजी से विकसित होते डिजिटल युग में मजबूत साइबर सुरक्षा उपायों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और कहा कि साइबर सिक्यूरिटी को मजबूत बनाना जरूरी है ताकि डेटा ग्लिच व डेटा की चोरी से बचा जा सके |
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इसके बाद, डॉ. वर्मा ने 1994 से लेकर अब तक प्रौद्योगिकी में तेजी से हो रहे बदलावों पर चर्चा की, जिसमें फॉरेंसिक तकनीकों के विकास का भी जिक्र उन्होंने किया जो आज सालेन की सर्किट और नॉर्टन डिस्क डॉक्टर से लेकर वर्तमान समय के उन्नत डिजिटल फॉरेंसिक्स तक पहुंची चुकी हैं। डॉ. आर. के. त्रिपाठी ने डेटा और मोबाइल उपकरणों को हैक करने के तरीकों को समझने के महत्व पर जोर दिया, ताकि ऐसा होने से रोका जा सके।
पहले दिन, तीन सत्रों का आयोजन किया गया जिसमें कंप्यूटर नेटवर्क, ऑपरेटिंग सिस्टम और फाइल सिस्टम पर ध्यान केंद्रित किया गया। इस दौरान डॉ. भारद्वाज ने बताया कि वायरस अक्सर नेटवर्क के माध्यम से ही कंप्यूटर में प्रवेश करते हैं जिसके द्वारा हैकिंग की जाती है इसलिए एक अच्छे और सुरक्षित नेटवर्क का होना बहुत जरूरी है। इसके अलावा, उन्होंने ऑपरेटिंग सिस्टम और फाइल सिस्टम पर चर्चा की। समारोह का समापन डॉ. शैलेन्द्र त्रिपाठी के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
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