Indian News : पणजी | गोवा के पणजी में दीपावली के अवसर पर पारंपरिक उत्सव के तहत नरकासुर के पुतले का दहन किया गया। इस मौके पर स्थानीय निवासियों और पर्यटकों ने एकत्र होकर इस अनोखे और जीवंत समारोह का आनंद लिया। नरकासुर का पुतला दहन, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है और यह गोवा की सांस्कृतिक धरोहर का एक अभिन्न हिस्सा है।

नरकासुर का पुतला दहन : परंपरा और उत्सव

हर साल दीपावली के पहले दिन नरकासुर के पुतले का दहन गोवा में बड़े धूमधाम से किया जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इस साल भी पणजी में विशाल नरकासुर का पुतला तैयार किया गया था, जिसे देखने के लिए सैकड़ों लोग एकत्रित हुए। पुतले के दहन के साथ ही स्थानीय नर्तक और संगीतकारों ने शानदार प्रदर्शन किया, जिससे वातावरण में उत्सव का आनंद दोगुना हो गया।

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सामुदायिक भागीदारी

इस उत्सव में गोवा के विभिन्न समुदायों के लोग शामिल हुए। लोगों ने एकजुट होकर इस आयोजन को सफल बनाने के लिए अपना योगदान दिया। स्थानीय निवासियों ने नरकासुर के पुतले को सजाने और उसके दहन के लिए कई दिन पहले से तैयारी की थी। इस तरह के आयोजनों से सामुदायिक भावना और एकता को बढ़ावा मिलता है।




नरकासुर का पुतला: एक प्रतीकात्मक कार्य

नरकासुर का पुतला दरअसल, पौराणिक कथा का एक हिस्सा है जिसमें नरकासुर ने धरती पर आतंक मचाया था। भगवान कृष्ण ने उसकी बुराई का अंत किया और उसे पराजित किया। इस परंपरा को मनाते हुए गोवा के लोग हर साल इस दिन को खास बनाते हैं, जिससे यह त्योहार धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण बन जाता है।

दीपावली की खुशियाँ

नरकासुर के पुतले के दहन के बाद, दीपावली की खुशियाँ मनाने के लिए लोग घरों को रोशनी से सजाते हैं। इस अवसर पर मिठाइयाँ बाँटी जाती हैं और परिवार-परिजनों के साथ मिलकर त्योहार का आनंद लिया जाता है। यह पर्व लोगों के जीवन में खुशियों और समृद्धि का संचार करता है।

सुरक्षा और व्यवस्था

गोवा के प्रशासन ने इस समारोह के दौरान सुरक्षा और व्यवस्था का विशेष ध्यान रखा। पुतला दहन के दौरान किसी भी अनहोनी से बचने के लिए पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने सभी आवश्यक इंतजाम किए थे। इस प्रकार, इस दिवाली समारोह को सुरक्षित और सुखद बनाने में सभी ने अपना योगदान दिया।

इस तरह, पणजी में नरकासुर के पुतले का दहन केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि एक गहरी सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है जो सदियों से चला आ रहा है।

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