Indian News : भोपाल | मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में माता कामेश्वरी का मंदिर अपनी अनोखी परंपरा के लिए जाना जाता है, जहां भक्त मंदिर में प्रवेश से पहले अपने चप्पल और जूते दान करते हैं। कोलार क्षेत्र में स्थित यह शक्ति पीठ ‘चप्पल वाली माता’ के नाम से प्रसिद्ध है। भक्तों का मानना है कि देवी माता के चरणों में चप्पल दान करने से वह प्रसन्न होती हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
स्थानिय और विदेशी श्रद्धालुओं की भागीदारी : इस अनोखी परंपरा का पालन न केवल स्थानीय लोग करते हैं, बल्कि विदेशों से आने वाले श्रद्धालु भी माता के चरणों में चप्पल अर्पित करते हैं। भक्त नई चप्पल, जूते और सैंडल माता के चरणों में अर्पित कर अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं। इस विशेष परंपरा में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, जो माता की कृपा के प्रति अपने विश्वास को दर्शाती है।
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मंदिर का संचालन: स्वैच्छिक दान पर निर्भर : चप्पल वाली माता के मंदिर में कोई दान पेटी या ट्रस्ट नहीं है। भक्त अपने स्वेच्छा से जो दान देते हैं, उसी से मंदिर का संचालन होता है। इस अनूठी व्यवस्था ने मंदिर के संचालन को एक विशेष पहचान दी है। मंदिर परिसर में अन्य देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं, जैसे 12 ज्योतिर्लिंग, महाकाली, नवदुर्गा, हनुमान, राम दरबार और नवग्रह के मंदिर।
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महिलाओं के लिए विशेष: करवाचौथ मंदिर : मंदिर परिसर में एक विशेष करवाचौथ मंदिर भी है, जहां महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं और देवी पार्वती की पूजा करती हैं। इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने वाली महिलाओं का मानना है कि माता की कृपा से उनके परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
माता की कृपा से भक्ति का अनुभव : मंदिर में फूल और माला बेचने वाली मनी ने बताया कि वह पिछले 20 वर्षों से यहां दुकान चला रही हैं। उन्होंने कहा, “चप्पल वाली माता की कृपा से मेरे जीवन में समृद्धि आई। मैंने भी चप्पल दान की थी, और मेरी सभी मन्नतें पूरी हुईं।” यह मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि भक्तों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का भी माध्यम बना है।
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