Indian News : भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) में धारा 96 (Sction 96) से लेकर धारा 106 (Section 106) तक आत्मरक्षा (Self defense) के प्रावधान किए गए हैं. इसी तरह से आईपीसी की धारा 106 (IPC Section 106) घातक हमले के खिलाफ निजी बचाव का अधिकार जब निर्दोष व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने का जोखिम होता है. आइए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 106 इसके बारे में क्या बताती है? 

आईपीसी की धारा 106 (Indian Penal Code Section 106)


भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 106 Section 106) में घातक हमले के खिलाफ (Against lethal attack) निजी बचाव का अधिकार (Right of private defense) उस वक्त जब निर्दोष व्यक्ति (Innocent person) को नुकसान पहुंचाने का जोखिम (Risk of harm) होता है. IPC की धारा 106 के अनुसार, जिस हमले से मृत्यु की आशंका (Death due to attack) युक्तियुक्त रूप से कारित होती है उसके विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा (Private defense) के अधिकार का प्रयोग करने में यदि प्रतिरक्षक (Defender) ऐसी स्थिति में हो कि निर्दोष व्यक्ति की अपहानि की जोखिम के बिना वह उस अधिकार का प्रयोग कार्यसाधक रूप से न कर सकता हो तो उसके प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार वह जोखिम उठाने तक का है




क्या होती है आईपीसी (IPC)


भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.

अंग्रेजों ने लागू की थी IPC


ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

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